चुनावी साल में घोषणाओं की झड़ी लगाकर मोदी सरकार ने सर्दी में सावन का एहसास करा दिया. अभी दो दिन भी नहीं हुए थे इस ख़बर को पढ़ते हुए कि देश में 45 वर्ष में बीते वित्तवर्ष सबसे ज्यादा बेरोज़गारी दर्ज की गई है. वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने तमाम आलोचनाओं को खारिज करते हुए अपने भाषण में सपनों का संसार गुलाबी कर दिया. उनकी प्रत्येक घोषणा के साथ ही PM नरेंद्र मोदी अपनी टेबल पर थाप दिए जा रहे थे. ऐसा लग रहा था, जैसे कह रहे हों - शाबास! मैंने कर दिखाया. किसानों को, जिनके पास दो हेक्टेयर से कम ज़मीन है, उनके खाते में 6,000 रुपये प्रतिवर्ष सरकार जमा करा देगी. असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को प्रतिमाह 1,000 रुपये, 15,000 रुपये तक की सैलरी वाले को 3,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन, EPFO में बीमा सीमा छह लाख रुपये, करमुक्त ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की घोषणा... यह सब कुछ दिया वित्तमंत्री ने अपने भाषण में. किसानों के लिए की गई घोषणा दिसंबर, 2018 से लागू होगी, जबकि अन्य फायदों के लिए नई सरकार के बजट का इंतज़ार करना होगा.
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दरअसल, 2014 में सत्तासीन होने वाली मोदी सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों की अंतिम घोषणाएं कर रही है. किसानों के लिए हंगामा मचाने वाली कांग्रेस को मोदी सरकार ने तत्काल जवाब दे दिया है, लेकिन कांग्रेस का हमला जारी है. बजट के तुरंत बाद पी चिदम्बरम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर NDA सरकार पर जनता के बीच भ्रम फैलाने वाला बजट करार दे दिया. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहले ही कहा था, यह जुमला वाला बजट होगा. 'उज्ज्वला योजना' मोदी सरकार की एक दमदार योजना थी. इसका प्रचार-प्रसार UP चुनाव के दौरान खूब हुआ. मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए. प्रधानमंत्री ने इसका खूब जिक्र किया और अब भी इसका जिक्र चुनावी भाषणों का हिस्सा बन गया है. लेकिन इसमें जो सबसे बड़ी चुनौती सामने आई है, वह है गैस के लिए भुगतान उपभोक्ता को ही करना होता है. इस कारण कनेक्शन तो बंट गए, लेकिन उसके बाद काफी उपभोक्ताओं ने गैस को रीफिल नहीं करवाया.
5 रुपये में भरपेट खाना मिलने का दावा करने वाली कांग्रेस से BJP आज एक कदम आगे निकली
'हाउसिंग फॉर ऑल' शहरी क्षेत्र के ऐसे लोगों के लिए, जिनकी आमदनी 18 लाख प्रतिवर्ष से कम थी, को हाउसिंग लोन में छूट देकर घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया गया. उम्मीद की जा रही थी कि इससे निर्माण के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी और लोगों को उनके सपनों का घर मिल जाएगा. निश्चित रूप से इसका फायदा शहरी लोगों को मिला, लेकिन रीयल एस्टेट में जिस क्रांति की उम्मीद की जा रही थी, वह नहीं दिखी. 'आयुष्मान भारत' योजना मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है. इसे विश्व की सबसे बड़ी हेल्थकेयर योजना बताया जा रहा है. इसके तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रुपये तक का हेल्थकेयर बीमा दिया जाना है. केंद्र सरकार के सहयोग से इस योजना को देश के कई राज्यों ने लागू किया है, हालांकि कई राज्य ऐसे हैं, जहां यह योजना अभी लागू नहीं है. उन राज्यों में दिल्ली, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल शामिल हैं. दावा किया जा रहा है कि इस योजना का लाभ अभी तक 30 लाख से ज्यादा लोगों ने लिया है.
'वन रैंक, वन पेंशन' लागू करने का साहस हमने दिखाया - यह बात प्रधानमंत्री मोदी कई जनसभाओं में कह चुके हैं. चुनावी रैलियों से लेकर संसद तक में उनकी यह बात कई बार सुनी जा चुकी है. 'वन रैंक, वन पेंशन' की बात काफी समय से कही जा रही थी. कांग्रेस के समय में भी इस मसले को लेकर काफी बातें हुई थीं, लेकिन BJP ने इसे लागू करने का काम किया.
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किसानों के देश में किसान कर्ज माफी की राजनीति काफी पुरानी है. कई चुनाव किसानों के कर्जमाफी की घोषणा के दम पर जीते गए. हालिया चुनावों में भी मध्य प्रदेश और राजस्थान के घोषणापत्रों को देखा जा सकता है. इस चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि किसानों की कर्जमाफी तक मोदी जी को चैन से नहीं बैठने देंगे. हो सकता है, इसका असर हुआ हो. मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकार ने सत्ता संभालते ही अपने वादों को पूरा किया. इसके बाद तो कई राज्यों से किसानों के कर्जमाफी की ख़बर आने लगी. सरकार पर इसका असर हुआ और सरकार ने तेलंगाना में किसानों को दी जाने वाली सहायता का मॉडल अपनाने से गुरेज़ नहीं किया. यह किसानों के लिए अब तक की सबसे बड़ी योजना मानी जा रही है, जो तत्काल प्रभाव से दिसंबर, 2018 से लागू हो गई है. चुनाव में इसका क्या असर होगा, यह तो मई के दूसरे सप्ताह तक पता चल ही जाएगा.
देश के कई राज्यों में अलग-अलग जातियों के लोग आरक्षण की मांग काफी समय से करते आ रहे थे. एससी-एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर मध्य प्रदेश में अगड़ी जाति के लोगों ने काफी हंगामा किया था. बताया जा रहा है कि हालिया चुनाव में भी इसका असर हुआ. संसद में जब अगड़ी जाति के लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने का बिल लाया गया, तो कुछ विपक्षी दलों को छोड़कर लगभग सभी ने इसका समर्थन किया. हालांकि सदन में इस बात पर जमकर बहस हुई कि सरकार केवल चुनावी फायदों के लिए आरक्षण की बात कर रही है. वैसे मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा कर एक साथ कई मोर्चों पर फतेह पाने की कोशिश की. राम मंदिर, राफेल जैसे तमाम मुद्दे इस आरक्षण की आड़ में कमजोर हो गए. उम्मीद की जा रही है कि आरक्षण देने की घोषणा के साथ ही मोदी सरकार एक खास मतदाता वर्ग को अपने पाले में लाने में कामयाब होगी, हालांकि इसका सही मायने में पता तो लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा.
मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि हमारी दिशा सही और नीति स्पष्ट है, निष्ठा अटल है. हालांकि विपक्ष ने इसे एक और 'जुमला बजट' करार दिया है. खैर, यह पक्ष-विपक्ष का वार्तालाप लोगों के बीच सुना ही जाता रहेगा, लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार अपनी घोषणाओं और उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच किस तरीके से जाती है और जनता उनकी बातों पर कितना भरोसा करती है.
सुरेश कुमार Khabar.NDTV.com के संपादक हैं...
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