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This Article is From Aug 22, 2019

रवीश कुमार का ब्लॉग: प्रिय बिहार सरकार 'यदि है'...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 22, 2019 22:31 pm IST
    • Published On अगस्त 22, 2019 22:31 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 22, 2019 22:31 pm IST

प्रिय बिहार सरकार (यदि है)

मगध विश्व विद्यालय और बिहार विश्वविद्यालय के कई छात्र मुझे क्यों लिख रहे हैं कि दारोगा भर्ती परीक्षा में पात्रता इस तरह रखी गई है कि वे फार्म नहीं भर सकते हैं. मैसेज भेजने वाले छात्रों का कहना है कि 2015-18 का परिणाम 2019 में आया. वो भी पूरा परिणाम नहीं आया. 92,000 छात्रों का परिणाम कुछ दिन पहले आया है. जिसकी वजह से दारोगा भर्ती परीक्षा के फार्म नहीं भर पा रहे हैं, क्योंकि नियम यह बनाया गया है कि 1 जनवरी 2019 तक ग्रेजुएशन करने वाले छात्र ही भर सकते हैं.

जिनका ग्रेजुएशन का सत्र 2015-18 का है, वो कैसे इस नियम से बाहर हो सकते हैं? क्या जिस कमरे में ऐसे नियम बनते हैं, वहां किसी को इन बातों से सहानुभूति नहीं होती कि ये नौजवान जो राज्य की गलती के कारण तीन साल का बीए चार साल में कर रहे हैं, उन्हें क्यों वंचित किया जा रहा है?

इसलिए लिखा है कि बिहार सरकार यदि है. कृपया कर इस भूल का सुधार करें. देरी से रिज़ल्ट आने की सज़ा नौजवानों को न दें.

बाकी ये छात्र किस उम्मीद से न्यूज़ मीडिया को पत्र लिख रहे हैं? क्या ये इस वक्त परेशान न होते, तो दूसरे छात्रों की परेशानी की ख़बर देखते? उन्हें ख़ुद से ये सवाल करना चाहिए कि वे मीडिया में क्या देखते हैं और किन ख़बरों को लेकर चर्चा करते हैं?

मुझे मेसेज भेजते हैं ज़रा उन सांसदों को भी तक़लीफ़ दें जिन्हें वोट किया है. वो क्या इसलिए हैं कि चुनाव के समय आपकी भावनाओं का इस्तमाल करें? आप इस्तमाल होते रहें. ज़रा सी बात है, सांसद लोग एक बार मंत्री को फोन करेंगे, बात पहुंच जाएगी.

मध्य प्रदेश में शिक्षक भर्ती परीक्षा सात आठ साल बाद हुई है. इसका परिणाम कई महीने बीत जाने के बाद आया है. वही हाल यूपी के 69,000 सहायक शिक्षकों का है. अदालत में वकील नहीं भेजे जाने के कारण सात आठ महीने से न रिज़ल्ट निकल रहा है और न नियुक्ति हो रही है. जबकि 4 लाख नौजवान इस परीक्षा के परिणाम का इंतज़ार कर रहे हैं. कुछ तो सोचिए दोस्तों, इस मीडिया और सरकार ने आपकी क्या गत बना रखी है? हिन्दू मुस्लिम से कब तक काम चलेगा. समय पर नौकरी चाहिए कि नहीं चाहिए.

रवीश कुमार

एक अन्य पोस्ट में-

प्रिय बिहार सरकार (यदि है)

इन पत्रों का मैं क्या करूं, कितना लिखें और ये मुझे क्यों लिखते हैं, हज़ारों लाखों की संख्या में होकर व्हाट्स एप को गांधी मैदान क्यों समझते हैं? कैसा राज्य है तो तीन साल में बी ए नहीं करा सकता. इनकी क्या ग़लती है कि राज्य ही इन्हें बर्बाद कर रहा है. पचीस तीस साल से सत्र नियमित होने की लड़ाई नहीं जीती जा सकी बिहार में.

नमस्कार सर,

मैंने वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी, आरा, भोजपुर, बिहार के अंतर्गत महाराजा कॉलेज आरा में सत्र 2018-21 के आर्ट्स में ऐडमिशन लिया है.

सर, 19 खत्म होने वाला है और अभी तक पार्ट 1 की भी परीक्षा नहीं हुई है, परीक्षा प्रपत्र तक नहीं भरवाया गया है.

कृपया आप अपने माध्यम से इस सोयी हुई अंधी बहरी सरकार के आंखों कानों में कुछ छात्रों के प्रति भी जागरूकता ला देंगे तो हमें अपना भविष्य पटरी पर लगेगा.

धन्यवाद,
आपका प्रशंसक 
- अमित

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