हमारे देश की 1.21 अरब की आबादी में हिंदू 96.63 करोड़ (79.8%), मुस्लिम 17.22 करोड़ (14.2%), ईसाई 2.78 करोड़ (2.3%), सिख 2.08 करोड़ (1.7%), बौद्ध 0.7%, जैन 0.4% हैं। आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आबादी की रफ्तार में हिंदू 0.7% घटे हैं , मुस्लिम 08% बढ़े हैं, ईसाई में कोई बदलाव नहीं और सिख 0.2% घटे हैं। अब इन आंकड़ों में जब राजनीति घुस जाती है, खासकर चुनावी मौसम में तो आंकड़ों के असर को अलग-अलग तरह से समझा जा सकता है।
पहला सवाल तो इसकी टाइमिंग को लेकर ही उठा लिया गया है। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव है। बिहार की आबादी में हिन्दू 82.69 प्रतिशत और मुस्लिम 16.87% हैं। अगर 2001 से 2011 के बीच बढ़ोतरी देखें तो हिंदू 24.61%, मुस्लिम 27.95%, जैन 17.58% और बौद्ध 41.25% हैं। हिन्दू मुस्लिम में जो 3 प्रतिशत का अंतर है, इस पर टीका-टिप्पणी सामने आने लगी हैं। हालांकि बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा नहीं बनाती दिख रही, लेकिन हिन्दू समाज में इस बढ़ोतरी पर शंका बीजेपी को फायदा पंहुचा सकती है।
शायद यही बजह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन आंकड़ों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे, लेकिन इनके जारी होने की टाइमिंग पर भी सवाल उठा रहे हैं। सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। उनकी कहना है कि इससे राजनीतिक फायदा मिलेगा और यह चुनाव के मद्देनजर किया गया है। इससे सांम्प्रदायिक धुवीकरण होगा।
बिहार के चुनाव बीजेपी ही नहीं प्रधानमंत्री के लिए भी अहम हैं। लोकसभा चुनावों में जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों ने एनडीए को जीत दिलाई थी। दिल्ली में हार के बाद बिहार के नतीजे प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और कामकाज पर मुहर के तौर पर देखे जा रहे हैं। एनडीए ने लोकसभा चुनावों में 40 में से 31 सीटें जीती थीं।
बिहार के चार जिले किशनगंज,अररिया,पुरनिया और कटिहार में 40 फीसदी मुस्लिम हैं, लेकिन इनका असर 80 सीटों पर पर है। किशनगंज में 68%, कटिहार में 43%, अररिया में 41% और पूर्णिया में 37%, इन आंकड़ों को दल अपने-अपने तरह से प्रयोग करेंगे। अॉल इंडिया मजलिसे इत्तेहादे मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदउद्दीन ओवैसी की बिहार के किशनगंज में हुई रैली में खासी भीड़ जुटी थी। उनके आने से जेडीयू-आरजेडी- कांग्रेस के एम-वाई के चुनावी गणित पर असर पड़ सकता है।
इन आंकड़ों का राजनीतिक असर शायद ज्यादा अहम है। सामाजिक पहलू यह सामने आ रहा है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों में जनसंख्या वृद्धि की दर कम हुई है। अगर 2001 से 2011 के बीच हिन्दू 16.76 प्रतिशत बढ़े तो मुस्लिम 29.52 प्रतिशत की दर से बढ़े। अगर हम इनकी तुलना पिछले 10 सालों से करें तो बढ़ोतरी दर 19.92 प्रतिशत और 29.52 प्रतिशत थी। जानकारों के अनुसार दोनों समुदायों में बढ़ोतरी की दर कम हो रही है।
सेक्स रेश्यो में मुस्लिम समुदाय में ज्यादा सुधार देखा गया है, एक हजार पुरुषों पर 951 महिलाएं हैं। वहीं हिन्दुओं में 1000 पुरुषों पर 939 महिलाएं हैं, पिछले 2001 के 931 से कुछ सुधार।
तो इन आंकड़ों की कई परतें है जो धीरे-धीरे सामने आएंगी। इनसे हम अपने समुदायों की स्थिति में कितना सुधार हम कर पा रहे हैं यह अहम रहेगा।
This Article is From Aug 27, 2015
निधि का नोट : धर्म आधारित जनगणना के आंकड़ों में राजनीतिक दिलचस्पी
Nidhi Kulpati
- ब्लॉग,
-
Updated:अगस्त 27, 2015 18:00 pm IST
-
Published On अगस्त 27, 2015 17:49 pm IST
-
Last Updated On अगस्त 27, 2015 18:00 pm IST
-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
धर्म आधारित जनगणना, राजनीति, बिहार, विधानसभा चुनाव, वोट बैंक, Religion Based Census, Bihar, Politics, Assambly Election, Vote Bank