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This Article is From Jan 30, 2015

सत्य कौन बोल रहा है?

Ravish Kumar, Saad Bin Omer
  • Blogs,
  • Updated:
    जनवरी 30, 2015 21:30 pm IST
    • Published On जनवरी 30, 2015 21:20 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 30, 2015 21:30 pm IST

नमस्कार... मैं रवीश कुमार। सत्यमेव जयंती लेकिन यहां तो कोश्चन यह है कि क: सत्यम बदति अर्थात सत्य बोल कौन रहा है, कब बोल रहा है और किसके बारे में बोल रहा है।

जयंती नटराजन ने एक चिट्ठी लिखी है सोनिया गांधी के नाम। ऐसी चिट्ठियों को मीडिया में बम कहा जाता है। जयंती नटराजन ने पांच नवंबर 2014 को यह लेटर बम सोनिया गांधी के पास भेजा था, लेकिन आज इसे मीडिया में खुद ही लाकर फोड़ दिया। काफी लंबी चिट्ठी है, जिसके शुरू के सात पैराग्राफ में यही वर्णन है कि कैसे उनका परिवार भी चार पीढ़ियों से कांग्रेस की सेवा करता रहा है। बलिदान और त्याग किया है। राज्यमंत्री पद से हटाने के पीछे क्या कारण थे नहीं बताया गया और न ही पार्टी में कोई जिम्मेदारी दी गई। मैं यह साबित कर सकती हूं कि मैंने बेवजह कारणों से किसी प्रोजेक्ट को नहीं रोका।

जयंती ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी पर स्नूप गेट यानी कथित रूप से एक महिला की जासूसी कराने के मामले में हमला करने के लिए कहा गया, जिससे वे सहमत नहीं थीं। विरोध भी किया, लेकिन आदेश आया कि प्रेस कांफ्रेंस में हमला करना है। नवंबर महीने में जयंती हमला करती हैं, दिसंबर 2013 में मंत्री पद से हटती हैं और जनवरी 2014 इस वक्त तक नरेंद्र मोदी खुद जयंती नटराजन पर जयंती टैक्स के बारे में आरोप लगा चुके थे।

पर्यावरण मंत्रालय में जितनी भी फाइल्स हैं वह पेंडिंग हैं, क्योंकि एक नया टैक्स आ गया है जयंती टैक्स। जब तक वह पे नहीं किया जाएगा, तब तक दिल्ली में कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती है। हमने इनकम टैक्स सुना है, सेल्स टैक्स सुना कमर्शियल टैक्स सुना है, लेकिन ये पहली बार है कि हम जयंती टैक्स सुन रहे हैं।

तब जयंती ने ज़रूर इस जयंती टैक्स पर जवाब दिया था और कहा था कि मोदी उन्हें डराने के लिए हमले कर रहे हैं। वे डरने वाली नहीं हैं।

इतनी लंबी चिट्ठी में जयंती ने उस टैक्स और बीजेपी के हमले के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है। लेकिन यह ज़रूर कहा है कि मंत्री पद से हटाने के बाद राहुल गांधी के दफ्तर की तरफ से मीडिया में कहा गया कि पार्टी में किसी काम के लिए नहीं हटाया गया है। उसी रोज़ राहुल ने फिक्की की सभा में कहा था कि पर्यावरण के कारण कई प्रोजेक्ट को मंज़ूरी मिलने में देरी हो रही है। अब देरी नहीं होगी।

जयंती ने लिखा है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने समय समय पर आदिवासियों और समुद्री मछुआरों के विस्थापन और पर्यावरण के नियमों के पालन को लेकर कई खत लिखे जिस पर उन्होंने गंभीरता से अमल किया। पार्टी हाई कमान के कड़े तेवरों को देखते हुए मंत्रिमंडल में सहयोगियों से भी लोहा लिया, उनके कई बड़े फैसलों को अदालत ने भी सही ठहराया है।

पूरी चिट्ठी में वे मंत्री पद से हटाए जाने को लेकर काफी आहत हैं। सोनिया गांधी को लिखे खत में कहती हैं कि मंत्रीपद से हटाए जाने के कुछ दिन पहले जब मैंने अदानी की फाइल मंगाई तो कहा गया कि फाइल गायब है। काफी खोजबीन के बाद वह फाइल कंप्यूटर सेक्शन के वाशरूम में मिली। उसी दिन मुझे हटने के लिए कहा गया। मेरे मंत्रालय में कुछ अधिकारी उस फाइल को मुझ तक नहीं आने देना चाहते थे। क्यों नहीं चाहते थे कारण पता नहीं।

अरुण जेटली ने आज जयंती टैक्स का नाम तो नहीं लिया, लेकिन कहा कि लाखों करोड़ों के प्रोजेक्ट को मंज़ूरी मिलने में देरी के कारण यूपीए के दौरान ग्रोथ रेट नीचे चला गया था। उस वक्त जो अफवाह थी, वह अब सही साबित हो रही है।

जयंती की चिट्ठी बताती है कि नेताओं की मर्जी से फैसले हो रहे थे, कानूनी ज़रूरतों के हिसाब से नहीं, लेकिन जयंती ने तो इसी चिट्ठी में लिखा है कि उनके कई फैसलों को अदालत ने मंज़ूरी दी थी। प्रोजेक्ट के फैसलों में देरी हुई।

कांग्रेस ने कहा है कि जयंती के इस खत से साफ हो गया कि पार्टी के नेता गरीबों, आदिवासियों और मजदूरों की भी चिंता करते थे।

आज एक और इंटरव्यू चर्चा में है। विदेश सचिव के पद से हटाईं गईं सुजाता सिंह का। हमारे सहयोगी विष्णु सोम को दिए इंटरव्यू में सुजाता सिंह ने कहा, मेरे पूरे रिकॉर्ड को बर्बाद कर दिया गया। मेरी छवि को धक्का पहुंचाया जा रहा है। मेरा सवाल है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। इस हद तक नीचे गिरने की क्या ज़रूरत थी। जानबूझ कर सोशल मीडिया के ज़रिए अभियान चलाया जा रहा है। मैं साफ-साफ बताना चाहती हूं। मुझे सम्मानजनक तरीके से बाहर जाने का मौका मिलना चाहिए। मुझे यूपीएससी या राजदूत का पद नहीं चाहिए। मुझे दिसंबर में ही कहा गया था कि तीन या पांच साल का कोई संवैधानिक पद लेना चाहूंगी। मैंने मना कर दिया था। आठ महीने में विदेश नीति में काफी गति आई है। सारा कुछ प्रधानमंत्री या विदेशमंत्री के अकेले करने से नहीं हुआ। मंत्रालय के काम करने की वजह से ही बड़े फैसले संभव हुए हैं। हमने भी कामयाब बनाने के लिए काम किया है।

सत्य मेव जयंती या क: सत्यम बदति। सत्य कौन बोल रहा है? बीजेपी के निशाने पर रहीं जयंती ने राहुल गांधी को निशाने पर लेकर जो आरोप लगाए हैं, क्या कांग्रेस के पास कोई ठोस जवाब है। क्या इस बार भी उम्मीद की जा सकती है कि उपाध्यक्ष राहुल गांधी बोलने की तकलीफ उठाएंगे। मुझसे नहीं किसी से भी।

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