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This Article is From Apr 01, 2018

CBSE के अलावा SSC, MPPCS, UPPCS, BPSC, HSSC, RRB भी ज़रूरी मुद्दे हैं...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    April 01, 2018 21:40 IST
    • Published On April 01, 2018 21:40 IST
    • Last Updated On April 01, 2018 21:40 IST
कर्मचारी चयन आयोग में सब कुछ ठीक नहीं है. छात्र जब मांग कर रहे हैं तो उनकी बात को सुना जाना चाहिए. एसएससी की परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या करोड़ में तो होगी ही. इनका कोई नेता नहीं है. संगठन भी नहीं है. न ही विश्वविद्यालयों में चुनाव जीतने वाली एनएसयूआई या एबीवीपी इनके मुद्दों का प्रतिनिधित्व करती है. फिर भी ये हर बार हज़ारों की संख्या में दिल्ली आकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी बेचैनियों की कई वजहें हैं. एसएससी की भर्तियां कम होने लगी हैं. भर्ती की परीक्षा होती है तो बिना चोरी और धांधली के आरोपों के पूरी नहीं होती है. एसएससी परीक्षा कराने और रिजल्ट निकालने में काफी वक्त लेती है. रिज़ल्ट आने के बाद ज्वाइनिंग कराने में भी लंबा वक्त लग जाता है. एसएससी के मारे लाखों छात्रों को पुलिस लाठी से भगा तो सकती है मगर जब तक वे समस्याओं को लेकर घर लौटते रहेंगे, उनके भीतर वह समस्या उबलती रहेगी.

मीडिया के तमाम मंचों ने एसएससी के आंदोलन को रुटीन की तरह कवर किया. उनके कवर करने से न तो आंदोलन बनते हैं और न ही मिट जाते हैं. ऐसा होता तो न कवर किए जाने के बाद भी एसएससी के छात्र हज़ारों की संख्या में पटना, जयपुर, शिमला और मुंबई से दिल्ली नहीं आते. उसी तरह रेलवे एप्रेंटिस वाले नौजवान देश भर से जमा कर मुंबई में सेंट्रल रेलवे लाइन को तीन चार घंटे के लिए जाम नहीं कर देते. ये तमाम आयोग छात्रों को कुचल रहे हैं. अगर क्लास के कारण सिर्फ सीबीएसई को कवरेज मिलेगा और एसएससी को नहीं तो मीडिया उस जनता के साथ नाइंसाफी कर रहा है जो इस घोर बेरोज़गारी में भी अख़बार ख़रीद कर पढ़ती है और केबल के पैसे देता है. इन छात्रों को गंभीरता से सुना जाना चाहिए न कि लाठियों से भगाया जाना चाहिए.

सीबीएसई को लेकर सरकार अपनी छवि की ही चिन्ता कर रही है. मीडिया का वह हिस्सा जिसे शिक्षा के सवाल बेकार लगते हैं, इसी बहाने अपनी छवि चमकाने का प्रयास कर रहा है. इसी दिल्ली में शिक्षा को लेकर इतनी रैलियां होती हैं, कवर सब करते हैं मगर चर्चा करने के समय मीडिया ग़ायब हो जाता है. उसमें भी जल्दबाज़ी देखिए. शिक्षा सचिव ने आकर ऐलान कर दिया कि दिल्ली और हरियाणा क्षेत्र के लिए गणित की परीक्षा दोबारा होगी. अगले दिन अख़बार ख़बरों से भरे पड़े हैं कि बिहार झारखंड से लोग गिरफ़्तार हुए हैं या फिर प्रश्न पत्र लीक होने के तार मिले हैं. कोई सतीश पांडे गिरफ्तार हुआ है जिसके बारे में अखबारों ने लिखा है कि वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सदस्य है. जो भी है, जब छापे बिहार और झारखंड में पड़ रहे हों तो फिर किस आधार पर शिक्षा सचिव कह गए कि सिर्फ दिल्ली एनसीआर और हरियाणा में ही दोबारा परीक्षा होगी. सारा मामला छवि बनाने और बचाने तक सिमट कर रह गया है.

