This Article is From Apr 18, 2015
सुशील महापात्रा : आईआईटी छात्रों के 'कारनामे' जो आपके काम आएंगे
Sushil Kumar Mohapatra
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Updated:अप्रैल 18, 2015 20:37 pm IST
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Published On अप्रैल 18, 2015 20:23 pm IST
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Last Updated On अप्रैल 18, 2015 20:37 pm IST
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आईआईटी दिल्ली से मेरे घर की दूरी ज्यादा नहीं है। इतना जानता था कि आईआईटी के छात्र काफी बड़े 'कारनामे' करते रहते हैं, लेकिन कभी देखने का मौका नहीं मिला था। जब मेरे साथी रजनीश से पता चला कि आईआईटी परिसर के अंदर कुछ वर्कशॉप दिखाया जाने वाला है, तो मैं वहां स्टोरी करने के लिए पहुंच गया। मेरे स्टोरी की अवधि ज्यादा नहीं थी, क्योंकि टीवी पर एक स्टोरी के अंदर समय का ध्यान भी रखना पड़ता है। मुझे लगा कि छात्रों ने जो शानदार कारनामे किए हैं, उसके बारे में बताया जाए। कुछ छात्रों ने यह शिकायत की कि मीडिया वाले तो आते हैं, लेकिन कुछ दिखाते नहीं हैं।
आईआईटी परिसर में काफी भीड़ थी। अलग-अलग स्कूलों से छात्र यहां वर्कशॉप देखने आए थे। मैं पहले आईआआईटी के सेमिनार हॉल में पहुंचा, जहां मेरी मुलाकात ऋषभ अग्रवाल से हुई, जो यहां के छात्र हैं। ऋषभ ने मुझे वह इनोवेशन दिखाया, जिसे देखकर मैं हैरान रह गया। इस सेमिनार हॉल के अंदर मुझे रोबो ही रोबो दिखाई दे रहे थे। दो रोबो बैडमिंटन खेल रहे थे, तो एक अन्य रोबो एक जगह से दूसरे जगह सामान लेकर जा रहा था। कुछ रोबो तो कंप्यूटर में वीडियो गेम भी खेल रहे थे। ऋषभ का कहना था कि 16 छात्रों की उनकी टीम ने यह रोबो बनाया है और पुणे में हुई प्रतियोगिता में जहां 85 टीमों ने हिस्सा लिया थे, वहां "बेस्ट इनोवेटिव डिज़ाइन" का पुरस्कार भी मिल चुका है।
अब हम उस सेमिनार हॉल से निकलकर दूसरी बिल्डिंग के तरफ गए। एक छात्र की मदद से हम माथुर सेमिनार हॉल पहुंचे। वहां देखा कि कुछ बच्चे एक छड़ी लेकर चल रहे हैं। हमें लगा कोई साधारण सी छड़ी है, लेकिन पूछने पर पता चला कि इस छड़ी का कमाल कुछ और है। यह छड़ी उन लोगों के लिए बनाया गया है, जिन्हें दिखाई नहीं देता और रास्ता खोजने में दिकत होती है। इस छड़ी को 'स्मार्ट केन' कहते हैं, जिसके अंदर अल्ट्रासाउंड सेंसर लगा हुआ है। इसके जरिये तीन मीटर तक किसी भी वस्तु के बारे में वाइब्रेशन के द्वारा जानकारी मिल सकती है। ये छड़ी अब बाजार में उपलब्ध है और कोई भी खरीद सकता है।
परिसर में एक अन्य जगह पर कुछ किसान नज़र आए। ऐसा लगा मानो राहुल गांधी की प्रस्तावित किसान रैली की जगह हो...लेकिन ऐसा नहीं था। दरअसल ये किसान यहां वो सामान देखने आए थे, जो यहां के छात्रों ने उन के लिए बनाया है। यहां आईआईटी छात्रों द्वारा तैयार खुदाई करने वाली एक मशीन है, जो ट्रैक्टर की तरह काम कर सकती है। छोटे किसान जिनके पास पूंजी की कमी है, वे इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। अनिल कुमार और लाल सिंह नामक छात्रों ने इस मशीन को तैयार किया और इसकी कीमत सिर्फ 20,000 हज़ार रुपये के करीब है, जो ट्रैक्टर के दाम के मुकाबले बेहद कम है।
अब हमारी नज़र एक ऐसी मशीन के ऊपर पड़ी, जो कचरा उठाती है। मशीन काफी छोटी थी, लेकिन कारनामा काफी बड़ा। आप इस मशीन के जरिये कचरा उठाकर एक जगह से दूसरे जगह ले जा सकते हैं। इस मशीन को अनिकेत के साथ आयुष और प्रदीप ने मिलकर बनाया है। इसका कीमत लगभग 3500 के करीब है।
चलते-चलते हमारी मुलाक़ात इन्द्र कुमार साहू से हुई, जो छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और आईआईटी में डिज़ाइन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। इन्द्र और उनके साथी जयंतो कुमार, कृष्ण कुमार गुप्ता और अनूप कुमार ने मिलकर एक मल्टी यूटिलिटी चेयर बनाया है। इस चेयर में टेबल लाइट भी लगी हुई है। पढ़ाई करते वक़्त अगर थकान महसूस हो, तो इस चेयर को बिस्तर बनाकर आप आराम भी फरमा सकते हैं।
अब हम वापस लौट रहे थे, तभी पीछे से आवाज़ आई, सुनिए... हमारे बारे में भी थोड़ा बता दीजिए। यह आवाज़ थी अरुण की। अरुण और उनके साथी ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जिसके जरिये आप बारिश से अपने कपड़े को भीगने से बचा सकते हैं। यहां देखने के लिए बहुत कुछ था, लेकिन हमारा पास समय का अभाव था। हां, यहां आकर हमने पाया कि छात्रों ने हर किसी की सुविधा के लिए कुछ न कुछ बनाया है, जो बहुत जल्दी आप लोगों के घरों में इस्तेमाल हो सकता है।
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