विज्ञापन
This Article is From Jun 16, 2015

ललित मोदी की सहायता में घिरीं सुषमा-वसुंधरा?

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    जून 16, 2015 21:53 pm IST
    • Published On जून 16, 2015 21:48 pm IST
    • Last Updated On जून 16, 2015 21:53 pm IST
नमस्कार मैं रवीश कुमार, दो प्रकार के आधार सामने आ गए हैं। अभी बीजेपी और मोदी सरकार मानवीय आधार की थ्योरी से किसी तरह निपट ही रही थी तो वसुंधरा राजे के ख़िलाफ़ गुप्त आधार पर ललित मोदी की मदद करने के दस्तावेज़ सामने आ गए हैं। कुलमिलाकर मानवीय आधार की थ्योरी बोगस साबित होती लग रही है।

ये कागज़ ललित मोदी की पीआर एजेंसी ने ही जारी किए हैं। ज़ोर देकर बता रहा हूं कि इस कागज़ पर वसुंधरा राजे सिंधिया के दस्तखत नहीं हैं, और यह पता नहीं है कि ऐसा कोई हलफनामा ब्रिटेन के इमिग्रेशन निदेशालय को जमा हुआ था या नहीं। ललित मोदी के वकील टाइम्स नाउ पर बेखबर से दिखे कि वसुंधरा ने हलफनामा जमा किया था या नहीं। हलफनामे का कुछ ही हिस्सा हाथ लगा है जो यह बता रहा है कि क्या तैयारी चल रही थी। ठीक से देखिये इस पर तारीख है 18 अगस्त 2011 की। तब वे राजस्थान में विपक्ष की नेता थीं। इन काग़ज़ों में वसुंधरा के पूरे ख़ानदान के राजनैतिक करियर का बायोडेटा है। वे बता रही हैं कि मां बीजेपी की संस्थापक सदस्य थी, भाई माधव राव सिंधिया प्रमुख राजनीतिक हस्ती थे, बहन सांसद हैं वगैरह वगैरह। पी आर एजेंसी ने सोमवार को मुंबई में प्रेस में 250 पन्नों का दस्तावेज़ दिया था, लगता है दराज़ से कुछ कंकाल खुद ही चलकर न्यूज़ रूम पहुंच गए। हलफनामे का जो टाइप्ड हिस्सा मिला है उसमें वसुंधरा के हवाले से लिखा गया है कि वे इस शर्त पर ललित मोदी की गवाह बनने के लिए तैयार हैं कि इसकी जानकारी किसी को नहीं दी जाएगी। 2011 में ललित मोदी ब्रिटेन से इमिग्रेशन की अनुमति मांग रहे थे तब वे भारत से भाग चुके थे। वसुंधरा राजे सिंधिया ने सुषमा स्वराज से पहले ही उनकी मदद का प्रयास किया था। वसुंधरा की सफाई नहीं आई है लेकिन ललित मोदी के पीआर एजेंसी से जारी इन दस्तावेंज़ों में भटक आए इन पन्नों से लगता है कि अब यह मामला प्रेस कांफ्रेंस से नहीं निपटने वाला है। कांग्रेस ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करे।
जयपुर से बीजेपी के प्रवक्ता ने सफाई दी है कि वसुंधरा राजे ने दस्तखत नहीं किए। कोई मदद नहीं की, छह-सात साल से उनकी ललित मोदी से बातचीत नहीं है।

इसके बाद भी ये अघूरा हलफनामा बहुत कुछ कहता है। क्या वसुंधरा गुप्त रूप से गवाह बनने की तैयारी में थीं। क्या वसुंधरा राजे की जानकारी के बगैर ही ये हलफनामा तैयार किया गया होगा। सुषमा स्वराज के मानवीय आधार के साथ साथ वसुंधरा राजे का गुप्त आधार सामने आ गया है। दिल्ली में मंगलवार को कोशिश हुई कि इस मामले को कमज़ोर किया जाए। इस क्रम में आज इस मामले में दो बेहद दिलचस्प घटना हुई। मंत्रालयों के तय कार्यक्रमों के लिए ही सही मगर इस विवाद के बाद से सुषमा स्वराज और अरुण जेटली दोनों पहली बार मीडिया के सामने आए। मीडिया रविवार से ही सुषमा स्वराज के घर के बाहर खड़ा है।

