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This Article is From Mar 03, 2016

1992 क्रिकेट वर्ल्ड कप का मेरा हीरो चला गया...

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 03, 2016 14:50 pm IST
    • Published On मार्च 03, 2016 14:47 pm IST
    • Last Updated On मार्च 03, 2016 14:50 pm IST
1992 के क्रिकेट वर्ल्ड कप की बात है... तब मैं सिर्फ 14 साल का था, लेकिन क्रिकेट में रुचि ज़्यादा होने की वजह से हर मैच देखता था। उस वक्त तक दुनिया के कई बड़े खिलाड़ी दर्शकों के मन में प्रभुत्व जमा चुके थे, लेकिन उस वर्ल्ड कप में मुझे अगर किसी खिलाड़ी ने सबसे ज़्यादा प्रभावित किया था, और मेरा हीरो बन गया था, तो वह थे न्यूज़ीलैंड के कप्तान मार्टिन क्रो...

उस वर्ल्ड कप में बेहद शानदार प्रदर्शन करते हुए मार्टिन ने क्रिकेटप्रेमियों के दिलों को जीत लिया था... शायद आपको लग रहा होगा कि मार्टिन अब इस दुनिया में नहीं रहे, इसलिए मैं उनकी तारीफ कर रहा हूं... जी नहीं, यह सच नहीं है... अगर मैं ऐसा करूंगा तो यह मार्टिन जैसे लीजेंड के साथ नाइंसाफी होगी... 1992 के वर्ल्ड कप में खेली मार्टिन क्रो की हर शानदार इनिंग्स मुझे याद है... और यह भी कि कैसे एक कप्तान के रूप में अकेले कमान संभाले हुए मार्टिन न्यूज़ीलैंड को जीत-दर-जीत दिलाते जा रहे थे...

1992 वर्ल्ड कप का सबसे शानदार कप्तान...
1992 वर्ल्ड कप में मार्टिन ने शानदार कप्तानी की... जहां ज़्यादातर टीमें टॉस जीतने के बाद बल्लेबाजी का फैसला कर रही थीं, वहीं मार्टिन क्रो ने आठ में से सात मैचों में टॉस जीता, और उनमें से छह मैचों में पहले गेंदबाजी करते हुए सभी मैच जीते... मार्टिन क्रो को पता था कि रनों की पीछा करते हुए मैच जीतना आसान नहीं होगा, लेकिन खुद पर भरोसा था उन्हें... इनमें से कई मैचों में मार्टिन ने खुद शानदार बैटिंग करते हुए जीत दिलवाई... मार्टिन समझ चुके थे कि उनकी टीम की गेंदबाजी के मुकाबले बल्लेबाजी ज़्यादा मजबूत है, और उनकी इसी समझदारी ने न्यूज़ीलैंड को वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचा दिया...

किस्मत नहीं दिया साथ, टॉस हारा, मैच हारा...
मार्टिन क्रो की शानदार कप्तानी की वजह से न्यूज़ीलैंड ने अपने आठ लीग मैचों से सात में जीत हासिल की और सेमीफाइनल तक पहुंची... आखिरी लीग मैच में मार्टिन पाकिस्तान के खिलाफ टॉस हारे थे, और पहले बल्लेबाजी करते हुए मैच भी... सेमीफाइनल में भी किस्मत ने मार्टिन का साथ नहीं दिया, और मार्टिन टॉस हार गए... पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान यह मौका छोड़ने वाले नहीं थे, सो, उन्होंने न्यूज़ीलैंड को पहले बैटिंग करने का निमंत्रण दिया, और न्यूज़ीलैंड यह मैच हारा... इससे साबित हुआ कि लीग मैचों के दौरान टॉस जीतने के बाद गेंदबाजी करने का जो फैसला मार्टिन क्रो ने लिया था, वह बिल्कुल सही था...

मार्टिन क्रो ने की थी शानदार बल्लेबाजी...
1992 के वर्ल्ड कप के दौरान मार्टिन क्रो ने बल्लेबाजी भी बेहद शानदार की थी, और कई मैच उनके ही दम पर न्यूज़ीलैंड जीता... पहले लीग मैच में मार्टिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 100 रन पर नाबाद रहे, और मैच जीते... इसके बाद मार्टिन ने ज़िम्बाब्वे के खिलाफ 74, वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ नाबाद 81, इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 73, और फिर सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ 91 रन बनाए... वर्ल्ड कप के दौरान मार्टिन क्रो तीन बार रन आउट हुए, और चार बार नॉट आउट रहे, जिससे साफ पता चलता है कि मार्टिन क्रो बेहद दर्शनीय और शानदार फॉर्म में थे, और उन्हें आउट करना आसान नहीं था...

अब आप समझ गए होंगे कि मैं मार्टिन क्रो को 1992 वर्ल्ड कप का हीरो क्यों मानता हूं... मैं यह भी जानता हूं कि आपमें से जिन लोगों ने मार्टिन क्रो को 1992 के वर्ल्ड कप में खेलते हुए देखा होगा, उसे हीरो ही मानते होंगे... 54 साल की उम्र में आज मार्टिन क्रो का देहांत हो गया है, जो पिछले कई दिनों से कैंसर से पीड़ित थे... मार्टिन दुनिया को छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन 1992 वर्ल्ड कप का यह हीरो क्रिकेट प्रेमियों में दिलों में हमेशा बसा रहेगा...

सुशील कुमार महापात्रा एनडीटीवी इंडिया के चीफ गेस्ट कॉर्डिनेटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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