मैं राजनीति में हूं औरा मेरा सपना एक अलग बिहार का भी है. मैं एक बात स्पष्ट कर दूं कि नीतीश कुमार से मेरा कोई निजी अलगाव नहीं हैं जो कि इस चुनाव में एनडीए का चेहरा भी हैं. बिहार में एनडीए से अलग होकर मेरा अकेले चुनाव में जाने का फैसला मेरे उस यकीन की वजह से था कि अगर मेरे राज्य को विकास करना है तो इसे एक डबल इंजन की सरकार चाहिए जिसमें कोई बीजेपी नेता राज्य की कमान संभाले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन आत्मनिर्भर भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके.
2017 में नीतीश कुमार के एनडीए में वापस आने के बाद उनके प्रदर्शन को देखिए. यह केवल उनके और उनके सात निश्चय के ही बारे में है जो कि भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बन गया है. मैं देश के हर नागरिक से विनती करता हूं कि वो बिहार आएं और खुद देखें और फैसला करें कि इन योजनाओं के तहत खर्च किए गए पैसों का क्या नतीजा हुआ है.
यह करदाताओं के पैसे की लूट से कम नहीं है. माफ कीजिए, लेकिन मैं उनके इस एजेंडे का हिस्सा नहीं हो सकता. केवल हमें चिढ़ाने और हमारी बेइज्जती करने के लिए उन्होंने सात निश्चस पार्ट 2 भी लॉन्च कर दिया.
इसलिए मेरा मुख्य उद्देश्य बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार है जो कि एनडीए के एजेंडे पर काम कर सके. यहां तक कि जब हम उनकी सरकार का हिस्सा थे, उन्हें बमुश्किल की सहयोगियों से कुछ लेना-देना था और मैं ऐसी किसी भी सरकार का हिस्सा होना नहीं चाहता जहां मेरे एजेंडे की अनदेखी की जाए.
बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट मिशन के तहत हमने 4 लाख से ज्यादा लोगों से राय ली और उनकी सलाह को राज्य के घोषणा पत्र में शामिल किया. अगर मजदूरों का दूसरे राज्यों में पलायन बड़ा मुद्दा है, तो देखिए, हम इसके समाधान के साथ आए हैं. यह दृष्टिकोण विकास और औद्योगिकीकरण में कमी को लेकर भी अपनाया गया है. या बाढ़ के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने के लिए, या फिर शिक्षा को सुधारने के लिए. इन चुनौतियों में से प्रत्येक के लिए, हमारे पास भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के सत्ता में आने की स्थिति में एक कार्य योजना तैयार है. यही मेरा मुख्य लक्ष्य है.
मैं जोर देकर कहना चाहूंगा कि नीतीश कुमार के इस अंदाज से कि ''15 साल पहेले ऐसा था, और अब इतना किया, संतोष करो'', मेरा सब्र जवाब दे रहा था. आप किसी भी नए या आधुनिक विचार के लिए तैयार नहीं हैं और इस तरह की मानसिकता बिहार के लोगों को ले डूबेगी और मुझे ये मंजूर नहीं है. नीतीश कुमार एक बुरी स्थिति की तुलना बदतर स्थिति से कर रहे हैं. मुझे ऐसे प्रशासन के खिलाफ कुछ तो करना है.
आप हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम करने के तरीके और उनके प्रदर्शन को देखिए - वह गवर्नेंस को लेकर मेरे रोल मॉडल हैं. केवल उनकी वजह से हम 2014 से एनडीए में हैं - नीतीश कुमार की तरह नहीं जो बाहर चले गए और पीएम को चुनौती दी. यह धोखा है. यह अलग बात है कि अंतत: लोगों ने उन्हें सबक सिखा दिया, उन्हें वापस पीएम के पास आकर शरण लेनी पड़ी.
हां, मैं पीएम के साथ मजबूती से खड़ा हूं लेकिन मैंने जो फैसला लिया है वह मुझे अपने लोगों की भलाई के लिए काम करने की अनुमति देता है. इसलिए जब लोग मुझसे पूछते हैं कि मैंने बिहार में एनडीए को क्यों छोड़ दिया, यह इस बात को लेकर नहीं है कि हमें चुनाव में कितनी सीटें मिलीं. हमने इस पर शायद ही चर्चा की हो. मेरी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुझे बिहार और बिहारियों के हितों को सुरक्षित रखने की अपील की. मैं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किसी बीजेपी नेता का नाम नहीं ले सकता था लेकिन चुनाव के बाद अब मैं बीजेपी के राज्य प्रमुख के लिए ध्यान केंद्रित कर रहा हूं.
मैं आपको आश्वस्त करता हूं- हम नीतीश कुमार को बाहर करेंगे.
(चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष हैं)
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