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This Article is From Sep 04, 2015

निधि का नोट : सब ठीक है तो संघ और सरकार के बीच समन्वय की जरूरत क्यों ?

Nidhi Kulpati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 04, 2015 18:54 pm IST
    • Published On सितंबर 04, 2015 18:46 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 04, 2015 18:54 pm IST
तीन दिन तक चली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सरकार और बीजेपी के बीच हुई समन्वय बैठक में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पंहुचे। हालांकि मंत्रीगण तीनों दिन पंहुचते रहे, कामकाज का ब्योरा देते रहे और अब समाप्ति से कुछ घंटे पहले प्रधानमत्री भी इस बड़े स्तर पर आयोजित बैठक का हिस्सा बने। ...तो सरकार के 15 महिनों के कार्यकाल के बाद क्या जरूरत पड़ी कि इतने बड़े स्तर पर बैठक का आयोजन हुआ?

संघ के सह-सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले ने तीसरे दिन पत्रकारों से कहा कि इस बैठक में  सिर्फ अनुभवों का आदान-प्रदान, विचार विमर्श हुआ। सरकार के कामकाज का कोई आकलन नहीं हुआ। देश से जुड़े कई मसलों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि सरकार की दिशा, लगन, प्रतिबद्धता ठीक है। संघ सरकार के लिए कोई एजेंडा नहीं तय कर रहा। नीतिगत फैसले सरकार करेगी और सरकार के आला मंत्रियों की इस बैठक पर सवाल क्यों, जब तमाम सगठनों के कार्यक्रमों में मंत्री पहुंचते हैं? उन्होंने कहा कि रिमोट कंट्रोल से सरकार नहीं चला रहे। संघ ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए कहा कि वह पहले अपने ही हिस्से थे। पड़ोसियों के साथ सांस्कृतिक संबंध सुधारने चाहिए।

जब सरकार ठीक काम कर रही है तो समन्वय की जरूरत क्यों? लेकिन क्या संघ की तरफ से आए बयानों से लगा कि संघ अपने आपमें कुछ बदलाव ला रहा है। वह एक मजबूत सरकार का साथ निभाते हुए दिखना चाह रहा है। संघ के लिए बिहार चुनावों और देश का युवा एक अहम पहलु है इस समय।

शुक्रवार को इस बैठक के आखरी दिन दो अहम सवाल संघ के सामने हैं, एक तो बीजेपी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारी बहुमत लेकर जीती। इसमें संघ का बड़ा योगदान रहा, लेकिन पार्टी व्यक्ति केंद्रित होती गई। मोदी के नाम पर जीत, मोदी के नाम पर सरकार... यहां तक कि मोदी के नाम पर शाखाओं का भी इजाफा हुआ। संघ व्यक्ति विशेष पर नहीं चलता, लेकिन इस समय हालात ऐसे ही हैं उसके सामने।

संघ की एक और चिंता है बीजेपी के अपने बढ़ते आधार की। बीजेपी आरएसएस का राजनीतिक अंग है, लेकिन अगर यह अंग अपने को बहुत बड़ा कर ले तो सवाल खड़े होंगे। 20 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष ने ट्वीट कर देश को बताया था कि बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। 10 करोड़ से ज्यादा की मेंबरशिप हो गई है। पार्टी भी 15 लाख समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ काम कर रही है। ...तो क्या संघ खुद को कुछ बदल रहा है ?...क्या वह नरमी से पार्टी पर अपना प्रभाव रखना चाह रहा है ?

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