माननीय मुलायम सिंह यादव जी
आप 77 साल के हो गए, आप को ढेर सारी बधाइयां। बधाई देने में थोड़ी सी देर हो गई, इसीलिए आप से माफ़ी मांगता हूं। ज़िन्दगी के इस पड़ाव में आप सही सलामत हैं, यह देखकर खुशी हो रही है और दिल से यही दुआ निकल रही है कि आप हमेशा ऐसे ही रहें। हर साल नवंबर 22 तारीख को आप शानदार तरीके से अपना जन्मदिन मनाते हैं। इस बार भी मैंने देखा कैसे आप के लिए ढाई करोड़ का शानदार स्टेज बनाया गया था, 77 किलो के केक की खुशबू से कैसे आपके आसपास खड़े लोग खुश हो रहे थे। एआर रहमान जैसे ऑस्कर अवॉर्ड विजेता संगीतकार की 'जय हो' गाने की धुन से कैसे लोग झूम रहे थे।
मैंने सुना कि सैफई में दिवाली का माहौल था। पूरी सैफई को शानदार तरीके से सजाया गया था। यह भी सुनने को मिला की कई शहरों से 50 क्विंटल फूल मंगाए गए थे, लंदन से बग्घी भी मंगाई गई थी। जब में इस सब के बारे में सोचता हूं तो मेरे मन में कई सवाल खड़े होते हैं। उनमें से एक सवाल यह भी होता है कि क्या सच में मुलायम सिंह यादव जैसे नेता इस तरह जन्मदिन मनाने में यकीन रखते हैं या दूसरों की खुशी के लिए ऐसा करते हैं।
सोचते-सोचते में आपके बचपन तक पहुंच जाता हूं। मुझे आपके बचपन की कुछ बातें याद आ जाती हैं जो मैंने कहीं पढ़ी हैं। मैंने यह पढ़ा हैं कि आप का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। आपने गरीबी को करीब से देखा है। आप ने मुसीबत से मुंह नहीं मोड़ा, बल्कि डटकर सामना किया, लेकिन जिस राज्य में किसान के हाल ठीक नहीं हैं, जहां किसान सूखे की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं, जहां कई किसानों के घर में चूल्हा नहीं जल पा रहा है, उसी राज्य में इस तरह से जन्मदिन मनाने का क्या मतलब हैं? फिर वह आप जैसी नेता जो किसान को समझता है, किसान की किस्मत बदल डालने की बात करता है।
मुझे याद है कुछ दिन पहले मेरे साथी रविश रंजन शुक्ला ने बुंदेलखंड के कुछ इलाकों से दिल दहला देने वाली खबर की थी। उन्होंने किसानों की वह हालत दिखाई थी, जिसे देखकर कोई भी हिल जाएगा, लेकिन आप जैसे नेता जो किसान को समझता है, जनता है वह कैसे नहीं हिला। मैं जानता हूं आपको इस तरह की खबर देखने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आपसे ज्यादा उत्तर प्रदेश को कौन जनता है। आप लोहिया को अपना आदर्श मानते हैं, लेकिन मुझे जहां तक याद है लोहिया अपना जन्मदिन मनाने में विश्वास नहीं रखते थे। वह इसके खिलाफ थे, फिर आप क्यों मनाते हैं। वह भी ऐसी घड़ी में जहां उत्तर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में सूखा पड़ा हुआ है।
कई बार ऐसा लगता है कि आप सिर्फ सैफई के लोगों को खुश देखना चाहते हैं। सैफई महोत्सव के दौरान भी काफी पैसे खर्च किए जाते हैं। कई बड़े-बड़े अभिनेता इस महोत्सव के दौरान परफॉर्म करते हैं। मैंने सुना है कि आप उन्हें पैसे नहीं दते हैं वह खुशी-खुशी अपनी मर्ज़ी से आते हैं, लेकिन जब उनकी फिल्म रिलीज़ होती है आप कई बार उत्तर प्रदेश में टैक्स-फ्री करवा देते हैं। आप जानते हैं इस टैक्स की कमाई से उत्तर प्रदेश में कितने किसानों की भलाई हो सकती है। आप उनके लिए नई स्कीम भी शुरू कर सकते हैं।
मैं मानता हूं कि आप अपने जन्मदिन पर अपने ही पैसे खर्च करते हैं और जितना पैसा खर्च होता है वह इतनी बड़ी रकम भी नहीं है। उस पैसे से उत्तर प्रदेश के सभी किसानो की समस्याओं का समाधान भी नहीं हो सकता है, लेकिन फिर भी आप किसानो के लिए एक मिसाल बन सकते हैं। उनको एक सन्देश दे सकते हैं कि मुसीबत की इस घड़ी में आप उनके साथ खड़े हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि आगे से आपके जन्मदिन पर बनने वाले केक की खुशबू उत्तर प्रदेश के उन किसानों के पास भी पहुंचेगी, जो बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं और 'जय हो' गाने से वह सब लोग झूम उठेंगे जो इस मुसीबत की घड़ी में झुक चुके हैं।
आपका आभारी
सुशील कुमार महापात्रा
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This Article is From Nov 25, 2015
मुलायम सिंह यादव के नाम सुशील महापात्रा का खुला ख़त
Sushil Mohapatra
- ब्लॉग,
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Updated:दिसंबर 23, 2015 14:35 pm IST
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Published On नवंबर 25, 2015 01:54 am IST
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Last Updated On दिसंबर 23, 2015 14:35 pm IST
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