मंगलवार सुबह जब सुषमा स्वराज जैसे ही अपने घर से निकलीं कैमरे उनका पीछा करने लगे। जैसे वो इस्तीफा ही देने जा रही हों लेकिन उन्हें आना था यहां जहां से मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले पहले जत्थे को रवाना किया और संक्षिप्त भाषण दिया। सुषमा स्वराज ने जय जय शंकर और हर हर शंकर से अपना भाषण समाप्त किया और सवालों का जवाब दिए बगैर चली गईं।

एजेंसी की ख़बरों के मुताबिक सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और राजनाथ सिंह की एक घंटे की बैठक हुई है। उसके बाद जम्मू कश्मीर के लिए विशेष पैकेज के ऐलान के कार्यक्रम में वित्तमंत्री अरुण जेटली और गृहममंत्री राजनाथ सिंह मीडिया से रू-ब-रू हुए।

राजनाथ सिंह के बगल में बैठे वित्त मंत्री की असहजता देखी जा सकती है, ऐसा लग रहा है कि वे लाये गए हैं। चूंकि प्रेस कांफ्रेंस की समाप्ति पर राजनाथ सिंह ने निवेदन किया कि जम्मू कश्मीर वाली ख़बर को भी जगह दीजिएगा तो एक वरिष्ठ राजनेता का सम्मान करते हुए बता रहा हूं कि भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को बाढ़ राहत कार्यों के लिए 2437 करोड़ का नया पैकेज दिया है। प्रेस कांफ्रेंस से लगा कि जम्मू कश्मीर के पैकेज के ऐलान की औपचारिकता पूरी की जा रही है ताकि प्रेस को वित्तमंत्री से सवाल पूछने का मौका मिल जाए और वित्तमंत्री को चुप्पी तोड़ने का। सुषमा स्वराज के विवाद पर दो तीन सवालों का चक्र पूरा होते ही प्रेस कांफ्रेंस समाप्त हो गया। जैसे ही एक पत्रकार ने वित्तमंत्री अरुण जेटली से सवाल पूछा कि आस्तीन का सांप कौन है। बगल में बैठे गृहमंत्री अपनी हंसी रोक नहीं पाये। इतनी हंसी आ गई कि उन्हें अपनी कुर्सी पीछे की तरफ झुकानी पड़ गई ताकि वित्तमंत्री से नज़र न मिल जाए। उनका इस तरह से हंसना काफी कुछ कह गया कि सुषमा स्वराज और वित्तमंत्री के बीच इतना भी सब कुछ सामान्य नहीं है। आस्तीन का सांप कौन है, पूछे जाने पर वित्तमंत्री भी झेंप गए और झट से कह दिया कि अगला सवाल पूछिये। जेटली जी को हंसी नहीं आई। बीजेपी के ही सांसद कीर्ति आज़ाद ने कहा था कि बीजेपी में भी आस्तीन के सांप हैं।

सरकार या पार्टी के सुषमा स्वराज के साथ खड़े होने से सवालों के जवाब नहीं मिल जाते हैं। सवाल यह नहीं कि उनके साथ कौन-कौन है। वित्तमंत्री जेटली से पहला सवाल यही रहा कि सुषमा स्वराज के बचाव में अमित शाह आए, राजनाथ सिंह आए लेकिन आप क्यों नहीं आए।

वित्तमंत्री ने कि कहा कि सारे आरोप बेबुनियाद है। उनका बयान और पार्टी अध्यक्ष का बयान आ गया है। उन्होंने जो किया अच्छी नीयत से किया। सारी सरकार और पार्टी एकमत है। इसमें किसी को संदेह न रहे। हमारे मंत्री जो विभाग के प्रमुख होते हैं वो इतने काबिल होते हैं कि वे निर्णय ले लें। सरकार के जो निर्णय होते हैं उसमें सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी होती है। इस जवाब से लगा कि वे सुषमा स्वराज के कदम को सरकार से अलग कर रहे हैं, लेकिन बाद में एक और सवाल के जवाब में कहा कि सरकार के मंत्री सक्षम हैं। वे जो निर्णय लेते हैं हम सब सामूहिक रूप से जिम्मेवार है। मतलब यही कि फैसला सुषमा का था मगर जिम्मेदारी हम सब लेते हैं।

