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This Article is From Sep 22, 2015

क्या अंधविश्वास का विरोध नहीं होना चाहिए?

Reported By Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 22, 2015 21:47 pm IST
    • Published On सितंबर 22, 2015 21:34 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 22, 2015 21:47 pm IST
चूंकि मेरी कोई सुनता नहीं फिर भी मेरा सुझाव है इस देश में एक राष्ट्रीय आस्था आयोग बने और इसका चेयरमैन मुझे बनाया जाए। मैं तभी ज्वॉइन करूंगा जब ब्लैक कैट कमांडो और बुलेट प्रूफ जैकेट भी दिया जाएगा। तभी मैं बिना किसी राग, द्वेष और भय के कंप्यूटर द्वारा प्रमाणित कर पाऊंगा कि कौन सी बात कहने पर किसकी आस्था भंग हुई और किसकी नहीं।

अखबारों और चैनलों में बंगाली और रूहानी बाबा के विज्ञापनों से तो लगता है कि देश को प्रधानमंत्री नहीं, यही चला रहे हैं। इनके विज्ञापनों से समस्याओं की कुछ कैटगरी इस प्रकार है : पति पत्नी अनबन, लव मैरिज, लव मैरेज खोया प्यार, प्यार में धोखा खाए प्रेमी प्रेमिका एक बार ज़रूर संपर्क करें। माता-पिता मनाए भी एक आइटम है और बेटा आपकी बात नहीं मानता है, यह भी एक कैटगरी है। मनचाहा प्यार का समाधान है लेकिन सौतन से छुटकारा दिला देते हैं। किया-कराया भी एक कैटगरी है।

अखबारों के अलावा इनके विज्ञापन बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और बाज़ारों में दिख जाते हैं। ऑटो रिक्शा और माल ढोने वाले टेम्पो के पीछे भी इनका पोस्टर लगा होता है। सार्वजनिक शौचालयों और प्याऊ के ऊपर तो इनका ही पता होता है। ये किसी बंगाली बाबा की वेबसाइट है जो ब्लैक मैजिक का दावा करते हैं। खुद को वशीकरण स्पेशलिस्ट बताने वाले बंगाली बाबा ने अपनी इस साइट पर 17 प्रकार की सेवाओं का ज़िक्र किया है। जैसे जादू टोना, लव प्रॉब्लम और लव वशीकरण। लव वशीकरण इज़ अ पावरफुल टूल टू अचीव द डिज़ायर्ड पर्सन ऑफ च्वाइस। मतलब आप इसके ज़रिये जिसे पसंद करते हैं वो आपको प्यार करने लगेगा। भाग के जाएगा कहां। वशीकरण के बारे में लिखा है कि वशीकरण एक ऐसी टेकनिक है जिसके इस्तमाल से आप एक आदमी को कंट्रोल कर सकते हैं और जैसा चाहे उससे वैसा करवा सकते हैं। दो प्रकार के वशीकरण हैं। वशीकरण फॉर गर्ल और वशीकरण फॉर ब्वॉय। बदला और वीज़ा में भी वशीकरण यूज़ होता है।

महाराष्ट्र में दो साल से ब्लैक मैजिक के खिलाफ कानून है। हमारे तमाम न्यूज़ चैनलों पर सुबह सुबह बताया जाता है कि पीला रूमाल लेकर दफ्तर जायेंगे तो आपका बॉस सैलरी बढ़ा देगा और लाल तकिये पर सोयेंगे तो रुका हुआ काम बन जाएगा। एनडीटीवी इंडिया पर इस तरह का कार्यक्रम नहीं आता है। जो भी इस तरह के अंधविश्वास के खिलाफ बोलता है उसे निशाना क्यों बनाया जाता है।

नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एम.एम. कलबुर्गी की हत्या कर दी जाती है। नरेंद्र नायक, जोसेफ एडामराकू, जयंत पांडा इन सबको मारा पीटा जाता है। सभी धर्मों के नाम पर बने संगठन अंधविश्वास के खिलाफ किसी भी अभियान को धर्म के खिलाफ बना देते हैं। संविधान के अनुच्छेद 51A(h) में कहा गया है कि सभी नागरिकों की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वो वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद, सुधार और जिज्ञासा की भावना का विकास करे। 2011 की जनगणना में 21 लाख लोगों ने खुद को नास्तिक बताया है।

गोवा में हिप्नोथैरपिस्ट कहे जाने वाले डॉक्टर जयंत बालाजी अठावले सनानत संस्था की स्थापना की है, इन्हें देवता या देवदूत भी कहा जाता है जो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए साधना कर रहे हैं। इसी संस्था के एक सदस्य समीर गायकवाड को पुलिस ने गोविंद पानसरे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। सनातन संस्था समीर को निर्दोष मानती है और उसकी पैरवी भी कर रही है।

