विज्ञापन
This Article is From Nov 07, 2017

ख़राब हवा मगर बिजनेस चोखा- तीन सौ से लेकर सवा लाख तक के हैं एयर प्यूरिफ़ायर

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 07, 2017 16:54 pm IST
    • Published On नवंबर 07, 2017 16:10 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 07, 2017 16:54 pm IST
हवा एक ही है. इसके ख़राब होने को लेकर नागरिक आंदोलन कर रहे हैं, चर्चा कर रहे हैं. रोष प्रकट कर रहे हैं. लोगों के मन में हवा को लेकर एक चेतना बन रही है. सरकार ऐसी चेतनाओं की परवाह नहीं करती. वो एक बार हिन्दू मुस्लिम ठेल देगी सारी चेतनाएं हवा हो जाएंगी. मगर बाज़ार इसका लाभ उठाना चाहता है. वो जान गया है कि दिल्ली के लोग तथाकथित रूप से जागरूक हो चुके हैं इसलिए उसे विकल्प दो. ग़रीब के लिए कुछ विकल्प बना दो मगर मध्यम से लेकर अमीर की जेब से विकल्प के नाम पर जितना हो सकते उतना निकाल लो. नतीजा बाज़ार में भांति-भांति के एयर प्यूरिफ़ायर आ गए हैं. ख़राब हवा ने इन कंपनियों की हालत अच्छी कर दी है. लोग मजबूर एयर प्यूरिफ़ायर ख़रीद ले रहे हैं. दरअसल लोकतंत्र में उपभोक्ता एक मूर्ख प्रजाति होता है. उसे पता ही नहीं चला कि हवा साफ रखने की ज़िम्मेदारी भी सरकार ने बाज़ार के ज़रिए उसके सर रख दी है. कई परिवारों ने एयर प्यूरिफ़ायर पर लाख लाख रुपये तक ख़र्च किए हैं. नागरिक एक उपभोक्ता है. उसकी आदत ख़राब हो गई है. वह समाधान की तरफ से नहीं सामान की तरफ भागता है.

दिल्ली में स्ट्रगल, नौकरी, कामयाबी लेकिन चैन कहां. प्रदूषण का डर

उपभोक्ता ख़ुद को बड़ा समझदार समझता है. जैसे टेक्नालजी तो मां के गर्भ से सीख कर आया है लेकिन असल में वो कई विकल्पों के बीच विकल्पहीन प्राणी होता है. मूर्ख भी होता है. मैं फ्लिपकार्ट की साइट पर गया. ख़रीदने के लिए नहीं, अध्ययन के लिए. दाम और ब्रांड देखकर चकरा गया कि इनमें से कौन सही है और किसके लिए सही है यही तय करने में ज़िंदगी बीत जाए. फ्लिपकार्ट की साइट पर एयर फ्यूरिफ़ायर के आठ पेज हैं. हर पेज पर चालीस ब्रांड हैं, यानी कुल 320 मॉडल हुए. इनमें से कुछ डुप्लिकेट भी हो सकते हैं. मतलब मुमकिन है कि एक ही दाम वाला मॉडल दूसरे पेज पर भी दिख जाए फिर भी आप दामों की वेराइटी देखेंगे तो सर चकरा जाएगा. तय करना मुश्किल हो जाएगा कि 100 से 200 के अंतर पर किसी मशीन की गुणवत्ता में क्या फर्क आ जाता होगा? कहीं कहीं तो एक एक रुपये का फर्क है. 20,999 और 21000 में क्या अंतर आ सकता है? लिहाज़ा मैंने आपके लिए सुबह को दो तीन घंटा बर्बाद कर एक अध्ययन किया. कीमतों का एक बैंड बनाया और देखने की कोशिश की कि एक बैंड में कीमतों के कितने प्रकार हैं. आप देख लीजिए.
 
air purifier table
‘नोटबन्दी’- ईज ऑफ़ ‘डाइंग ’ बिजनेस का जश्न क्यों..


40 हज़ार से दो लाख तक के प्यूरिफायर के बैंड में 6 प्रकार की कीमतें हैं.
1,15,000, 94,990, 82,500, 43,500, 42,999, 42, 165,

30 से 40 हज़ार के बीच के बैंड में 6 प्रकार की क़ीमतें हैं.
38,900, 38,500, 36,995, 33,245, 32,999, 30,800

20 से 30 हज़ार के बीच के बैंड में 11 प्रकार की क़ीमतें हैं.
29,935, 29000, 28495, 27,800, 27,322 26,999, 25,249, 25,135, 22,950, 21,000, 20,999

18 से 20 हज़ार के बैंड में 10 प्रकार की क़ीमतें हैं.
19,900, 19,500, 18,999, 18,990, 18,900, 18,450, 17,999, 17,799, 17,800, 17000

13 से 17 हज़ार के बीच 10 प्रकार की क़ीमतें हैं.
16,690, 16,145, 15,299, 15,199, 15,195, 14,699, 14,499, 14, 440, 13,990, 13,500

