पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या से संबंधित एफआईआर में 27 लोगों के नाम हैं, 50-60 लोग अज्ञात बताए गए हैं मगर गिरफ्तारी चार की हुई है. यानी 87 नाम, अनाम लोगों में से मात्र 4 गिरफ्तार हुए हैं. मुख्य आरोपी भी गिरफ्तार नहीं हुआ है. दूसरा सुबोध कुमार सिंह की हत्या के सिलसिले में कई वीडियो आए हैं. हमारे सहयोगी सौरव शुक्ला ने आज एक और वीडियो भेजा. इस वीडियो में सुमित के बारे में पता चलता है. सुबोध कुमार सिंह के साथ-साथ सुमित की भी मौत हुई थी. वीडियो में सुमित खाकी रंग की पतलून में है. पत्थर लेकर पुलिस को मार रहा है. बहुत सारे लड़के पत्थरों से पुलिस को दौड़ाते हुए खेतों की तरफ ले गए हैं. तभी दिखता है कि सुमित को गोली लगी है. यानी पुलिस की गोली से पहले सुमित पुलिस पर पत्थरों से हमला कर रहा था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री राहत कोष से सुमित को भी दस लाख की सहायता राशि दी है.
बुलंदशहर की घटना से जुड़े वीडियो को बार-बार देखिए, आपको उस समाज का चेहरा दिखेगा जिसकी तैयारी में राजनीतिक संगठन, न्यूज़ चैनल भी ज़ोर शोर से लगे हैं. हम भीड़ की हर हिंसा से सामान्य होते गए शायद मारा जाने वाला हमारे मोहल्ले का नहीं था, हमारे मज़हब का नहीं था, लेकिन अब इस भीड़ का शिकार मुस्लिम भी हो चुके हैं, हिन्दू भी हो चुके हैं. गाय के नाम पर भीड़ पहलू ख़ान को भी मार चुकी है, गाय के नाम पर सुबोध कुमार सिंह भी मारे जा चुके हैं. इसलिए इन वीडियो को बार-बार देखिए ताकि आप उन लड़कों को देख सकें जिन्हें हत्यारा बनाने के लिए भीड़ बनाई जा रही है. इस भीड़ में सिर्फ लड़के हैं. 18-20 साल के लड़के. हर तरह के भय से आज़ाद. पुलिस का डर चला गया है. उन मुकदमों का भी जिनके कारण इन नौजवानों का भविष्य प्रभावित हो सकता है. इस भीड़ में कोई बड़ा नेता नहीं है. बड़ा नेता इन्हें विचारधारा की गोली देकर अपना काम कर चुका है. किसी को इसकी चिन्ता नहीं है कि कथित रूप से गोकशी के मामले में कौन शामिल है, बस जो भी सामने है वही आरोपी है. आज इन नौजवानों में से कई हत्या के आरोप में भागे-भागे फिर रहे होंगे. जिनकी बंदूक से गोली चली और सुबोध कुमार सिंह की मौत हुई, वो ज़िंदगी भर अपने गुनाह से भागता रहेगा. हत्यारा बनने के बाद बड़े नेता भी दूरी बना लेंगे.
कई तरह के वीडियो मिले हैं. एक वीडियो में आवाज़ सुनाई दे रही है कि कथित रूप से मांस कहां से आया, कौन लाया, किसने काटा. पुलिस जांच कर रही है. जिनके खेत में मांस मिलने की खबर आई थी वो झगड़ा नहीं चाहते थे, लेकिन दूसरे गांव से लोग झगड़े के लिए आ गए. आने से पहले उनकी पूरी तैयारी दिखती है. ट्रैक्टर, कट्टे, हथियार, पत्थर, डंडे सब लेकर आए थे.
इसका वीडियो देखना कलेजे पर पत्थर रखने जैसा है. खेत में जीप खड़ी है. वीडियो देखने से लगता है कोई पिस्टल लेकर सुबोध कुमार सिंह के करीब जाता है. गोली की आवाज़ आती है मगर कैमरा जब इस अधिकारी के पास पहुंचता है तो वह आदमी फ्रेम से हट जाता है. पीछे चला जाता है. आवाज़ आती है अरे ये तो एसओ. इसके बाद सब भागने लगते हैं.
