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This Article is From Dec 11, 2015

निधि का नोट : दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ तेज होती मुहिम

Written by Nidhi Kulpati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 13:42 pm IST
    • Published On दिसंबर 11, 2015 20:16 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:42 pm IST
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए लगातार घोषणाएं हो रही हैं। कभी दिल्ली सरकार, तो कभी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं, जो वक्त की जरूरत भी है। आज खबर आई कि दिल्ली सरकार राजधानी के स्कूलों को 1 से 15 जनवरी तक बंद कर सकती है। हालांकि स्कूलों से बात करनी अभी बाकी है। स्कूलों की बसें ऑड-इवन प्रयोग के दौरान काम में लाई जाएगी। अब दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग सक्रीय हो गया है। "पूछो" ऐप के माध्यम से ऑटो और टैक्सी जिनमें जीपीएस है, सब अपने नए नम्बर के साथ मौजूद रहेंगे, ताकि आसानी से यात्रियों को मिल सके।

आज एनजीटी ने किसी भी तरह की नई डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है। साथ ही एनजीटी ने केंद्र, दिल्ली सरकार और पब्लिक अथॉरिटी जैसे एमसीडी, एनडीएमसी, डीडीए से कहा है कि वो अपने विभागों के लिए डीज़ल गाड़ियां न खरीदें। डीजल, पेट्रोल से 27 फीसदी ज्यादा प्रदूषण करता है, लेकिन गाड़ी के अंदर की हालत कैसी है, वो बड़ा रोल अदा करती है।

आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार 80 हजार ट्रक दिल्ली में हर रात घुसते हैं। हरियाणा ने अपना ट्रैफिक काफी डाइवर्ट किया है, लेकिन अन्य पड़ोसी राज्यों को काफी कुछ करना बाकी है। दिल्ली में 46 प्रतिशत प्रदूषण ट्रकों से, 33 फीसदी दो पहिये वाहनों से और 10 प्रतिशत कारों से होता है।

सरकार की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में छह लाख रजिस्टर्ड डीजल की गाड़ियां हैं, जिसमें 86,000 व्यावसायिक हैं। केंद्र का कहना रहा है कि प्राइस डेरेगुलेशन के बाद डीजल गाड़ियों का हिस्सा देश भर में कम हुआ है, लेकिन एनजीटी को दिल्ली सरकार ने कहा है कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने 2013 के मुकाबले 2014 में 6748 ज्यादा गाड़ियां रजिस्टर की और 2014 के पहले 5 महीनों में 34,261 डीजल गाड़ियां रजिस्टर कीं, जो कि सारे रजिस्ट्रेशन्स का 40 फीसदी है। 2015 में ये ढलान पर है, लेकिन अब डीजल गाड़ी के रजिस्ट्रेशन पर ही रोक लगा दी गई है। ये समय की जरूरत है।

खुले में कूड़ा जलाने पर 5 से 50 हज़ार जुर्माना लागू कर दिया गया। ये तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। कंस्ट्रक्शन का सामान ढंककर ले जाना ज़रूरी कर दिया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार सड़क पर धूल से 35 प्रतिशत, वाहनों से 25-36 प्रतिशत, घरों में रसोई से 22 प्रतिशत और पावर प्लांट से 22 प्रतिशत प्रदूषण होता है। लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या आदेशों को लागू करने की है। सुप्रीम कोर्ट हो या फिर एनजीटी ये दोनों राज्य और केंद्र सरकार को फटकार लगा चुके हैं।

ट्रांसपोर्ट विभाग का इंफोर्समेंट डिपार्टमेंट, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, माप-तौल विभाग और दिल्ली पुलिस में समन्वय की समस्या बनी हुई है। दिल्ली सरकार ने पेट्रोल पंप पर शुरुआती दिनों में तो चेंकिंग की, लेकिन बाद में सब ठप रह गया। दिल्ली पुलिस के पास भी सिर्फ 6,000 पुलिसवाले ऐसे हैं, जो इस काम में लगाए जा सकते हैं। तमाम कमियों के बीच हम आम नागरिको का कर्तव्य भी अहम हो गया है। हर एक छोटा कदम बेहद जरूरी है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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