विज्ञापन
This Article is From Oct 05, 2017

कैसा होगा साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार विजेता...

Sudhir Jain
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 12, 2017 15:47 pm IST
    • Published On अक्टूबर 05, 2017 14:30 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 12, 2017 15:47 pm IST
साहित्य के नोबेल पुरस्कार का ऐलान  होने वाला है. ऐलान होते ही मानवता के पक्ष में उस साहित्यकार के योगदान की समीक्षा तो होगी ही. कुछ तो पुरस्कार देने वाली स्वीडिश अकादमी बताएगी कि उसने नोबेल साहित्यकार की रचनाओं में क्या देखा और उससे ज्यादा आलोचक और समीक्षक बताएंगे. जैसा हर बार होता है, संस्था के निर्णय पर टीका-टिप्पणियां भी होंगी. लेकिन इस पूरी कवायद में क्या इस बार यह बात भी हो सकती है कि विश्‍व स्तर की रचनाओं को जांचने-परखने की कोई कसौटी या मानदंड हमारे पास हैं या नहीं? या फिर इस बार भी वस्तुनिष्ठ की बजाए विषयगत तरीके से ही साहित्य आलोचना की रस्म निभाई जाएगी.

बाकी और क्षेत्रों से अलग है साहित्यकर्म
भौतिकी, रसायन, चिकित्सा,अर्थशास्त्र भौतिक जगत के विषय हैं. इन क्षेत्रों में किसी के योगदान का आकलन उतना बड़ा काम नहीं हैं. आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कौन सा अन्वेषण या अविष्कार मानवता के पक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. भौतिक जगत में प्रकृति के रहस्यों की खोज एक वस्तुनिष्ठ कार्य है, लेकिन विचारों और भावों की अभिव्यक्ति वाले साहित्य के योगदान का आकलन बहुत कठिन काम है. हर साल की तरह यही कठिन काम स्वीडिश अकादमी कर चुकी है और कुछ घंटों बाद अपना ऐलान करने जा रही है. लेकिन साथ ही साथ साहित्य के आलोचक-समालोचक संस्था के निर्णय पर भी टिप्पणियां जरूर करेंगे. बस अभी यह पता नहीं है कि वे किस आधार पर करेंगे या यूं कहें कि किन-किन आधारों पर करेंगे.

यह भी पढ़ें : जानिए क्या है बायोलॉजिकल क्लॉक, जिसके लिए 3 वैज्ञानिकों को मिलेगा नोबेल

अभी क्या आधार है हमारे पास
 मोटे तौर पर साहित्य को हम कला का एक रूप मानते हैं. जिस तरह कला की समीक्षा के आधार नहीं बन पाए हैं, उसी तरह साहित्य की समीक्षा के लिए भी स्पष्‍ट आधार उपलब्ध नहीं हैं. एक अवधारणा रूपी आधार जरूर मिलता है कि कला का सौंदर्य पक्ष और उपयोगिता या उपादेयता वाला पक्ष देख लिया जाए. हालांकि अपने देश में दशकों से साहित्य के वि़द्यार्थियों को हम सौंदर्य और साहित्य की शास्त्रीयता पढ़ाते आ रहे हैं. विचारों का वज़न लिए जो साहित्यिक रचनाएं और साहित्यकार हमने चुनकर रखे हैं उनमें भी पूरा जोर भाषा, शैली और बारीकी से छंद, अलंकार बिंब विधान पर होता है. लेकिन फिलहाल नोबेल पुरस्कार के लिए जिस साहित्य या साहित्यकार का चुनाव होकर हमारे सामने आने वाला है, उसकी रचनाओं की विषयवस्तु प्रमुखता से हमारे सामने रखी जाएगी. नोबेल पुरस्कार की चयन प्रकिया में यही आधार एक परंपरा बनकर हमारे सामने है.

यह भी पढ़ें :चोरी हुआ नोबेल पुरस्कार वापस करे चोर, यह देश की धरोहर है : कैलाश सत्यार्थी

कला की परिभाषाओं के जिक्र का मौका
यह अच्छा मौका है कि साहित्य खास तौर पर कथा साहित्य की परिभाषाओं की चर्चा कर ली जाए. अपने देश में माध्यमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर की कक्षाओं तक एक प्रचलित परिभाषा यह है कि साहित्य समाज का दर्पण है. क्या इस साल के नोबेल साहित्यकार की रचनाओं में अपने मौजूदा मानव समाज को हम देखेंगे? अपने प्रेमचंद और रूस के चेखोव को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला लेकिन उनकी रचनाएं जिस तरह से समाज का दर्पण थीं. वैसी रचनाओं की उम्मीद अब क्यों नही की जा सकती. कथाकार आस्कर वाइल्ड को भी इस मौके पर याद किया जा सकता है. उनका कहना था कि जटिल की सरल अभिव्यक्ति कला है. उस हिसाब से एक उम्मीद यह लगा सकते हैं कि इस बार कोई ऐसा साहित्यकार हमारे सामने आ रहा हो जो अपने समय की जटिल परिस्थितियों को कलात्मकता के साथ सरल बनाकर हमारे सामने लाने वाला हो. यह भी हो सकता है कि अपने समय के स्थूल विद्रूप और सूक्ष्म छदम को  उजागर करता हुआ कोई साहित्यकार हमारे सामने आने वाला हो.

शायद जीने का हौसला बढ़ाने वाला आ जाए
यह बात भी आस्करवाइल्ड की कही है कि साहित्य वह, जो जीने का हौसला बढ़ाए.  चारों तरफ से भय, असुरक्षा और बैर के अंदेशे से घिरे मानव को राहत देने के लिए एक ऐसे साहित्यकार की तलाश जान पड़ती है जो जीने का हौसला बढ़ाता हो. ऐसे समय में जब विश्व के हर कोने में अपनी-अपनी अस्मिताओं की रक्षा के नाम पर उनमें असुरक्षा का बोध बढ़ाया जा रहा हो, अगर कोई ऐसा साहित्यकार हमारे सामने आ जाए जो मानवता के पक्ष में सद्भाव की उपयोगिता को मन में बैठा जाए तो क्या कहने. कहने की जरूरत नहीं कि साहित्य के इस उपयोगितावादी पक्ष को साधने के लिए उस साहित्य का सौंदंर्य रूप अपरिहार्य होगा ही. क्या वाकई साहित्य का कोई सत्यम सुंदरम रूप हमें बताया जाने वाला है.  

वीडियो : नोबेल अवार्ड विजेता कैलाश सत्‍यार्थी के घर में चोरी

सुधीर जैन वरिष्ठ पत्रकार और अपराधशास्‍त्री हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
क्या लापता लेडीज के संवादों का कायल होगा ऑस्कर!
कैसा होगा साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार विजेता...
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी बेहद नामचीन खानदान था, कैसा रहा है उसका क्राइम साम्राज्य
Next Article
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी बेहद नामचीन खानदान था, कैसा रहा है उसका क्राइम साम्राज्य
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com