ब्रेनवॉश करने के छोटे छोटे बॉयलर खोले गए हैं. दसवीं से बारहवीं के छात्र भयंकर रूप से इनकी चपेट में हैं. पढ़े लिखे और घर में ‘ऑफ़्टर दहेज' कभी न पढ़ाने वालों की चांदी हो गई है. अफ़वाह के रूप में मिले ऐसे लेख और वीडियो इनके भीतर जानने की दबी भूख को उत्तेजित कर रहे हैं. इसिलए तेज़ी से यह समूह वायरल वीडियो की चपेट में आता है. एक एक लाइन काट कर बनाए गए वीडियो पर तेज़ी से यक़ीन करता है लेकिन फिर अपनी भूख को दबा देता है. कभी पूरा जानने का प्रयास नहीं करता. 2014 के बाद नरेंद्र मोदी ने भारत की जनता को आई टी सेल और व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी की जो राजनीतिक संस्कृति गढ़ी है उसका एक ही काम है दिमाग़ को विकल्पहीन और तर्कहीन बना देना.
न्यूज़लौंड्री ने ऐसे ही एक ब्रेनवॉश बॉयलर की पड़ताल की है. जो खेल चल रहा है उसे समझने में आम लोगों को वर्षों लगेंगे. आई टी सेल की आधी दुकान मेरे नाम से चलती है. बहुत चालाकी से दलाल गोदी मीडिया वालों के लिए दीवार बनाई जाती है ताकि उनकी तरफ़ का कुछ न देखे. मगर मोदी समर्थकों को भी दिख रहा है कि ये वो मीडिया नहीं है. ऐसा नहीं होना चाहिए था. अभी तक वे इस अहसास को यहीं पर ख़त्म कर देते हैं लेकिन एक दिन वे अफ़सोस के लायक़ भी नहीं रहेंगे.
आज लाखों लोग अपनी बात सरकार तक पहुंचना चाहते हैं. ये वही लोग हैं जो दिन रात सोशल मीडिया पर बने ब्रेनवॉश बॉयलर में अपना दिमाग़ विकल्पहीन बनाते रहते हैं. लेकिन मीडिया आएगा नहीं. चाहें वो प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी हों या परीक्षाओं के सताए नौजवान. कभी इन बॉयलर से कहिएगा कि सरकार के लिए इतनी बैटिंग करते हैं कभी आपकी बात भी उस सरकार तक पहुंचा दें. जिस दिन से ये वो काम करने लगेंगे यक़ीन मानिए न आपको मीडिया से शिकायत होगी और न ही मीडिया की ज़रूरत. आई टी सेल सच्चा सेवक हो जाएगा.
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.