मंगलवार की रात में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर की घटना को लेकर विशेष बैठक बुलाई. इस घटना के बाद जो प्रेस रिलीज़ जारी की गई है उसमें सुबोध सिंह का नाम तक नहीं है. प्रेस रिलीज़ में लिखा है- यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर बुलंदशहर की घटना के संबंध में मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव, गृह, अपर पुलिस महानिदेशक के साथ बैठक की. मुख्यमंत्री जी ने इस घटना की समीक्षा कर निर्देश दिए हैं कि इसकी गंभीरता से जांच कर गोकशी में संलिप्त सभी व्यक्तियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि घटना एक बड़े षड्यत्र का हिस्सा है. गोकशी से संबंध रखने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी तत्वों को समयबद्ध रूप से गिरफ्तार किया जाए. उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि अभियान चलाकर माहौल खराब करने वाले तत्वों को बेनकाब कर इस प्रकार साज़िश रचने वालों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की जाए.
यह साफ नहीं कि अभियान चलाकर माहौल खराब करने वाले तत्व कौन हैं? क्या मुख्यमंत्री भीड़ के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे हैं तो फिर सुबोध कुमार सिंह का नाम इस प्रेस रिलीज़ में क्यों नहीं है. गोकशी में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात है, मगर सुबोध कुमार सिंह की हत्या में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात इस रिलीज में नहीं है. यह भी तथ्य है कि पुलिस सुबोध कुमार सिंह की हत्या की जांच के लिए एसआईटी बना चुकी है और मुख्यमंत्री ने उनके परिवार को 50 लाख मुआवज़ा और एक सदस्य को नौकरी की बात कही है. हमारे सहयोगी सौरभ शुक्ला इस घटना की लगातार रिपोर्टिंग कर रहे हैं. उन्होंने उन सात लोगों का पता किया जिनके नाम गोकशी वाली एफआईआर में हैं.
सौरव शुक्ला का कहना है कि गौकशी के मामले में शिकायतकर्ता योगेश राज है. जबकि खेत राजकुमार प्रधान का था. हो सकता है कि मौके की नज़ाकत को देखते हुए सुबोध कुमार सिंह ने उन नामों को दर्ज कर लिया जिनके सही होने पर विवाद हो रहा है. यही नहीं नयाबास गांव के दो बच्चों के नाम भी एफआईआर में डाल दिए गए हैं. एक 11 साल का है और दूसरा 12 साल का है. उनके पिता ने सौरभ से कहा कि इतने छोटे बच्चे ये काम नहीं कर सकते हैं और ये तो उस समय बुलंदशहर गए थे.
हमारे सहयोगी सौरभ शुक्ला ने राजकुमार प्रधान की पत्नी से बात की थी, जिनके खेतों में मांस फेंका गया था. उन्होंने सौरव से यही कहा कि हम मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे. लेकिन भीड़ आ गई और ज़बरदस्ती ट्राली में डालकर आगे ले गई. यह भीड़ किस इरादे से आई थी, बताने की ज़रूरत नहीं है. राजकुमार प्रधान के खेत के बगल में प्रेमजीत का भी खेत है. वहां भी मांस के टुकड़े पड़े थे. प्रेम जीत सिंह ने ही सौरभ से बात करते हुए बजरंग दल का नाम लिया.
एफआईआर में जिनके नाम हैं उनमें से एक योगेश राज के बारे में मीडिया में अब काफी डिटेल है. प्रिंट, वायर, स्क्रोल की साइट पर योगेश की तस्वीरें और ट्वीट हैं. वह संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेता हुआ दिखता है तो जीप पर लाठी लेकर तस्वीर खिंचा रहा है. बजरंग दल का ज़िला संयोजक है. लेकिन पुलिस अपनी तरफ से किसी संगठन का नाम नहीं ले रही है. क्या पुलिस को उन संगठनों का नाम लेने में डर लग रहा है. मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडीजी ला एंड आर्डर आनंद कुमार ने क्यों कहा कि संगठन महत्वपूर्ण नहीं है. संगठन का नाम लेना कदापि उचित नहीं है, यह बात दुनिया के किस पुलिस मैन्युअल में लिखी है. यह कायदा कब बना है. सुबोध राज फरार है. मगर उसका बयान व्हाट्सऐप पर चल रहा है. वो काफी ठीक है. वीडियो में नहाया धोया लगता है. गुलाबी कुर्ते में दिख रहा है. निश्चिंत भी दिख रहा है. इसलिए योगेश की चिन्ता करने की ज़रूरत नहीं है.