एनडीटीवी इंडिया के सुनील सिंह और सांतिया डूडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सनातन संस्था ने निखिल वाघले, वरिष्ठ पत्रकार युवराज मोहिते, मराठी दैनिक प्रहार के पत्रकार श्याम सुंदर सोनार को धर्मद्रोही करार दिया है। हमारे सहयोगी श्रीनिवासन जैन ने https://ndtv.in/ पर लिखा है कि पुलिस को संकेत मिले हैं कि पत्रकार निखिल वाघले को मारने की योजना थी। संस्था कहती है कि ऐसी कोई हिटलिस्ट नहीं है। हम लोकतांत्रिक संवाद में यकीन करते हैं। संस्था के दो सदस्य 2008 में मुंबई में हुए तीन धमाकों के आरोप में गिरफ्तार किये गए थे। दोनों 'जोधा अकबर' फिल्म और एक मराठी नाटक दिखाये जाने के खिलाफ थे। मुंबई की एक अदालत ने दोनों को दस साल की सज़ा सुनाई लेकिन बाद में वो ज़मानत पर रिहा हो गए। अभी ये मामला चल ही रहा है। अक्टूबर 2009 में गोवा में हुए एक स्कूटर धमाके में मारे गए दो लोग कथित रूप से संस्था के सदस्य बताये गए। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार कृष्ण की प्रतिमा के साथ हुए कथित अपमान का बदला लेने के लिए स्कूटर में विस्फोटक ले जाया जा रहा था। आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी हुई जिसमें से तीन फरार हैं। पांच पर्याप्त सबूतों के अभाव में छोड़ दिये गए।

सनातन संस्था की वेबसाइट पर गया तो वहां पर कैसे कपड़े पहनने हैं, बाल कैसे होने चाहिए, त्योहार कैसे मनाए जाएं, यह सब लिखा गया है। आध्यात्म के प्रसार का दावा किया गया है। संस्था ने वेबसाइट पर लंबे बालों वाली महिला का फोटो देते हुए लिखा है कि नारी के लंबे बालों से जो ऊर्जा पैदा होती है उससे पर्यावरण में शक्ति की तरंगें फैल जाती हैं। आजकल की औरतें जो छोटे बाल रखने लगी हैं उसकी वजह से पूरी मानवता नकारात्मकता की तरफ जा रही है। हिन्दू धर्म में कहा गया है कि नारी को लंबे बाल रखने चाहिए। मर्द को छोटे बाल रखने चाहिए। मर्दों के लंबे बालों से जो तरंगे निकलती हैं उससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। सनातन संस्था मानती है कि जो शादियां रजिस्ट्री से होती हैं वो अर्थहीन होती हैं। धार्मिक कर्मकांडों से होने वाली शादी ही सर्वोच्च है। छोटे कपड़े, टाइट जिंस और मल्टी कलर कपड़े नहीं पहनने हैं। काले रंग के कपड़े भी नहीं पहनने चाहिए। वेबसाइट पर बताया गया है कि क्या क्या पहनना है। औरतें ये पहनेंगी और मर्द ये पहनेंगे। इस तरह की बातें आए दिन स्कूल कॉलेज के प्रिंसिपल भी करते रहते हैं।

2011 में महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार को सनातन संस्था पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेज कर केंद्र से प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। यूपीए की सरकार ने नहीं किया। मंगलवार को गोवा के बीजेपी के विधायक विष्णु वाग ने हमारे सहयोगी तेजस मेहता से कहा है कि सनातन संस्था एक आतंकवादी समूह है। गोवा सरकार और मोदी सरकार को इसे बैन कर देना चाहिए। विष्णु वाग ने यह भी कहा है कि गोवा सरकार के मंत्री और बीजेपी के सहयोगी दल सनातन संस्था को राजनीतिक संरक्षण दे रहे हैं। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के एक नेता इस संस्था को वित्तीय सहायता दे रहे हैं। सनातन संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी वीरेंद्र मराठे ने मुंबई मिरर अखबार से कहा है कि प्रतिबंध लगाने से क्या होगा। हम बिना नाम के भी काम करते रहेंगे। वीरेंद्र मराठे ने माना कि अपने साधक को सैनिक प्रशिक्षण देते हैं और संविधान में हिन्दू राष्ट्र लिखा जाना चाहिए। यही भी कहा कि महाराष्ट्र में हमारे एक लाख साधक हैं, हम सर्बिया, ऑस्ट्रेलिया और बाकी कई देशों से इंटरनेट से जुड़े हैं। हमारे पास घर-घर जाने वाले मज़बूत प्रचारक हैं। हम हिन्दू राष्ट्र की रक्षा का काम करते रहेंगे।

फिर भारतीय सेना क्या करेगी। आईएसआईस में भर्ती होने के आरोप में कुछ मुस्लिम नौजवान सीरिया जाते हुए पकड़े गए हैं तो कुछ हिन्दू नौजवानों पर हिन्दू राष्ट्र के नाम पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक राजनीति के कारण ऐसे मामलों की ठोस और पेशेवार जांच नहीं हो पाती है। इनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करने में जितना ख़राब रिकॉर्ड बीजेपी का है उससे ज्यादा कांग्रेस का है। कांग्रेस यही सोचती रह जाती है कि ऐक्शन लेंगे तो हिन्दू वोट नाराज़ हो जाएगा और बीजेपी सरकार में ऐसे तमाम संगठन बेलगाम हो जाते हैं यह सोचकर कि हिन्दुओं की सरकार है, कोई कुछ नहीं बोलेगा।

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