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This Article is From Aug 27, 2020

पिक्चर अभी बाकी है, कांग्रेस में जंग जारी है...

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 27, 2020 20:18 pm IST
    • Published On अगस्त 27, 2020 20:09 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 27, 2020 20:18 pm IST

कांग्रेस का लेटर बम मामला अभी तक खत्म नहीं हुआ है. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में कहा था अब इस मामले पर कोई बात नहीं करेगा और पार्टी को इससे निकल कर आगे बढना चाहिए. मगर कांग्रेस में अभी भी सब ठीक-ठाक नहीं है. यह तो उसी दिन पता चल गया था जब कांग्रेस कार्य समिति की औपचारिक बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद के घर पर उन नेताओं की बैठक हुई जिन्होने चिट्ठी पर दस्तखत किए थे और अब गुलाम नबी ये कह रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव होना चाहिए और साथ में कांग्रेस कार्य समिति का भी चुनाव हो. यही नहीं ब्लॉक लेवल से उपर तक नियुक्ति चुनाव के बाद ही हो. आजाद ने यह भी कहा कि हमारी मंशा कांग्रेस को मजबूत करने और उसको सक्रिय करने की है.

आजाद का कहना है कि 1977 में कांग्रेस बनी उसका हम हिस्सा रहे और जो लोग यह नहीं जानते कि संगठन में चुनाव ना कराने से क्या नुकसान होता है वे ही हमारी चिट्ठी की आलोचना करेगें. जो संगठन में मनोनीत किए जाते रहे हैं वही हमारी आलोचना कर रहे हैं. मतलब साफ है अभी भी चिट्ठी लिखने वाले अपने कदम पीछे करने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का है जिसकी प्रभारी प्रियंका गांधी हैं वहां पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने जितिन प्रसाद के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया कि चिट्ठी लिखने वाले सभी 23 नेताओं पर कारवाई हो मगर इस प्रस्ताव में जितिन प्रसाद का विशेष जिक्र किया गया था कि उत्तर प्रदेश से चिट्ठी पर दस्तखत करने वालों में वही अकेले थे. 

जिस पर कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया कि अपनों से लड़ने के बजाए बीजेपी से लड़ें. उधर जितिन प्रसाद के नजदीकी सूत्र कह रहे हैं कि ये सब किसके इशारे पर हो रहा है क्यों जितिन प्रसाद को निशाना बनाया जा रहा है. मतलब साफ है कांग्रेस में अभी भी शह और मात का खेल चल रहा है. भले ही सोनिया गांधी ने कह दिया हो कि किसी गैर-गांधी को अध्यक्ष चुन लें. मगर लगता है कि इस बार उनके विरोधियों ने कमर कस ली है और आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है.

इसके लिए चिट्ठी लिखने के पहले पूरी प्लानिंग की गई. इन 31 नेताओं की कभी एक साथ बैठक नहीं हुई ये चार या पांच के ग्रुप में मिलते थे ताकि किसी को शक ना हो. अब अंतिम लडाई के लिए ये असंतुष्ट नेता इसलिए तैयार हो गए हैं कि इनके पास कांग्रेस में पाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है. गुलाम नबी का राज्यसभा का कार्यकाल 2021 में खत्म हो रहा है तो आनंद शर्मा का 2022 में और इन्हें मालूम है कि कांग्रेस के पास अब किसी भी राज्य में इतने विधायक नहीं है कि इन्हें राज्य सभा भेजा जा सके.

दूसरे मल्लिकार्जुन खडगे राज्य सभा में आ चुके हैं और वही विपक्ष के नेता बनेगें. यही हाल राज्य सभा के और भी नेताओं का है. पंजाब से जीत कर आए लोकसभा के एक सांसद को लगता है कांग्रेस ने उन्हें पार्टी का नेता ना बना कर किसी दूसरे को क्यों बना दिया ? ज्योतिरादित्य सिंधिया के तुरंत जाने के बाद जितिन प्रसाद के बीजेपी में जाने की अफवाह एक बार उड चुकी है. सोनिया सर्मथक यह भी याद दिलाते हैं कि जितिन के पिता जितेन्द्र प्रसाद एक वक्त में सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड चुके थे. वैसे भी किसी भी दल में हमेशा से दो धडे होते हैं और दोनों एक दूसरे से नाराज रहते हैं और राजनैतिक दांव पेंच खेलते रहते हैं. कांग्रेस में भी यही होता रहा है और आगे भी होगा.

मगर सबसे बड़ा सवाल है कि जब भी कांग्रेस में अधिवेशन होगा और चुनाव होगा तो क्या कोई गैर-गांधी चुनाव लड़ने के लिए तैयार होता है या नहीं. मगर जो हालात बन रहे हैं उससे लगता है इस बार चुनाव होगा मगर यह भी हो सकता है कि कोई गांधी चुनाव ही ना लड़े क्योंकि जैसा गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि अभी जो अध्यक्ष हैं उनके पास शायद एक फीसदी का भी सर्मथन ना हो. मतलब साफ है कांग्रेस में अभी सब कुछ ठीक नहीं है यानि पिक्चर अभी बाकी है दोस्तों आगे-आगे देखिए होता है क्या ?

( मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं.)

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