लोकसभा चुनाव (lok Sabha Elections 2024) के पहले चरण में 102 सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा. इनमें 17 SC रिजर्व और 11 ST रिजर्व सीटें हैं. 2019 में इन 102 सीटों में से 41 सीटें बीजेपी (BJP) के पास हैं. 9 सीटें बीजेपी के सहयोगी दलों के पास हैं. कांग्रेस (Congress) ने इनमें 14 सीटें जीती थीं. INDIA गठबंधन के दूसरे दलों ने 34 सीटों पर जीत हासिल की. 4 सीटें अन्य के खाते में गए थे. इस तरह पहले फेज में एनडीए (50 सीट) और INDIA (48 सीट) लगभग बराबर पर हैं.
लोकसभा चुनाव के पहले फेज में मध्य प्रदेश (6), राजस्थान (12), उत्तराखंड (5), असम (5) और जम्मू-कश्मीर (1 ) की 29 सीटें शामिल हैं. पिछले आम चुनाव में बीजेपी ने इनमें से 27 सीटें जीती थीं. कांग्रेस सिर्फ 2 ही सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी. इनमें से एक सीट मध्य प्रदेश में और दूसरी सीट असम में थी. इन पांच राज्यों की 29 सीटें एक ओर रख दें, तो बाकी बचती हैं 73 सीटें.
इन 73 में कांग्रेस ने जीती थीं 12 और बीजेपी ने 14 सीटें. अगर गठबंधन के तौर पर देखें, तो एनडीए को मिली थीं 23 सीटें और इंडिया को 46. यानी इंडिया गठबंधन एनडीए के मुकाबले दोगुना ताकतवर था.
आइए एक और तरीके से इस चरण को देखते हैं. अधिकतर चुनाव विश्लेषक यूपी, बिहार, बंगाल और महाराष्ट्र को इन चुनावों के लिए स्विंग राज्यों के तौर पर देखते हैं. इन राज्यों में कुल 210 सीटें आती हैं. इसमें बीजेपी ने 2019 में 120 सीटें जीती थीं. कांग्रेस ने मात्र 4 सीटों पर जीत हासिल की. पहले चरण में इन राज्यों की जिन 20 सीटों पर मतदान होना है, उनमें यूपी की 8, महाराष्ट्र की 5, बिहार की 4 और बंगाल की 3 सीटें शामिल हैं. पिछली बार इन 20 में से 10 सीटें बीजेपी ने जीती थीं. एक सीट कांग्रेस ने जीती.
बंगाल में पहले चरण की तीनों सीटें, कूच बिहार, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार पिछली बार बीजेपी ने जीती थीं. जलपाईगुड़ी व अलीपुर द्वार में बीजेपी की जीत का मार्जिन दो से ढाई लाख का था. लेकिन कूच बिहार में मार्जिन मात्र 50 हजार के आसपास था. तीनों सीटों पर टीएमसी दूसरे नंबर पर रही थी. इन तीनों सीटों से भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी गुजरी है, जिसको बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिला था. यहां यात्रा के जरिए बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का कुछ हद तक काम हुआ है.
महाराष्ट्र की पांच सीटों में से तीन बीजेपी ने और एक-एक शिवसेना व कांग्रेस ने जीती थीं. इनमें नागपुर सीट भी शामिल है जहां से बीजेपी के कद्दावर नेता नितिन गडकरी चुनाव लड़ते हैं. महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक बहुत ज्यादा हुई है. बीजेपी को छोड़कर सभी तीनों प्रमुख पार्टियों में तोड़फोड़ हुई. मराठा आंदोलन ने भी समीकरणों को थोड़ा उलझाया है.
खास बात यह है कि इन चारों राज्यों में बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से नहीं, बल्कि क्षेत्रीय दलों से है. बंगाल को छोड़कर बाकी तीनों राज्यों में क्षेत्रीय दलों के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन बीजेपी का मुकाबला कर रहा है, जबकि कांग्रेस एक सहयोगी की भूमिका में है.
अब अगर मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, असम, जम्मू-कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल और महाराष्ट्र की पहले चरण की सीटों को अलग कर दें. तो सीटें बचती हैं 53 सीटें. इनमें से सिर्फ चार सीटें ही बीजेपी पिछली दफा जीत सकी थी. इसमें सबसे ज्यादा 39 सीटें तमिलनाडु से हैं.
370 का आंकड़ा पार करने के लिए बीजेपी को क्या करना होगा?
बीजेपी को मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की 29 सीटों पर अपनी बढ़त बनाए रखनी होगी. स्विंग राज्यों यानी यूपी, बिहार, बंगाल व महाराष्ट्र में अपना प्रदर्शन पहले से बेहतर करना होगा. बाकी 53 सीटों पर अपनी गिनती कम से कम दहाई में लानी होगी.
पहले चरण की ये 102 सीटें चुनाव की दिशा तय करने वाली होंगी. अगर यहां बीजेपी ने अच्छा किया, तो उनके पक्ष में माहौल मजबूत होता चला जाएगा. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो बीजेपी के लिए बाकी छह चरण ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं. कुल सीटों की लगभग 20 फीसदी सीटें इसी चरण में हैं.
(राजेंद्र तिवारी वरिष्ठ पत्रकार है, जो अपने लंबे करियर के दौरान देश के प्रतिष्ठित अख़बारों - प्रभात ख़बर, दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान व अमर उजाला - में संपादक रहे हैं...)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.