10 से 13 हज़ार के बीच 8 प्रकार की क़ीमतें हैं.
12,999, 12, 345, 11,960, 11,490, 11,295, 10,999, 10,900 ,10,399

6 से 10 हज़ार के बीच 14 प्रकार की क़ीमतें हैं.
9999, ,9,950, 9869, 9,700, 9500, 9,400, 9,299, 9,049 8,999, 8799, 7,919, 7,499, 6,499, 6000,

300 से 6000 के बीच 9 प्रकार के मॉडल हैं

5499, 4599, 3850, 3060, 2,999, 2100,1,899,879, 369
 

राष्ट्र को नोटबंदी की सालगिरह का तोहफा हैं मुकुल रॉय

तो हवा को लेकर आप देख रहे हैं कि असल में कौन बीमार हैं. सिस्टम और आप मिलकर पहले हवा को ख़राब कर चुके हैं. अब सिस्टम ने आपको अकेला छोड़ दिया है. बहुत लोग इस उम्मीद में संघर्ष कर रहे हैं कि मीडिया दिखा दे. दिखा देने से क्या हो जाता है? हमने 20 एपिसोड यूनिवर्सिटी पर किए क्या हो गया? किसी को कहता हूं तो जवाब आता है कि आप हार मान गए ? निराश होने से कैसे काम चलेगा? जबकि मैं तथ्य बता रहा होता हूं, उसे निराशा और आशा दिखाई पड़ रही होती है. हम और आप सभी को एक फ्रेम में बंद कर दिया गया है. उसी फ्रेम में फंसे कुछ शब्द के सहारे हम दुनिया को समझने लगे हैं और व्यक्त करने लगे हैं. लोग इससे आगे नहीं समझ पाएंगे. जो सही है वही तो कह रहा हूं कि कुछ असर नहीं हुआ. इसमें हारने वाली बात कहां से आ गई.

जब दाल नहीं गली तो खिचड़ी बेचने लगे...

कोई मंत्री क्या कर लेगा. ज़्यादा से ज़्यादा पीला कुर्ता पहनकर आएगा और दांत चियार कर कुछ बोल देगा कि हम देखेंगे, कुछ कर रहे हैं, क्या हम और आप नहीं जानते कि ऐसे बयानों का कोई मतलब नहीं होता है. जो लोग संघर्ष कर रहे होते हैं उन्हें किसी कमेटी में घुसाकर उसका गेट बंद कर देगा. दिल्ली में प्रदूषण के प्रति उपभोक्ता किस्म की जागरूकता वाला समूह बन गया है. इनकी नीयत तो अच्छी है. इसी बहाने वे अपनी मर्सिडिज़ से उतर कर सिस्टम के सामने चिल्ला तो रहे हैं. समझ तो आ रहा है कि उनके लिए भी सिस्टम वैसा ही है जैसा बस्ती वालों के लिए है. अब कोई नहीं सुन रहा होता तो मर्सिडिज़ ग्रुप के लोग बस्ती से लोगों को पकड़ लाते हैं. उनकी बात करने लगते हैं. क्या कभी आपने किसी बस्ती वालों को देखा है अपनी लड़ाई के लिए ग्रेटर कैलाश या वसंत विहार जैसी जगहों से अमीरों को बुला कर लाते हों? बुलाने जायें तो कोई आएगा? हम सब अपनी अपनी लड़ाई में अकेले और खोखले हो चुके हैं.

वीडियो  : शिक्षा के क्षेत्र में कब होगा सुधार

प्रदूषण के प्रति जागरुकता के नाम पर ये लड़ाई टीवी पर शाम बिताने का मौका खोजने में ही समाप्त हो जाती है. टीवी पर आकर उसे लगता है कि अभी तक 'गिव अप' नहीं किया है. जबकि उसे अच्छी तरह पता है कि वोट वो हिन्दू मुस्लिम और जात धरम पर ही देगा. ताज महल और बिरयानी से ही प्रभावित होकर देगा. हकीकत यह है कि दिल्ली के अख़बार कई दिनों से फुल पेज कवरेज़ दे रहे हैं. ख़ासकर अंग्रेज़ी वाले. टीवी पर भी डिबेट हो चुका है. डिबेट हो जाना भी आजकल जागरूकता का एक नया बेंचमार्क है. मूर्खता का ऐसा गौरवगान हमने कभी नहीं देखा. इसीलिए कोई असर नहीं. अंत में आपको एयर प्यूरिफ़ायर तो ख़रीदना ही होगा या फिर डाक्टर के यहां चले जाइये.
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
ईरान पर कब हमला करेगा इजरायल, किस दबाव में हैं बेंजामिन नेतन्याहू
ख़राब हवा मगर बिजनेस चोखा- तीन सौ से लेकर सवा लाख तक के हैं एयर प्यूरिफ़ायर
ओपन बुक सिस्टम या ओपन शूज सिस्टम, हमारी परीक्षाएं किस तरह होनीं चाहिए?
Next Article
ओपन बुक सिस्टम या ओपन शूज सिस्टम, हमारी परीक्षाएं किस तरह होनीं चाहिए?
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com