25 जुलाई के दिन सलमान ख़ान चिंकारा मामले में अदालत से बरी हो गए। अदालत ने कहा कि इस मामले में गवाह हरीश दुलानी कभी कोर्ट आया नहीं। इसलिए अदालत के पास परिस्थितियों से संबंधित साक्ष्य ही रह गए हैं और वो अपर्याप्त हैं इसलिए सलमान ख़ान बरी किए जाते हैं। दो दिन तक लोग जिस गवाह की बात कर रहे थे वो आ गया है। फैसला भी आ गया है, जिस गवाह के कारण सलमान ख़ान बरी हुए वो गवाह भी आ गया है। हरीश दुलानी इनका नाम है। इनका कहना है कि इनकी गवाही ही नहीं हुई। अदालत का कहना है कि सम्मन जारी किये गए मगर ये आए ही नहीं। बुधवार की शाम जब हमारी सहयोगी हर्षा कुमारी सिंह और जोधपुर के सहयोगी अरुण हर्ष के साथ हरीश दुलानी एनडीटीवी पर आए तो एक मिसाल बनकर आए। वो मिसाल ये कि हमारी जांच एजेंसियां अपने सबूतों को जुटाने में अदालतों को भी चकमा दे सकती हैं। जिस गवाह को ग़ायब बताया गया वो अब आपके सामने हाज़िर है।
हरीश दुलानी ने एनडीटीवी इंडिया के ज़रिये अपने लिए सुरक्षा की मांग की है। उनका कहना है कि हाई प्रोफाइल केस के कारण उनकी जान को खतरा है। हरीश दुलानी सलमान खान केस के अकेले गवाह हैं। वे उस कार के ड्राइवर थे, जिससे सलमान खान शिकार करने गए। इस घटना के बार हरीश दुलानी की ज़िंदगी बदल गई और सलमान ख़ान की मंज़िल भी। वो बेगुनाही के फैसले तक पहुंच गए और हरीश दुलानी अपनी गवाही के लिए तरसते रहे। अब इनसे भी सवाल तो बनता है कि जब कोर्ट ने सम्मन जारी किए तो ये कोर्ट में क्यों नहीं आए। क्यों इन्होंने सलमान खान के वकीलों के सवालों का सामना किया। मजिस्ट्रेट के सामने इनका 164 का बयान एक मज़बूत साक्ष्य था, मगर उसे संदिग्ध और बढ़ा चढ़ाकर दिया गया बयान बताया गया है।
सलमान खान पर आरोप था कि एक फिल्म की शूटिंग के दौरान वो जोधपुर के पास भवाड़ में थे और 26 सितंबर, 1998 को एक चिंकारा का शिकार किया। उसके दो दिन बाद, 28 सितंबर 1998 को जोधपुर के घोड़ा फार्म में एक दूसरे चिंकारा को मार गिराया। 1 अक्तूबर, 1998 को सलमान खान पर काले हिरण के शिकार का भी आरोप लगा। सलमान खान को काले हिरण के शिकार के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया और 5 दिन बाद ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। निचली अदालत में इन दोनों मामलों में 1 साल और 5 साल की सज़ा सलमान को सुनाई गई, लेकिन 18 साल बाद सलमान ख़ान चिंकारा शिकार के सभी मामलों से बरी हो गए। राजस्थान सरकार ने कहा है कि पहले वो कोर्ट के फैसले को पढ़ेगी फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील का विचार करेगी।