क्या इसका मतलब यह भी है कि जेटली को सुषमा स्वराज के फैसले की जानकारी नहीं थी। अच्छी नीयत से करने का क्या मतलब है। क्या अच्छी नीयत से ग़लत काम किए जा सकते हैं। कुलमिलाकर कई सवालों के जवाब नहीं मिले। वित्त मंत्री ने पहले कहा कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं फिर यह भी बताया कि ललित मोदी के ख़िलाफ़ जांच चल रही है। उनके खिलाफ नोटिस जारी किया गया है। तो फिर एक आरोपी की मदद क्या अच्छी नीयत से की जा सकती है। ये बेसिक कोच्चन है। जेटली ने कहा कि
प्रवर्तन निदेशालय ने ललित मोदी के ख़िलाफ़ जांच की थी और नोटिस जारी किये थे।
16 मामलों में जांच हुई है और 15 मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
वित्तमंत्री को यह कहने का मौका नहीं मिला कि ललित मोदी को जल्दी ही भारत लाया जाएगा। वित्तमंत्री ने ललित मोदी के वकील के एक दावे को ज़रूर खारिज कर दिया। मुंबई में सोमवार शाम वकील महमूद अब्दी ने कहा था कि इटरपोल से जवाब मिला है कि ललित मोदी के ख़िलाफ़ कोई ब्लू कार्नर नोटिस जारी नहीं हुआ है। वित्तमंत्री ने कहा कि उनके खिलाफ डायरेक्ट्रोरेट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस (डी आर आई) ने 2010 में लाइट ब्लू कार्नर नोटिस जारी किया था जो आज भी मान्य है। साफ है भारतीय जांच एजेंसी आज भी ललित मोदी की तलाश कर रही है। एक सवाल और आया कि 27 अगस्त 2014 को जब दिल्ली हाईकोर्ट ने ललित मोदी का पासपोर्ट बहाल किया तब इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती क्यों नहीं दी गई तो वित्तमंत्री ने कहा कि यह काम पासपोर्ट अथोरिटी का है। यानी विदेश मंत्रालय का।

इसी केस में सरकारी वकील रहे जतन सिंह ने हमारे सहयोगी आशीष भार्गव को बताया कि सुप्रीम कोर्ट जाने के लिहाज़ से यह एक फिट केस था। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को पार्टी नहीं बनाया गया था, इसलिए विदेश मंत्रालय को ही सुप्रीम कोर्ट को जाना चाहिए था। मगर कानूनन प्रवर्तन निदेशालय भी इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील कर सकता है क्योंकि वो भी इस मामले से प्रभावित हुआ है।

सरकार की सालगिरह के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के एक भी आरोप नहीं लगे हैं। भ्रष्टाचार के एक आरोपी की मदद में उनकी कैबिनेट सहयोगी सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा का नाम आ गया है। हर आदमी को मिलने वाला काला धन तो नहीं आया लेकिन लगता है कि जो काला धन लेकर गए हैं उनकी मानवीय आधार पर सुषमा स्वराज मदद करती हुई पकड़ी जाती हैं और गुप्त आधार पर वसुंधरा। बीजेपी के प्रवक्ता ने आखिरी वक्त में शो में आने से मना कर दिया। हम एंकरों को वापस नहीं बुलाया गया है इसलिए शो मस्ट गो आन। भारत सरकार यानी देश से छुपाकर किसी आरोपी की मदद करना क्या वाकई मानवीय आधार है। प्राइम टाइम

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ललित मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, आईपीएल घोटाला, Sushma Swaraj, Vasundhara Raje, Prime Minister Narendra Modi, Lalit Modi, Rajnath Singh, Arun Jaitley, IPL Controversy
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com