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This Article is From Apr 27, 2016

यामाहा RX100 भी कोई सपना है !

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 27, 2016 17:00 pm IST
    • Published On अप्रैल 27, 2016 16:59 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 27, 2016 17:00 pm IST
यामाहा RX100 और वो भी चमकती हुई। ऐसा लगा जैसे यादों के किसी कोने में यामाहा की छवि लौट कौंध गई हो। पर बाइक तो साक्षात ही दिख रही थी। स्टेनलेस स्टील के पैनल, हैंडल, गार्ड सब चमक रहे थे जैसे अभी-अभी कारख़ाने से बनकर आए हों। तब ये बाइक जापान बनकर आती थी।  इंड सुज़ुकी, बजाज कावासाकी, हीरो होंडा। इन सबसे लड़ते-हारते यामाहा RX100 अपने क़द्रदानों के बीच लोकप्रिय बनी रही।

मुंबई के परेल इलाक़े में मोहल्लों की पड़ताल करते हुए घूम रहा था तभी एक चाय वाले की दुकान के पास ये बाइक नज़र आई। चहक कर पूछा कि ये आपकी है ? दुकानदार ने कहा कि नहीं, इन भाई साहब की है। भाई साहब पाल्थी मारकर कान में ब्लू टूथ लगाए किसी और दुनिया में चले गए थे। सिगरेट के पैक के ऊपर फोन और फोन के ऊपर लाइटर। बातचीत शुरू हुई तो बताया कि छोटा था तो सोचा था कि जब बड़े होकर पैसे कमाऊंगा तब यामाहा RX100 ही ख़रीदूंगा। जब बड़ा हुआ तो पता चला कि ये बाइक ही बननी बंद हो गई है।
 

अक्षय सावंत ने अपने सपने को छोड़ा नहीं। बहुत खोजने के बाद अक्षय ने इसे तीस हज़ार में ख़रीद लिया। 1990 की है और 2016 में ऐसे चमक रही है जैसे देश में मेड इन जापान का चस्का अब भी बचा हो। अक्षय ने इसे नया करने में सत्तर हज़ार और लगाए। कुल एक लाख में अपना सपना पूरा कर लिया।

तीस साल पहले ख़ासकर उत्तर भारत के नौजवानों का भी ऐसा ही सपना था मगर वो बड़ा होकर अपनी कमाई से ख़रीदने का नहीं। बहुत कम लोगों ने मेहनत की कमाई से ये बाइक ख़रीदी थी। भ्रष्टाचार और दहेज ने इन तमाम बाइकों को बड़ा बाज़ार दिया। आज के राष्ट्रभक्त अस्सी के दशक में जब आदिम अवस्था में थे तब दहेज में यामाहा और हीरो होंडा का ही ख़्वाब देखते थे। तिलक समारोह में इस बाइक का अलग से प्रदर्शन होता था। तब कार राष्ट्रवाद की आत्मा में नहीं समाई थी इसलिए इंजीनियर से लेकर मास्टर बने नौजवान दहेज में बाइक ही मांगा करते थे ।

आज भी बाइक का एक बड़ा बाज़ार दहेज ही है लेकिन अब लोगों के पास मेहनत की भी कमाई है। बहुत से लोग ख़ून-पसीने को जोड़ कर बाइक ख़रीद रहे हैं। अपने नज़दीक के कार और बाइक के डीलर से पता कीजियेगा कि शादी के दिनों में इनकी बिक्री क्यों बढ़ जाती है ? नारी को देवी और भारत को माता समझाने वाले कहीं इनके बदले अपनी शादी का सौदा तो नहीं कर रहे? तल्ख़ बात इसलिए कर रहा हूं ताकि भारत की बेटियां अपने भावी जीवनसाथियों से ये सब सवाल भी पूछ लें। इससे पता चलेगा कि कौन किसी से ज़बरन वसूल कर अपने सपने पूरे करता है और कौन अक्षय सावंत की तरह कई साल इंतज़ार करता है। यामाहा RX100 ख़रीदता है।

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