एफआईआर में योगेश राज के अलावा 26 और नाम हैं. एफआईआर के एक हिस्सा में लिखा है- भीड़ के नामित उपरोक्त व्यक्ति हिंसा के लिए भड़काते रहे, जिसमें इस भीड़ के समूह में सम्मिलित सभी लोगों द्वारा उपरोक्त व्यक्तियों के नेतृत्व में एक राय होकर अवैध असलहों, धारदार हथियारों, लाठी डंडों से जान से मारने की नीयत से हम पुलिस वालों पर हमला कर दिया जिसमें प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह को गोली मारकर व गम्भीर चोट पहुंचाई तथा प्रभारी निरीक्षक स्याना को घेकर उनकी निजी लाइसेन्सी पिस्टल व तीन मोबाइल फोन एक में सरकारी सीयूसी सिम था, को भी छीनकर ले गए तथा लगातार फायरिंग करते रहे. सरकारी वायरलेस सेटों को तोड़ दिया व चौकी की सरकारी व प्राइवेट सम्पत्ति में आग लगा दी. क्षेत्राधिकारी स्याना अपनी जान बचाने के लिए जब चौकी के कमरे में घुसे तो भीड़ और उग्र हो गई और मारो मारो का शोर करते हुए चौकी में आग लगा दी. पुलिस लगातार आत्मरक्षार्थ पीछे हटती जा रही थी और अराजक तत्वों की उक्त भीड़ लगातार आक्रोशित और हमलावर होते हुए मारो मारो का शोर मचाते हुए बढ़ी जा रही थी.
भीड़ के पास पत्थर, कट्टे, गोलियां, हथियार कहां से आए? क्या ये सब अचानक मौके से जुटा लिया जाता है या किसी तैयारी का हिस्सा होता है. क्या सुबोध कुमार सिंह की छवि खास तरीके से गढ़ी गई थी जिसके चलते उन्हें निशाना बनाया गया. जिले भर के भाजपा नेताओं का एक पत्र मिला है जो उन्होंने इसी एक सितंबर को अपने सासंद भोला सिंह को लिखा था. पत्र के एक हिस्से में लिखा है- आपको अवगत कराना चाहते हैं कि प्रभारी निरीक्षक स्याना सुबोध कुमार सिंह का व्यवहार आम जनता के प्रति अभद्र है. क्षेत्र में चोरी, पशुचोरी, अवैध वाहन बढ़ते जा रहे हैं, क्षेत्र में वाहन चेकिंग के नाम पर नगर वासियों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है एवं अवैध वसूली की जा रही है. हिन्दुओं के धार्मिक कार्यों के आयोजन में अड़चन पैदा कर हिन्दू समाज में आक्रोश पनप रहा है. ऐसे पुलिस अधिकारी का तत्काल स्थानांतरण कराकर इनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही कराने की कृपा करें. समस्त नगर मंडल व ग्रामीण मंडल के पदाधिकारी आपसे अनुरोध करते हैं. तत्काल कार्यवाही कराएं.
इस पत्र पर बीजेपी के ब्लाक प्रमुख प्रभेंद यादव, भाजपा विधानसभा संयोजक, विजय कुमार लोधी, मंडल अध्यक्ष मुकेश भारद्वाज, भाजपा नगर महामंत्री संयज श्रोतिय के नाम हैं. दस्तखत भी हैं. मनोज त्यागी पूर्व सांसद का नाम है. सांसद ने पत्र मिलने की बात को स्वीकार किया है मगर क्या कुछ कार्रवाई भी की गई थी, इस बारे में नहीं बताया.
This Article is From Dec 05, 2018
बुलंदशहर में क्या जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की साजिश की गई?
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:दिसंबर 05, 2018 22:33 pm IST
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Published On दिसंबर 05, 2018 22:33 pm IST
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Last Updated On दिसंबर 05, 2018 22:33 pm IST
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