दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में कोरोना के कारण निर्माण क्षेत्र के मज़दूरों की आजीविका प्रभावित हुई है उन्हें सरकार 5000 रुपये देगी। कंस्ट्रक्शन मज़दूरों की कमाई बंद हो गई है। दिल्ली सरकार का यह फैसला सराहनीय है। 5000 एक अच्छी राशि है और इससे महीने भर का राशन आ सकता है।
लेकिन मीडिया रिपोर्ट में कहीं इस बात का ज़िक्र नहीं है कि 5000 रुपये देने की प्रक्रिया क्या है, ये कब शुरू होगी। निर्माण क्षेत्र के मज़दूरों तक यह सूचना कैसे पहुंचेगी और कहीं ठेकेदार ये पैसा अपने पास तो नहीं रख लेंगे।
मुख्यमंत्री केजरीवाल लगातार इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि दिहाड़ी मज़दूरों की आजीविका पर गहरा असर पड़ा है। शनिवार को उन्होंने कहा था कि दिल्ली में 72 लाख लोग राशन से अनाज लेते हैं। अगले महीने इन्हें 50 प्रतिशत अतिरिक्त अनाज मिलेगा और मुफ्त मिलेगा।
यही नहीं दिल्ली सरकार ने 8.5 लाख वृद्ध, विधवा और विकलांग पेंशनरों की पेंशन दुगनी कर दी है।
दिल्ली में 40 घंटे में एक भी नया केस नहीं आया है। दिल्ली सरकार ने 5 डाक्टरों की टीम बना दी है और कहा है कि अगर कोरोना वायरस का तीसरा चरण आया तो उसके लिए क्या कदम उठाए जाएं, इसकी रिपोर्ट दें।
यूपी सरकार ने भी 35 लाख से अधिक दिहाड़ी मज़दूरों और निर्माण क्षेत्र के मज़दूरों को 1000 रुपए देने का एलान किया है। अच्छा फैसला है। इसे तुरंत ही मज़दूरों के हाथ में देना चाहिए ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहे।
पर क्या ये सूचना मज़दूरों तक पहुंच गई है, वे कैसे इस योजना का लाभ लेंगे?
समाजसेवी संगठनों को भी चाहिए कि सरकार से प्रक्रियाओं की सूचना लेकर मज़दूरों तक पहुंचा दें।
झारखंड में 350 दाल भात केंद्र बनाया गया है जो 24 घंटे
चलेगा।
इस वक्त आर्थिक मोर्चे पर भी लोगों को संभालना है। दिहाड़ी मज़दूर और गांवों में भूमिहीन मज़दूर भयंकर संकट से गुज़र रहे हैं। कई राज्यों ने पैसे और भोजन के लिए अनाज का एलान तो किया है लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल रहा है कि गरीब लोगों की जेब में वो पैसा कब और कैसे पहुंचेगा। उसकी क्या प्रक्रिया होगी।