चैनल न्यूज़ एशिया देख रहा था, अनसोहातो देखने लगा. काफ़ी देर तक दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में कोरोना को लेकर ख़बरें आती रहीं, जाती रहीं. भारत में तो कोई सोच भी नहीं सकता. कोरोना का मसला ही खत्म मान लिया गया है. WHO के चीफ़ ने कहा है कि कई वैक्सीन उम्मीदवार अपने परीक्षण के तीसरे चरण में हैं, लेकिन फ़िलहाल उम्मीद की कोई किरण दिखाई नहीं देती. शायद कोई भी हो न. उनका ज़ोर अभी भी उन्हीं बुनियादी बातों पर है. अस्पतालों को ठीक किया जाए. कोई संक्रमित हो तो उसका टेस्ट हो और उसके संपर्कों की जांच हो. फिर सबका इलाज हो. ये संक्रमण न हो इसके लिए देह से दूरी का पालन करते रहा जाए.
दुनिया भर में कोरोना से मरने वालों की संख्या 6 लाख 91 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं. क़रीब सात लाख लोगों का मारा जाना सामान्य तो है नहीं, हो भी नहीं सकता. एक करोड़ 80 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं. इसलिए अब ठीक होने की दर या संक्रमित होने की दर का कोई मतलब नहीं रह जाता.
यह महामारी लंबे समय तक रहने वाली है. दिल तोड़ने वाली बात यह है कि फ़िलहाल टीका आने की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही. उम्मीद है यह ग़लत हो और टीका आ जाए. अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक लाख 55 हज़ार से अधिक हो चुकी है. भारत में 38,965 लोगों की मौत हो चुकी है. सावधानी बरतते रहिए. इससे आर्थिक तबाही कितनी होगी अब ये समझ से बाहर हो चुका है.
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