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This Article is From May 09, 2018

राहुल गांधी का पीएम बनने का सपना

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 14, 2018 21:21 pm IST
    • Published On मई 09, 2018 16:38 pm IST
    • Last Updated On मई 14, 2018 21:21 pm IST
राहुल गांधी ने एक तरह से ऐलान कर दिया है कि 2019 में वे प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. हालांकि उनके इस बयान का बीजेपी नेता काफी मखौल बना रहे हैं. किसी ने कहा कि यह मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने जैसा है. प्रधानमंत्री ने इसे राहुल गांधी का अहंकार बताया है. मगर सबसे बडा सवाल है कि क्या यह संभव है और यदि यह संभव करना है तो कांग्रेस को अकेले 100 से अधिक सीटें जीतनी होंगी. 

अब कुछ आंकड़ों को देखते हैं. 2014 के बाद 19 विधानसभा के चुनाव हुए हैं. इन 19 राज्यों में 371 सीटें हैं लोकसभा की. 2014 के लोकसभा चुनाव में इन 371 सीटों में से बीजेपी ने 191 सीटें जीती थीं लेकिन अभी इन 19 राज्यों में बीजेपी की सीटें घटकर 148 रह गई हैं यानि 43 कम. राजस्थान के उपचुनावों में बीजेपी को झटका लगा है. 2014 में बीजेपी को जहां 58 फीसदी वोट मिले थे, उपचुनाव में घटकर 41 फीसदी रह गए. वहीं कांग्रेस का वोट प्रतिशत 37 से बढ़कर 53 फीसदी हो गया है. उपचुनाव के बाद राजस्थान में यदि सीटों का अनुमान देखें तो बीजेपी की सीट लोकसभा चुनाव में 25 से घटकर 8 रह जाएंगी और कांग्रेस की सीट शून्य से बढ़कर 17 हो जाएगी. 

इसी तरह यदि इसी हिसाब से चलें तो 20 राज्यों की 396 सीटों में जहां 2014 में बीजेपी को 216 सीट मिली थीं वे घटकर 156 रह जाएंगी. यानि 60 सीटों का नुकसान. राहुल गांधी के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उत्तरप्रदेश, जहां सपा-बसपा गठबंधन क्या गुल खिला सकता है. यदि यहां गोरखपुर और फूलपुर के आकड़ों को आधार बनाया जाए तो बीजेपी की सीट 71 से घटकर 21 रह जाएगी और इसी को यदि लोकसभा की सभी सीटों पर आधार बनाकर निकाला जाए तो बीजेपी की सीटें 287 से घटकर 177 रह जाएंगी. यानि 110 सीटों का नुकसान. 

अब एक और विश्लेषण करते हैं 11 राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने होती हैं. 2014 के लोकसभा के आंकड़ों को देखें तो इन राज्यों की कुल 214 सीटों में बीजेपी को 163 मिली थीं और कांग्रेस को 18. और यदि 2017 के गुजरात चुनाव को आधार बनाकर देखें तो इन 214 सीटों में से बीजेपी को 151 सीटें मिलेंगी और कांग्रेस को 30 सीटें. और यदि राजस्थान चुनाव को आधार बनाते हैं तो कुल 214 सीटों में बीजेपी को 134 और कांग्रेस को 47 सीटें मिलेंगी. बाकी बची 330 सीटों में 2014 में कांग्रेस को 26 सीटें ही मिली थीं. पंजाब में कांग्रेस की 5 सीटें बढ़ने के आसार हैं. यानि कांग्रेस की मौजूदा हालत हो गई 47,26 और 5 यानि 78 सीटें. 

अब कांग्रेस को 100 सीटों का आंकड़ा छूना है तो देखते हैं तीन राज्य कर्नाटक, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ को. यहां कुल सीटें हैं 68 जिसमें 2014 में कांग्रेस को मिली थीं 12, जबकि जरूरत है 34 सीटों की. इसलिए कांग्रेस को आने वाले लोकसभा चुनाव में इन राज्यों में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. यही वजह है कि कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की कमान कमलनाथ को सौंप दी है, जिन्हें कहा गया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी साथ लेकर चलें जिससे कि सिंधिया की नाराजगी पार्टी को न भुगतना पड़े. 

अब यदि राहुल मिशन 100 या उससे पार जाने में सफल होते हैं तो प्रधानमंत्री के लिए उनकी दावेदारी मजबूत हो सकती है. एक और बात जो राहुल के पक्ष में जा रही है वह है सभी दलों में युवा नेतृत्व का उभरना. सपा में अखिलेश हैं, एनसीपी में सुप्रिया सुले आ रही हैं, राजद में तेजस्वी हैं, राष्ट्रीय लोकदल में जयंत चौधरी तो डीएमके में स्टालिन हैं. यानि सभी हमउम्र हैं और यही आने वाले वक्त में राहुल की राह आसान कर सकते हैं.


(मनोरंजन भारती एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल, न्यूज हैं)

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