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की 2016 की परीक्षा अभी तक पूरी नहीं हो सकी है. कारण इसकी प्रारंभिक परीक्षा में कई विवादित प्रश्न पूछे गए थे. जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई. करीब साढ़े चार लाख नौजवानों ने 633 पदों के लिए परीक्षा दी थी. प्रारंभिक के बाद मेन्स की परीक्षा हुई मगर कोर्ट केस के कारण मेन्स परीक्षा की कॉपी जांचने का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने कापी जांचने के आदेश दिए हैं लेकिन डेढ़ साल से कुछ नहीं हुआ है. इस तरह की कहानी आपको हर राज्य में मिलेगी. मध्य प्रदेश में पटवारी की परीक्षा देने वाले छात्र बार बार मेसेज कर रहे हैं कि जिनके कम नंबर हैं, वो मेरिट लिस्ट में हैं, जिनके ज़्यादा हैं, वो मेरिट लिस्ट से ज़्यादा है. नौजवानों के बीच कितनी हताशा होगी, फिर भी सांप्रदायिक तनावों को भड़काने के लिए नौजवानों की कोई कमी नहीं है. हर जगह वही दिख रहे हैं.

रेल मंत्रालय बड़े बड़े अक्षरों में विज्ञापन निकाल रहा है कि 1 लाख से अधिक नौकरियों के विज्ञापन निकले हैं. काश इस तरह के विज्ञापन चार साल निकलते रहते तो इस दौरान भी बहुत नौजवानों को नौकरियां मिल जातीं. अब चुनाव आ रहे हैं तो ऐसे विज्ञापन ख़ूब निकलेंगे. रेल मंत्री ने अभी तक यह आश्वासन नहीं दिया है कि कब तक परीक्षाएं हो जाएंगी और कब तक लोगों के हाथ में नियुक्ति पत्र होगा. रेलवे में 2 लाख 20 हज़ार पद ख़ाली हैं फिर 1 लाख 20 हज़ार विज्ञापन निकालने का क्या मतलब है. ढाई करोड़ से ज़्यादा नौजवानों ने 90,000 पदों के लिए आवेदन किया है. उम्र के कारण न जाने कितने नौजवान इस परीक्षा से बाहर हो गए हैं तब भी ढाई करोड़ नौजवानों ने फार्म भरा है.

मध्य प्रदेश से एक नौजवान ने लिखा है कि राज्य विद्युत विभाग की भर्ती निकली थी. 28 फरवरी 2017 तक शारीरिक परीक्षा से लेकर दस्तावेज़ों के परीक्षण तक का काम हो चुका है. मगर अभी तक ज्वाइनिंग लेटर का पता नहीं चल रहा है.

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 12 नंवबर 2017 को ड्राफ्ट्स मैन की परीक्षा ली थी. 15 दिसंबर को उत्तर कुंजिका आ गई थी. इस परीक्षा का विज्ञापन 2015 में निकला था. छात्रों का कहना है कि इसी वेकैंसी के लिए हुड्डा सरकार ने भी विज्ञापन निकाला था. जिसके लिए इंटरव्यू जून 2014 में हो गया था. मगर सरकार बदलने के बाद फिर से विज्ञापन निकला ताकि लगे कि नई सरकार नई भर्तियां कर रही है. सारा खेल विज्ञापन निकाल कर हेडलाइन हासिल करने का है. जब आप ज्वाइनिंग लेटर मिलने और ज्वाइनिंग हो जाने का रिकार्ड देखेंगे तो पता चलेगा कि ये भर्तियां नौजवानों को ठगने के लिए निकाली जा रही हैं, नौकरी देने के लिए नहीं.

बेहरत है कि मीडिया और समाज सभी परीक्षा व्यवस्थाओं को समग्रता से देखे. उनकी कमियों पर बात करे और इस पर बात करे कि किस तरह नौकरियों के विज्ञापन निकाल कर सरकारें नौजवानों को उल्लू बना रही हैं. सीबीएसई वाले छात्र जब कालेज से निकलेंगे तो इन्हीं आयोगों से पाला पड़ने वाला है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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