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This Article is From Jun 13, 2015

सीएम अखिलेश को रवीश कुमार की चिट्ठी : 'पढ़ते ही राममूर्ति को सस्पेंड करें'

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    जून 15, 2015 16:07 pm IST
    • Published On जून 13, 2015 22:15 pm IST
    • Last Updated On जून 15, 2015 16:07 pm IST
आदरणीय अखिलेश जी,

इस उम्मीद से यह ख़त लिख रहा हूं कि पढ़ते ही आप मंत्री राममूर्ति वर्मा को सस्पेंड कर देंगे। पद और पार्टी दोनों से।

43 साल के एक नौजवान मुख्यमंत्री को एक साधारण सा फ़ैसला करने में इतनी दिक्कत आ रही है, मैं समझना नहीं चाहता। जिसे जला दिया गया उसके जैसी विवशता तो आपकी नहीं हो सकती। जिस उत्तर प्रदेश की जनता ने एक नौजवान नेता पर भरोसा कर अपना राज्य सौंप दिया, वह एक मंत्री को हटाने से पहले यह सोचे कि हटाने से लोध मतदाता क्या कहेगा, उस जनता का अपमान होगा। यह अपमान लोध बिरादरी का भी होगा।

मुझे भरोसा है कि लोध बिरादरी भी वर्मा को इसलिए अपना नेता नहीं मानती होगी कि वह पत्रकार या किसी को भी जलाने की साज़िश में शामिल हो। अगर लोध समाज वर्मा का समर्थन करता है तो आप कह दीजिए कि मुझे ऐसी जनता का वोट नहीं चाहिए, बल्कि राममूर्ति को हटाकर लोध बिरादरी को एक सार्वजनिक पत्र लिखिए कि आपको बदनामी से बचाने के लिए हटाया है।

मैं सिर्फ इसलिए नहीं कह रहा कि जगेंद्र पत्रकार थे। कितने पत्रकारों के साथ नाइंसाफी होती है, मैं कहां बोलता हूं। कोई कहां बोलता है? मध्य प्रदेश में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्र अपने वाइस चांसलर के ख़िलाफ़ फेसबुक पर अभियान चला रहे हैं, कौन पूछ रहा है। दिल्ली में एक न्यूज़ एंकर आत्महत्या की कोशिश करती है, तो सब चुप ही रहते हैं। समझ नहीं पाता कि किससे कहा जाए।

हम आपकी तकलीफ़ तो दुनिया को बता सकते हैं मगर जब अपनी बारी आती है तो चुप ही रहना होता है। कई पत्रकार संस्थानों से लतिया कर धकिया कर निकाल दिए जाते हैं। कई को महीनों की तनख्वाह नहीं मिलती। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफ़ारिशें दुर्गति का शिकार हो गईं। हमें नियति मानकर इसे स्वीकार करना पड़ता है। आप प्रेस कॉन्फ्रेंस कीजिए हम सब आ जाएंगे। पत्रकार कॉन्फ्रेंस करेगा तो पत्रकार ही नहीं आएगा। पत्रकार के लिए न तो सरकार है न समाज।

मैं हर पत्रकार को यही कहता हूं कि तुम्हारा कोई नहीं है। समाज तुम्हें इस-उस पार्टी में बांट कर तुम्हारी हत्या को सही ठहरा देगा या चुप रह जाएगा। समाज तय करे कि उसे कैसी पत्रकारिता चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि पत्रकार अपनी हालत के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं। मुझे पता है कि कुछ लोग पत्रकारिता की आड़ में ब्लैकमेलिंग भी करते हैं और इस खेल में राजनीतिक दल भी शामिल रहते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि एक राज्य का मुखिया होने के नाते आपकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं। आप भी हमारी तरह लाचार साबित होंगे तो कैसे चलेगा।

जगेंद्र अब इस दुनिया में नहीं हैं। उसे जलाया गया। आप उस मामले के आरोपी के साथ अपनी कैबिनेट में पांच मिनट के लिए भी कैसे बैठ सकते हैं। आप राममूर्ति वर्मा को बाहर कर देंगे तो वे कोई पहले मंत्री नहीं होंगे, जिन्हें आरोप लगने पर हटाया जाएगा। राममूर्ति वर्मा की ख़ासियतों के बारे में किसी भी पत्रकार से ज्यादा आप जानते होंगे। इसके लिए जांच की ज़रूरत भी नहीं होगी।

अगर आप राममूर्ति को नहीं हटा सकते तो एक काम कीजिए। आपको सबसे आसान तरीका बताता हूं। जगेंद्र के घर जाइए और उसके बच्चों को अपनी मजबूरी बता दीजिए। रही बात जांच, आरोप और फ़ैसले की तो मुझे उस पर कुछ नहीं कहना है। मैं जानना चाहता हूं कि जो जला दिया गया उस मामले में आप क्या करने वाले हैं। मैं कौन होता हूं यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है कि आप एक राज्य के मुख्यमंत्री है जिसके एक नागरिक को जलाने के लिए पुलिस और गुंडे एक साथ गए थे।

200 से ज़्यादा विधायकों वाले दल के नेता का राजनीतिक सफ़र बहुत लंबा है। राममूर्ति वर्मा जैसे नेता महज़ एक पड़ाव भर हैं। आशा है इस पत्र के बाद आपको हटाने में आसानी होगी। एक गुज़ारिश और है सर। जब हटाइएगा तो उस आदेश पत्र में मेरी ये चिट्टी नत्थी कर दीजिएगा।

आपका,
रवीश कुमार

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