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This Article is From Aug 10, 2012

दादा का दर्द, न जाने कोई...!

Manoranjan Bharti
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 15:17 pm IST
    • Published On अगस्त 10, 2012 18:29 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 15:17 pm IST

जब प्रणब दा राष्ट्रपति बने तो सबको अच्छा लगा कि सबसे काबिल व्यक्ति राष्ट्रपति भवन पहुंच गए हैं। मगर दादा की दिक्कत है कि उन्हें 16 घंटे काम करने की आदत है और राष्ट्रपति भवन में काम कम होता है... कुछ शिष्टाचार मुलाकातें, कुछ फाइलें और काम खत्म…।

दादा करें तो क्या... मुगल गार्डन में भी कितना टहलेंगे... किताबें भी कितनी पढ़ें... उन्होंने करीब 100 पत्रकारों को चाय पर बुलाया... थोड़ी बातचीत हुई... शायद उससे महामहिम का मन कुछ हल्का हुआ होगा… वह अपने सहयोगी मंत्रियों से मिलना चाहते हैं... जाहिर है, फिर एक बडे मंत्री से संपर्क साधा गया... मालूम चला कि मंत्री जी दिल्ली से बाहर हैं... अब मंत्री जी से कहा गया है कि दिल्ली आते ही इत्तला करें और दो-तीन घंटे का वक्त लेकर आएं...

महामहिम की महामजबूरी…

यही नहीं, स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आयोजित एक समारोह में प्रणब दा प्रोटोकॉल भूल गए और अपनी पुरानी आदत के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आगे चलने का हाथ से इशारा भी कर दिया, बाद में इसे प्रोटोकॉल के मुताबिक सही किया गया...

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