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FT-OCCRP रिपोर्ट : अदाणी ग्रुप के खिलाफ एजेंडा लेकर फिर आ गए प्रोपगैंडा वाले

Sanjay Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    May 24, 2024 00:30 IST
    • Published On May 24, 2024 00:30 IST
    • Last Updated On May 24, 2024 00:30 IST

ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) अपने सहयोगी फाइनेंशियल टाइम्स (Financial Times)के साथ सीक्रेट एजेंडा लेकर वापस आ गया है. उनका एजेंडा भारत के व्यापार समूह अदाणी ग्रुप को टारगेट करना है, जो दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समूहों में शामिल है. और यह सब इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के नाम पर हो रहा है. ये काफी शर्मनाक है.

OCCRP का पुराना और रिसाइकिल किया हुआ तर्क यह है कि जनवरी 2014 में अदाणी ग्रुप ने इंडोनेशिया से लो-ग्रेड का कोयला खरीदा. ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए ग्रुप ने इसे हाई-ग्रेड कोयले के रूप में तमिलनाडु सरकार की मालिकाना हक वाली कंपनी तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन को बेच दिया.

यह ध्यान देने वाली बात है कि 'फाइनेंशियल टाइम्स' ने अपनी न्यूज रिपोर्ट में क्या लिखा है, जिससे उनका मकसद साफ पता चलता है. रिपोर्ट में कहा गया है: "ताजा खुलासे ऐसे समय में हुए हैं, जब अदाणी ग्रुप खुद को एक बड़े रिन्यूएबल एनर्जी प्लेयर के तौर पर रिब्रांड करना चाहता है. इसमें पाकिस्तान बॉर्डर के पास खावड़ा में दुनिया के सबसे बड़े सोलर और विंड पार्कों का निर्माण भी शामिल है."

सवाल ये है कि वो किसके हितों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं. खासकर जब फाइनेंशियल टाइम्स का दावा है कि उसने वैश्विक पर्यावरणीय आयामों की चिंता की वजह से अदाणी ग्रुप के कोयला आयात का मुद्दा उठाया है. अगर फाइनेंशियल टाइम्स पर्यावरण से जुड़े चिंताओं को लेकर अपनी दावों के प्रति गंभीर है, तो उसे अदाणी ग्रुप की ग्रीन एनर्जी वेंचर की तारीफ करनी चाहिए, जिसपर ग्रुप अच्छा-खासा पैसा खर्च कर रहा है. ऐसे में लगता है कि फाइनेंशियल टाइम्स के एडिटर्स और उनके काल्पनिक कंटेंट सप्लायर को निश्चित रूप से कुछ ट्यूशन की जरूरत है.

अपनी रिपोर्ट में FT आगे लिखता है- "निष्कर्षों से भारत में गौतम अदाणी समेत अरबपतियों की ताकत और उसके प्रभाव के बारे में एक तीव्र राजनीतिक बहस होने की संभावना है. क्योंकि जिस चुनाव में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरे कार्यकाल की उम्मीद कर रहे हैं, उसी के कैंपेन के समय अदाणी का नाम और उनकी संपत्ति का जिक्र आया है." 

एक बार फिर से फाइनेंशियल टाइम्स के एडिटोरियल बोर्ड और OCCRP के फंडर्स (जिसमें जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर ब्रदर्स फंड और ओक फाउंडेशन शामिल हैं) अपनी कोशिशों में नाकाम हुए. वो महीनों पहले खत्म हो चुकी बहस में नया मसाला डालकर उसे जिंदा करने की कोशिश कर रहे थे.

कांग्रेस पार्टी, उसके नेता राहुल गांधी, उनके भरोसेमंद और पार्टी के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के चीफ जयराम रमेश ने तुरंत इस मुद्दे को पकड़ लिया. उन्हें शायद उम्मीद थी कि कांग्रेस को कुछ तो मिला, जिसका इस्तेमाल लोकसभा चुनाव के बाकी बचे दो फेज में पीएम मोदी के खिलाफ किया जा सकता है.

हालांकि, एक को-ऑर्डिनेटेड और रिसाइकल की गई रिपोर्ट के इर्द-गिर्द हो-हल्ला मचाने के समन्वित कोशिश से कुछ हासिल नहीं हुआ. जो हुआ, उससे उन्हें बहुत निराशा हुई. शेयर मार्केट में अदाणी ग्रुप के लिए पॉजिटिव अप्रोच दिखा. इंवेस्टर्स, जिनमें फॉरिन इंवेस्टर्स भी शामिल हैं... शायद पश्चिमी मीडिया की ऐसी फर्जी कॉलों और तथाकथित 'इंवेस्टिगेटिव' ग्रुप से उब चुके थे. इस मामले में इंवेस्टर्स की ओर से दिखाए गए मार्केट सेंटीमेंट वास्तव में पब्लिक सेंटीमेंट को मापने के लिए एक बैरोमीटर भी है.

