संजय किशोर का स्ट्रेट ड्राइव : धोनी पर फिर यकीन करने को दिल चाहता है

नई दिल्ली : एक टीवी चैनल पर दिखाए जाने वाले एक विज्ञापन में भारतीय वर्ल्डकप टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कहते हैं, "मुझे यकीन है... मुझे यकीन है कि थकान और प्रेशर सिर्फ भ्रम हैं... मुझे यकीन है कि हार और जीत का फासला बड़ा है, लेकिन नामुमकिन नहीं..." और कप्तान के इसी यकीन के कारण सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी भी कह रहे हैं, "इस बार भी कप हमारा है..."

लंबे बालों वाले एक पतले-दुबले लड़के को खुद पर यकीन ने ही 'रांची के राजकुमार' से देश का सबसे कामयाब कप्तान बना दिया। वर्ष 2007 में टीम का कप्तान बनते ही उसने भारत को आईसीसी वर्ल्ड टी-20 चैम्पियन बना दिया। आपको याद होगा कि पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में किस तरह उसने किसी की भी न सुनते हुए आखिरी ओवर गैर-अनुभवी जोगिन्दर सिंह को थमाया, जिसने कप्तान, टीम और देश को निराश नहीं किया। धोनी ने बाद में कहा, यह फैसला उन्होंने अपने अंदर की आवाज़ के कहने पर लिया था।

वर्ष 2011 में हुए वर्ल्डकप के फाइनल में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में जीत का हेलीकॉप्टर छक्का उनकी उपलब्धियों पर हस्ताक्षर था। शायद इस बार महेंद्र सिंह धोनी करियर का आखिरी वर्ल्डकप खेल रहे हैं, और चुनौती कहीं बड़ी है। वर्ल्डकप से ठीक पहले ट्राई-सीरीज़ में करारी हार के बाद खिलाड़ियों के फॉर्म पर सवाल उठ रहे हैं। कई अहम खिलाड़ी अनफिट भी हैं। डेढ़ महीने के दौरे के बाद भी ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की तेज़ और बाउंसी पिचों के अभ्यस्त नहीं हो पाए हैं। लेकिन इसके बावजूद धोनी टीम से कह रहे हैं - खुद पर यकीन करो।

और इस बार तो पहला इम्तिहान ही वर्ल्डकप फाइनल से कम नहीं। आलोचक और विरोधी भी यही कह रहे हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच हाई-प्रोफाइल और एक्शन से भरपूर मुकाबले के लिए धोनी जैसा शांत और संयमित कप्तान सबसे बड़ा फैक्टर होगा। तो देखते हैं, क्या वर्ल्डकप में पाकिस्तान से नहीं हारने का रिकॉर्ड कायम रह पाएगा...?

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इतिहास भरोसा दिलाता है। वर्ष 2007 में हुए वर्ल्ड टी-20 में धोनी की कप्तानी में भारत ने पाकिस्तान को दो बार हराया था। वर्ष 2011 के वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में भी पाकिस्तान को बाहर का रास्ता दिखाया, और इन मौकों पर कप्तान धोनी ही थे, इसलिए इस बार भी दिल कह रहा है - यकीन करो टीम पर।