विदेश सचिव एस जयशंकर ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की शुरू की हुई परंपरा को बरक़रार रखा है. सुषमा स्वराज विदेशों में मुश्किलों में फंसे भारतीयों की मदद ट्विटर के ज़रिए करती रहीं और इस वजह से काफी लोकप्रिय भी हुईं. पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर के विदेश मंत्री बनने के बाद क़यास ये लगे कि क्या वो स्वराज के शुरू किए आम लोगों की फ़ौरी मदद का ये ज़रिया, ये तरीक़ा बरक़रार रखेंगे. लेकिन जयशंकर ने 48 घंटे के अंदर ये साफ कर दिया कि लोगों के लिए विदेश मंत्री से ट्विटर के ज़रिए मदद मांगने का रास्ता खुला हुआ है. असल में इस एक कदम के कई मायने हैं. इलीट और आम लोगों की पहुंच से बहुत दूर माना जाने वाल विदेश मंत्रालय पहली बार लोगों से इस तरह से जुड़ा. भारतीय अर्थव्यवस्था के खुलने के बाद बड़ी संख्या में भारतीय देश के बाहर काम के लिए जाने लगे. और अब तो कई मल्टीनैशनल कंपनियां यहां पर काम करती हैं और भारतीय कर्मचारियों के लिए विदेश जाना आम बात है.
पर्यटन के लिए भी लोग बड़ी संख्या में बाहर जाते हैं. ऐसे में समस्याओं की तादाद भी बढ़ी है. और कई बार देश के बाहर दूतावास या कंसुलेट से मनमाफिक मदद न मिलने से आम लोगों को लगता था कि इस मंत्रालय से न सुनवाई है न जुड़ाव. लेकिन सोशल मीडिया पर जब सुषमा स्वराज ने लोगों की मदद शुरू की तो जुड़ाव भी हुआ और सुदूर भारतीय दूतावासों तक के काम में चुस्ती आई. और काम की प्रशंसा और पहचान भी हुई.
ऐसे में इस तरह के काम को जारी रखना न सिर्फ मंत्रालय और मंत्री को लोगों से जोड़ता है बल्कि मंत्री के लिये एक राजनीतिक समर्थन और विश्वास भी जुटाता है. नए विदेश मंत्री ख़ुद भी करियर डिप्लोमैट रहे हैं. अब उन्हें गुजरात से राज्य सभा में लाने की तैयारी है. ऐसे में सोशल मीडिया के ज़रिए उन्हे लोगों से जुड़ने का, अपनी बात कहने का मौका भी मिलेगा.
(कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...)
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