एक फ़िल्मी सितारा और सुरक्षाबल जब आमने-सामने होतें हैं तो माहौल अलग होता है. यहां ये समझना मुश्किल रहता है कि कौन किसका फ़ैन है. कम से कम सुशांत ने तो हमें ऐसा ही महसूस करवाया. कार्यक्रम के दौरान वो इस बात के क़ायल रहे कि सीआरपीएफ़ जवान किस मुस्तैदी से अपनी मुश्किल ट्रेनिंग को पूरा कर, रोज़ की ड्यूटी पूरी करते हैं. चोट लगने के ख़तरे को पीछे छोड़ सुशांत ने भी लगभग हर चैलेंज को पार किया. बारिश, मिट्टी और कीचड़ के बीच इस सितारे ने सुरंगों से निकलते हुए आग पर से छलांग लगाई और आठ फ़ीट की दीवार फांदना भी सीख लिया. उनका जज़्बा देखकर जवान ख़ुश भी थे और हैरान भी.
धोनी की ही तरह सुशांत ने भी कैम्प में क्रिकेट मैच खेला. बच्चों जैसे पैशन के साथ वो बैट नहीं छोड़ना चाहते थे. शो के दौरान ही हमें पता चला कि सुशांत ने धोनी बनने के लिए कैसी गंभीरता दिखाई है. वो सालभर तक पूर्व विकेटकीपर किरण मोरे से ट्रेनिंग ले चुके हैं. और ज़रा सोचिए एक ऐसा शख़्स जिसने फ़िल्म से पहले बैट ठीक से चलाना ही सीखा था, वो आज धोनी जैसा परफ़ेक्ट हेलीकॉप्टर शॉट लगाता है. मज़ेदार बात ये है कि असल धोनी तो मैच में एक या दो बार ये शॉट लगाते हैं. लेकिन सुशांत से बस कहने की देर है - 'हेलीकॉप्टर' और उनका बल्ला पूरे स्टाइल से ये शॉट लगा देता है. ज़ाहिर है वर्ल्ड कप 2011 की जीत का आख़िरी पल उन्होंने सैंकड़ों बार देखा भी होगा और जिया भी.
लेकिन एक सुपरस्टार का दिल भी आम इंसान के जैसा ही है, ये शो के दौरान आप धीरे-धीरे जान जाएंगे. सुशांत का अपने हाथों से रोटी बनाकर सबको खिलाना, अपनी गुज़री हुई मां की यादें बांटना और उनकी ज़बरदस्त हाज़िरजवाबी. इस सबके अलावा बचपन से श्यामक डावर के स्टूडेंट रहे सुशांत ने डांस सिखाया भी, सीखा भी. ये सब मणिपुर को दे गया कुछ ऐसी यादें जो आप बार-बार देखना चाहेंगे.
अफ़शां अंजुम एनडीटीवी के खेल विभाग में न्यूज एडिटर हैं...
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