सरकार की नई बीमा, पेंशन योजनाएं कैसे हो पाएंगी कारगर?

नई दिल्‍ली:

कई बार लगता है कि जीवन के बाद इस धरती पर कुछ बचा रहेगा तो वो है बीमा। इसलिए जीवन बचे न बचे बीमा बचाइये। हमारे आस पास तेज़ी से बदलाव हो रहा है। भले ही व्यापक रूप से इसके समर्थन या विरोध की राजनीतिक सक्रियता नज़र न आती हो लेकिन बीमा राजनीतिक शब्दावली में अपनी जगह बनाने लगा है।

अमेरिका में तो ओबामा हेल्थ केयर नाम के बीमा को लेकर दो तीन सालों तक घनघोर बहस चली मगर हमारे देश में सरकार बीमा योजनाएं लॉन्‍च करती है और राजनीतिक दल ही इसकी चर्चा नहीं करते। इसके बाद भी बीमा हमारी राजनीति का नया दांव है जिसे समझने के लिए दो उदाहरण देता हूं।

मंगलवार को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 26 मई को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत हर विधानसभा क्षेत्र में ग़रीबी रेखा से नीचे के पांच हज़ार लोगों का दुर्घटना बीमा करायेंगी और इस बीमा का पहला प्रीमियम खुद भरेंगी। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का सालाना प्रीमियम 12 रुपया है। अमेठी में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं इस लिहाज़ से स्मृति सिर्फ 7 लाख 20 हज़ार रुपये में 60,000 लोगों का बीमा करा देंगी।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा में दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा और स्वाभाविक मौत के बाद दो लाख का बीमा है जिसका सालाना प्रीमियम है 330 रुपया। अगर स्मृति ईरानी ने 330 का प्रीमियम देने का वादा किया होता तो उन्हें साठ हज़ार लोगों के लिए एक करोड़ 98 लाख रुपये देने पड़ जाते। हां अगर राहुल गांधी चाहें तो स्मृति को चुनौती देने के लिए एक करोड़ 98 लाख का प्रीमियम दे सकते हैं। वोट के लिए ऐसी होड़ शुरू हो जाए तो पब्लिक को खूब लाभ हो सकता है। नेता और बीमा कंपनी को भी लाभ होगा। नेता किसी खास कंपनी के बीमा को बढ़ावा भी दे सकते हैं।

अब दूसरा उदाहरण भी महत्वपूर्ण है। करोड़ों किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है। कई राज्य में किसान क्रेडिट कार्ड के साथ बीमा अनिवार्य है और कई विकल्प के तौर पर है। राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन यूनियन के वीएम सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है जिसके आधार पर अदालत से कहा है कि 2012 के भारतीय रिजर्व बैंक के एक सर्कुलर के अनुसार बैंकों को किसान क्रेडिट कार्ड के ज़रिये फसलों के लिए कर्ज़ देते वक्त अनिवार्य रूप से बीमा भी करना होगा। वीएम सिंह ने कहा कि कुछ बैंकों ने किसानों से प्रीमियम भी लिया मगर उसे वापस कर दिया यानी उनकी मनमानी चली। कुछ बैंकों ने बीमा ही नहीं किया। कई बार किसान खुद बीमा नहीं लेते हैं क्योंकि एक व्यक्ति के नुकसान पर बीमा नहीं मिलता है। 5-6 गांव की 33 प्रतिशत फसल नष्ट होगी तभी बीमा मिलेगा।

अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक से पूछा है कि क्या क्रेडिट कार्ड के साथ बीमा अनिवार्य है। अगर जवाब हां में आता है तो इससे यूपी के एक करोड़ साठ लाख किसानों को लाभ हो सकता है। 24 अप्रैल के टाइम्स आफ इंडिया में देशदीप सक्सेना की भोपाल से ख़बर है कि फ़र्ज़ी किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर 5 करोड़ लोन निकाल लिया गया और जब किसानों को वसूली का नोटिस पहुंचा तो हड़कंप मच गया। यह सब भी होता है।

तो बीमा को लेकर राजनीतिक सक्रियता किस तरह से बढ़ रही है। काश जान बचा लेने के लिए ढंग के सरकारी अस्पताल होते और गांवों में डॉक्टर भी। बड़े नेता तो हेलिकॉप्टर से लादकर दिल्ली गुड़गांव के प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कर दिये जाते हैं। प्रधानमंत्री ने बीमा की जिन दो योजनाओं को लॉन्‍च किया है उनके बारे में मैंने जिन लोगों से बात की, ज्यादातर ने कहा कि मार्केट में जिज्ञासा और उत्साह देखने को मिल रहा है। एक तो प्रीमियम बहुत सस्ता है और दूसरा कागज़ी कार्रवाई काफी सरल कर दी गई है। अब मैं आपको दो किस्से सुनाता हूं।