तथाकथित 'इंवेस्टिगेटिव' ग्रुप का मानना ​​था कि प्रधानमंत्री मोदी और अदाणी के बीच कथित नजदीकी का संकेत देकर वे मौजूदा शासन की बेदाग छवि को नुकसान पहुंचाने में कामयाब होंगे.

रिपोर्ट आने के बाद हाल के महीनों में अदाणी एंटरप्राइजेज समेत अदाणी ग्रुप के शेयरों के सबसे अच्छे दिन रहे. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 8.01% उछलकर 3,391.20 रुपये पर पहुंच गया. इससे सेंसेक्स में अदाणी एंटरप्राइजेज को शामिल करने को लेकर चल रही चर्चा से मदद मिली.

अदाणी ग्रुप के दूसरे शेयरों पर एक नज़र डालें- NDTV के शेयर 7.56% बढ़े. अदाणी पोर्ट्स के शेयर में 4.72% का इजाफा हुआ. ACC के शेयर 2.86% चढ़े. अदाणी पावर के शेयरों में 2.79% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. अदाणी टोटल गैस का शेयर प्राइस 2.30% बढ़ा. अंबुजा सीमेंट्स के शेयरों में भी 2% का उछाल आया. इसके अलावा अदाणी ग्रुप के दूसरी कंपनियों के शेयरों में भी उछाल आया. इससे कुल मिलाकर अदाणी ग्रुप का ज्वॉइंट मार्केट कैप 17.23 लाख करोड़ रुपये हो गया.

साफ तौर पर इंवेस्टर्स ने तमिलनाडु सरकार की मालिकाना हक वाली बिजली कंपनी को कोयले की सप्लाई में गड़बड़ी के फाइनेंशियल टाइम्स-OCCRP के दावों को खारिज कर दिया है. यही नहीं, आइकॉनिक ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन कैंटर फिट्जगेराल्ड (Cantor Fitzgerald)ने कहा कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट 'सिर्फ शोर के लिए है.'

कांग्रेस पार्टी ने मार्केट सेंटीमेंट की परवाह किए बिना ऐलान किया कि वह सत्ता में आने के एक महीने के अंदर एक ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (JPC) बनाएगी. यह साफ तौर पर जनता के साथ कांग्रेस पार्टी के अलगाव को दिखाता है.

31 अगस्त 2019 को OCCRP के एक ट्वीट में राहुल गांधी और कांग्रेस के साथ इसके सहयोग की एक झलक दिखी थी- "हमारी नवीनतम जांच के जवाब में भारत की सबसे बड़ी पार्टी के नेता राहुल गांधी अदाणी ग्रुप के बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे... इसे भारतीय समयानुसार (IST) शाम 5 बजे लाइव देखा जा सकेगा." इस ट्वीट में राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का यूट्यूब लिंक भी अटैच किया गया था.

दिक्कत यह है कि INDIA गठबंधन (जिसमें कांग्रेस भी शामिल है) के किसी भी नेता ने फाइनेंशियल टाइम्स-OCCRP रिपोर्ट पर कांग्रेस के नए दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

यह भी याद रखें कि पिछले साल कांग्रेस ने पूरे बजट सत्र में रुकावट डाली थी. यहां तक ​​कि संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहले संबोधन पर संवैधानिक रूप से अनिवार्य चर्चा भी नहीं होने दी. तब शरद पवार, ममता बनर्जी जैसे गठबंधन के अन्य सहयोगी कांग्रेस के इस फैसले से असहमत हुए थे.

वे भूल जाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए चुनाव जीतने का मतलब मतदाताओं के साथ रिश्ता बनाना है, जो उन्होंने कड़ी मेहनत से बनाया है. ये उन्होंने विश्वसनीयता, निष्पक्षता और पारदर्शिता रखते हुए हासिल किया है. देश की जनता को इसी वजह से पीएम मोदी के विजन पर भरोसा है. कांग्रेस को गलतफहमी है कि वो विदेशी जमीन पर तैयार हुई फर्जी और मनगढ़ंत रिपोर्ट को हथियार बनाकर उस रिश्ते को तोड़ सकती है.

Disclaimer: संजय सिंह दिल्ली में सीनियर जर्नलिस्ट हैं. ये लेखक के निजी विचार हैं.

(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)

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