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This Article is From Dec 23, 2015

निधि का नोट : खेलों के साथ नेताओं की सियासत

Nidhi Kulpati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 20:59 pm IST
    • Published On दिसंबर 23, 2015 20:07 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 20:59 pm IST
बुधवार को बीजेपी ने दिल्ली क्रिकेट संघ में धांधलियों को सामने रखने वाले अपने सांसद कीर्ति आजाद को पार्टी से सस्पेंड कर दिया। पिछले कई सालों से कीर्ति आजाद कोशिश में थे कि दिल्ली क्रिकेट में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार पर अरसे से अध्यक्ष रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली कार्रवाई करें, लेकिन उनकी सुनी नहीं गई। फिर यह मुद्दा  आम आदमी पार्टी के हाथ लग गया और जिस तरह से इसे मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उछाला, वह वित्तमंत्री की नाक में दम करने लगा।    

आम आदमी पार्टी ने बुधवार को वित्त मंत्री के घर के बाहर घंटों धरना-प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ता उनके इस्तीफे की मांग पर अड़े रहे। पुलिस को धारा 144 लगानी पड़ी। हालांकि आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए जेटली ने आप के नेताओं पर 10 करोड़ का मानहानि का मुकदमा दर्ज कर दिया है, लेकिन केजरीवाल सरकार लगातार हंगामा कर दबाव बढ़ा रही है।

पार्टी के अंदर भी मुश्किल में अरुण जेटली
इधर वित्त मंत्री की परेशानियां पार्टी के अंदर भी बढ़ती जा रही हैं। प्रधानमंत्री रूस की यात्रा पर रवाना हो गए लेकिन उनका दिया उदाहरण वित्त मंत्री पर भारी पड़ रहा है। मंगलवार को प्रधानमंत्री ने संसदीय दल की बैठक में कहा था कि जेटली आडवाणी की तरह हवाला मामले में आरोप से साफ निकल  आएंगे। बुधवार को बीजेपी के मुखर सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी जेटली को सलाह दी कि राजनीतिक लड़ाई लड़ें, कानूनी नहीं, वित्त मंत्री आडवाणी जी का उदाहरण अपनाएं और साफ निकलकर आएं। सिन्हा ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे लोगों की हौसला अफजाई होनी चाहिए। देखना होगा कि हमारी कार्यवाही कहीं उल्टी न पड़ जाए। सच्चाई पार्दर्शिता जरूरी है। बहरहाल कीर्ति आजाद पर तो कार्रवाई हुई और वे सस्पेंड कर दिए गए।

खेल संगठन में न हों नेता
इस मामले में एक तरफ राजनीति तो दूसरी तरफ मसला खेलों में भ्रष्टाचार और नेताओं में इनसे जुड़ने की होड़ का भी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बुधवार को ट्वीट किया कि किसी भी खेल संगठन में नेता नहीं होने चाहिए। खेलों को पेशेवर ही संभालें। खबर यह भी आई कि बीसीसीआई के कामकाज में बदलाव के लिए जस्टिस लोढा पैनल 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट  में अपनी वह रिपोर्ट सौंपेंगे जिसमें कहा गया है कि  BCCI के कामकाज में कई खामियां है। भ्रष्टाचार और पार्दर्शिता भी बड़ा मुद्दा है।

राजनीतिक दखल पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
दरअसल इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोढा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल बनाया था जिसने सितंबर में सीएसके और राजस्थान रायल्स पर दो साल का और गुरुनाथ मय्पपन राज कुन्दा पर आजीवन प्रतिबंध लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कहा था कि व्यापारी और नेता भारतीय खेलों को बर्बाद कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो खेलों के प्रशासक हैं, उनका खेलों से कुछ लेना-देना नहीं होता और वे इस तरह संचालन करते हैं जिससे खेल को नुकसान होता है। खेलों पर निजी लोग कब्जा जमाए हुए हैं। क्या यह ठीक है। इसी कारण हॉकी इतनी कमजोर हो गई है जिसके लिए एक समय हम गोल्ड मेडल जीतते थे अब क्वालिफाई करने में मुश्किल हो रही है।

एक नजर खेल संघों पर काबिज नेताओं पर
  • फुटबॉल फेडरेशन- प्रफुल्ल पटेल, एनसीपी
  • स्वीमिंग फेडरेशन- दिगंबर कामत, कांग्रेस
  • बैडमिंटन एसोसिएशन- अखिलेश दास, बीएसपी
  • बॉक्सिंग फेडरेशन- अभिषेक मटोरिया, बीजेपी
  • कुश्ती संघ- बृजभूषण शरण सिंह, बीजेपी
  • गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन- अमित शाह, बीजेपी
  • मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन- शरद पवार, एनसीपी
  • मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन- ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस
  • हिमाचल क्रिकेट एसोसिएशन- अनुराग ठाकुर, बीजेपी
यह फेहरिस्त और भी लंबी है। कभी राजनीतिक दबदबा तो कभी ताकत के चस्के ने हमारे खेलों को कमजोर बना दिया है। लेकिन जरुरत है हमें कुशल प्रशासक की और अनुभवी नेतृत्व की भी।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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