सन 1706 में लंदन में विलियम टैलबोट और थामल एलन ने दुनिया की पहली बीमा कंपनी एमिकेबल सोसाइटी की स्थापना की। कंपनी ने मुनाफा कमाने के लिए बीमा में एक नया नियम जोड़ा कि सिर्फ़ 12 से 45 साल की उम्र के लोगों को ही दुर्घटना बीमा का लाभ मिलेगा। क्योंकि 12 से 45 साल के लोगों में मृत्यु दर कम थी और 45 साल के बाद प्रीमियम से कंपनी को काफी मुनाफा हो जाता था।

इस मॉडल को चुनौती दी जेम्स डाडसन ने। 55 साल के इस गणितज्ञ को जब कंपनी ने बीमा कवर नहीं दिया तो जेम्स और उनके साथियों ने बीमा नियमावली को खूब चुनौती दी। जेम्स डाडसन के निधन के बाद उनके एक शिष्य ने सोसाइटी ऑफ इक्विटेबल अश्युरेंस नाम की कंपनी बनाई जहां बीमा लेने की कोई उम्र नहीं थी। इन्होंने बीमा की गणना किस आधार पर होगी उसका भी टेबल बनाया जिसके रास्ते चलता हुआ बीमा उद्योग आज यहां पहुंचा है।

क्या भारत सरकार ने 1706 वाला मॉडल लिया है। 18 से 70, 18 से 50 साल के लोगों के लिए अलग-अलग बीमा और 18 से 40 के लिए पेंशन योजना। अटल पेंशन योजना को समझने के लिए ज़रूरी है कि इसकी तुलना पहले से चली आ रही स्वावलंबन योजना से की जाए जो असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों के लिए है। 18 से साठ साल के लोगों के लिए है।

स्वावलंबन योजना में अगर आप हर साल 100 रुपया जमा करेंगे तो सरकार हर साल 200 देगी या 500 देंगे तो सरकार 1000 जमा करेगी। अटल पेंशन योजना में आप 100 रुपया जमा करेंगे तो सरकार 50 देगी और 500 देंगे तो सरकार 250 देगी। अधिकतम 1000 ही देगी। दोनों ही योजनाओं में सरकार अधिकतम 1000 रुपये ही देगी। मामला जटिल है इसलिए कुछ त्रुटियों को माफ कीजिएगा।

अटल पेंशन योजना के तहत आप 42 से 1452 रुपये की सालाना किश्त देकर एक हज़ार से लेकर पांच हज़ार तक की पेंशन पा सकते हैं। इसकी नियमावली में लिखा है कि सरकार उन्हीं खातों में अपना हिस्सा देगी जो आयकर दाता नहीं होंगे। उम्र के लिहाज़ से स्वावलंबन योजना 18 से 60 साल तक के लिए है और 52 साल की उम्र तक इससे जुड़ सकते हैं।

अटल पेंशन योजना में 40 के बाद नहीं जुड़ सकते हैं पर साठ के बाद पेंशन मिलेगी। मैंने बीमा पेंशन क्षेत्र में जुड़े एक व्यक्ति से बात की। ध्यान रहे कि सिर्फ एक व्यक्ति से, उन्होंने कहा कि स्वावलंबन योजना के तहत 38 लाख खाते खुले तो एजेंट को हर खाते पर 100 रुपया कमीशन मिलता था। इससे गांवों में कुछ लोगों को काम मिल गया। अटल पेंशन योजना में सारा काम बैंक के ज़रिये होगा। क्या इश्योरेंस सेक्टर को सहारा लेने के लिए बैंकों के बने बनाए ढांचे का इस्तमाल किया जा रहा है। उसी एजेंट ने कहा कि पिछले बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक और अच्छी योजना लॉन्‍च की थी मगर सरकार उसका कम प्रचार कर रही है।

वृद्धावस्था पेंशन योजना, इसे अटल बिहारी वाजपेयी के समय शुरू किया गया था मगर यूपीए ने बंद कर दिया। इस योजना के तहत आप साठ साल से ऊपर के परिजन के लिए एक मुश्त राशि देकर बीमा ले सकते हैं। करीब 66 हज़ार से छह लाख जमा करने पर अगले साल से ही पेंशन शुरू हो जाएगा। इसके तहत पांच सौ से पांच हज़ार का पेंशन जीवन भर मिलेगा। जिसके नाम से पेंशन लेंगे उसके निधन के बाद पूरा पैसा नॉमिनी के खाते में आ जाएगा।
इस योजना के तहत निवेश करने पर आयकर छूट का भी प्रावधान है। योजना 15 अगस्त तक के लिए है।

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वैसे अगर आप बैंक में खाता खोलते हैं तो एटीएम कार्ड मिलता है। कई बैंक हर एटीएम कार्ड के साथ एक दुर्घटना बीमा होता है जो बिना प्रीमियम के मिलता है। डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाला दुर्घटना बीमा पांच से पंद्रह लाख का भी होता है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बचत खाता धारकों को सालाना 100 रुपये के प्रीमियम पर दो लाख का दुर्घटना बीमा देता है। तो प्रधानमंत्री जीवन ज्योति, सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना। पहले बीमा फिर पेंशन पर बात...