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This Article is From Apr 08, 2015

रवीश कुमार : प्यार में इंडिया गेट कितना अच्छा लगता है न...?

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    अप्रैल 13, 2015 17:25 pm IST
    • Published On अप्रैल 08, 2015 12:56 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 13, 2015 17:25 pm IST

नई दिल्ली : "झूठ नहीं बोलूंगी, कान तो मेरे भी गरम हो गए थे... उसकी पाव-भर नज़र ओर मेरी ढाई इंच की मुस्कान ने जादू शुरू कर दिया था..." दस मिनट की यह फिल्म ठीक दस साल पीछे ले जाती है... तब, जब इश्क ट्विटर पर ट्रेंड नहीं करता था, और यार, यार तो बस व्हाट्सऐप से भी जल्दी ख़बरें पहुंचा दिया करते थे। रात एक बजे जब फेसबुक के इनबॉक्स में यह फिल्म पड़ी मिली तो क्लिक करते ही वह गाना हमें '90 के दौर में ले गया - "मौका मिलेगा तो हम बता देंगे, तुम्हें कितना प्यार करते हैं सनम..." इस छोटी-सी फिल्म का नाम है '95 का वो वैलेंटाइन...'

इतिहास की छात्रा चित्रांशी ने इस फिल्म में उस नायिका का किरदार निभाया है, जो एक रोज़ '95 के वैलेंटाइन डे को याद करती है। साल 95 को हमने तो रंगीन टोन में ही देखा है। इस फिल्म में भी टोन रंगीन ही है, लेकिन उस टोन का असर सीपिया जैसा है। रंगीन होते हुए भी थोड़ा सादा-सादा सा। गुज़रा हुआ, अतीत के जैसा। एक प्रेम कहानी की याद करते हुए पूरा दौर अख़बार के सप्लिमेंट की तरह निकल आता है। चुपके से। किनारे।

"वो, वैसा होना, जैसा हम नहीं होते... तब समझोगे तुम... पुराना सब कुछ इतना खूबसूरत क्यों होता है..." लड़की अपने प्रेम के दौर को याद किए जा रही है। लरज़ती हुई आवाज़ और लड़खड़ाती हुई चाल से अठारह की उम्र के प्यार की जो तस्वीर बनती चली जा रही है, उसे मेरे जैसे लोग फिल्म में अपनी फिल्म देखने लगते हैं, जिन्होंने अपनी यात्रा ठीक '95 के साल के आसपास शुरू की थी। पता नहीं, इस लेख को पढ़ने वाले '95 के हैं या चित्रांशी-क्षितिज के दौर के हैं। यह डायलॉग दिमाग में रह ही गया है। "प्यार में इंडिया गेट कितना अच्छा लगता है न... सुनो हम वैलेंटाइन डे पर यहीं आएंगे..."

आधी रात करवट बदलते-बदलते दस मिनट की फिल्म देख ही ली और सुबह क्षितिज रॉय को फोन घुमा दिया। एक इस छोटी-सी फिल्म बनाने वालों की कहानी भी किसी फिल्म से कम नहीं। बिहार के अभिवन, क्षितिज, पवन और झारखंड के अनुज ने मिलकर यूट्यूब पर अपना एक चैनल ही बना दिया है - नाम है MCBC FILMS। यह नाम क्यों। क्षितिज का तड़ से जवाब आता है, क्योंकि यह देखकर सब एक ही तरह से सोचते हैं। हम इसे ही बदलना चाहते हैं कि सब एक ही तरह से न सोचें। कुछ अलग सोचें। क्षितिज ने कहा कि MCBC मतलब मेंटल क्रेज़ी बुलशिट सर्कल। ये चारों नौजवान नए-नए कॉन्टेंट की तड़प के शिकार हैं। कुछ नया करने की चाह में यह उनकी दूसरी फिल्म है।

क्षितिज ने बताया कि सिर्फ चार दिनों में पूरी फिल्म बन गई। खर्चा हुआ सिर्फ 1500। लॉ फैकल्टी में पढ़ने वाले अनुज और हिन्दी विभाग से एमए करने वाले पवन के पास निकॉन का डीएसएलआर कैमरा है। क्षितिज ने एक दिन आईपैड पर गाना सुनते-सुनते आई-मूवीज़ सॉफ्टवेयर पर एडिटिंग सीखना शुरू कर दिया। घर बैठे फिल्म की एडिटिंग भी हो गई। अभिनव किरोड़ीमल कालेज में डांसिंग करता था, उसने फिल्म में एक्टिंग कर ली। चारों ने किरोड़ीमल कालेज से बीए किया है। नीलेश मिसरा के साथ रेडियो शो याद शहर के लिए कहानियां लिखते-लिखते क्षितिज और उसके दोस्तों ने अब अपना करने का फैसला किया है। कुछ नया, जिससे मठाधीशों को भी चुनौती मिले।

भागलपुर का क्षितिज दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से समाजशास्त्र में एमए कर रहा है। बिहार के बाढ़ का पवन हिन्दी विभाग से एमए तो रांची का अनुज लॉ फैकल्टी में हैं। पटना का अभिनव सिविल सेवा की तैयारी कर रहा है। इन सबने मिलकर एक फोटो डॉक्यूमेंट्री बनाई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पटेल चेस्ट के एक कैमरे में बैठकर सिर्फ तस्वीरों के ज़रिये यूपीएससी देने वाले लाखों छात्रों की व्यथा को कमाल की खूबसूरती से उकेरा है।

यूट्यूब पर ABCD...UPSE नाम की यह फिल्म कमाल की लगी। इस फिल्म में छत्तीसगढ़ के रायपुर का किरदार यूपीएससी के भंवर में फंसने की यात्रा को शुरू से याद करता है। उस सिन्हा अंकल को खोज रहा है, जिन्होंने रायपुर में एक शाम मां के बनाए पकोड़े भकोसते हुए कहा था कि आईएएस बनना चाहिए। किरदार का नाम है अमित कुमार हिमांशु, जो खुद को उन चार लाख होनहार छात्रों में एक बताता है, जिन्हें सरकार हर साल पंचवर्षीय योजना के तहत पाल रही है। काफी रोचक संवाद हैं।

"लेकिन हमरे फादरलैंड बिहार और मौसरे भाई यूपी में माजरा ही कुछ और है। वहां पब्लिक एबीसीडी से शुरू होती है, लेकिन खत्म यूपीएससी पर जाकर होती है..." हमारे आस-पास कितना कुछ नया हो रहा है। कितने ऐसे लोग हैं, जो 95 के साल को सहेज रहे हैं। उन छोटे-छोटे किस्सों और फिल्मों में, जहां से हम बहुत दूर निकल आए हैं।

फिल्म '95 का वो वैलेंटाइन' देखने के लिए नीचे क्लिक करें... (डिस्क्लेमर [अस्वीकरण] : इस वीडियो के कुछ संवाद कुछ दर्शको के लिए आपत्तिजनक हो सकते हैं, सो, कृपया विवेक का इस्तेमाल करें)

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