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This Article is From Oct 15, 2018

अकबर ने आरोपों के पीछे मंशा पर ही उठाए सवाल

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 16, 2018 09:33 am IST
    • Published On अक्टूबर 15, 2018 22:51 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 16, 2018 09:33 am IST
एम जे अकबर पर 14 महिला पत्रकारों के लगाए आरोप और उनके जवाब की स्टोरी को लेकर एक अध्ययन यह भी करना चाहिए कि हिन्दी अखबारों ने अकबर पर लगे आरोपों का किस पन्ने पर और कितना छोटा सा छापा और जब खंडन आया तो उनके खंडन को कहां छापा और कितनी प्रमुखता से छापा. मीडिया विजील वेबसाइट पर संजय कुमार सिंह इसका अध्ययन कर एक लेख भी लिखा है. बता रहे हैं कि जिन हिन्दी अखबारों ने अकबर पर लगे आरोपों की खबर को अनदेखा कर दिया उनके यहां अब अकबर के बयान की खबर चार और पांच कॉलम में छपी है. राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर, नवोदय टाइम्स, नवभारत टाइम्स, दैनिक सवेरा को छोड़ कई बड़े अख़बारों ने इस खबर को तहखाने में भेज दी. पाठकों तक खबर पहुंची भी नहीं. कुछ अखबारों ने छापने की खानापूर्ति की. भीतर के पन्ने पर तीन चार लाइन में खबर छाप दी. इस तरह हिन्दी के पाठकों का बड़ा समूह इस ख़बर के सभी पहलुओं को जानने से वंचित रह गया. 15-20 पन्ने के अखबारों में विदेश राज्य मंत्री से जुड़ी खबर रूटीन टाइप छपे या मामूली समझ कर छपे ही नहीं, इसका अध्ययन किया जा सकता है. जबकि इन्हीं अखबारों में मी टू अभियान से जुड़ी अन्य खबरें खूब छपी हैं.

विदेश यात्रा से लौटकर अकबर ने अपनी तरफ से बयान जारी किया और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि वे मानहानि का दावा करेंगे. 14 महिला पत्रकारों ने आरोप लगाए, पुष्टि की है और बयान दिए हैं. एक महिला पत्रकार ने अपनी पहचान ज़ाहिर नहीं की है. अकबर के वकीलों ने इनमें से सिर्फ एक प्रिया रमानी को मानहानि का नोटिस भेजा है. बाकी के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है. क्या प्रिया रमानी को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले नाम लिया. 8 अक्तूबर को प्रिया ने ही ट्वीट कर दिया कि मैंने इस लेख में जिसका नाम नहीं लिया है वह एम जे अकबर है. उसके बाद तो एम जे अकबर के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों वाले लेखों की झड़ी लग गई. रमानी ने उस लेख में लिखा था कि 'अकबर ने उन्हें नौकरी के इंटरव्यू के लिए होटल के अपने कमरे में बुलाया था. रमानी के मुताबिक वो इंटरव्यू कम डेट जैसा ज़्यादा था. उस आदमी ने मुझे एक मिनी बार से शराब ऑफर की जिसे मैंने मना कर दिया. हम एक छोटे टेबल पर बैठे. अकबर ने संगीत के बारे में मेरी पसंद पूछी और कुछ पुराने हिंदी गाने गाए. इसके बाद अकबर ने मुझसे अपने बेड पर बैठने को कहा. मैंने कहा नहीं ठीक है. उस रात मैं बच निकली. अकबर ने मुझे नौकरी दी और मैंने कई महीने काम किया हालांकि मैंने कसम खा ली थी उसके बाद उसके साथ एक कमरे में अकेले नहीं रहूंगी.'

वकालतनामा में 97 वकीलों के नाम हैं, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया है कि एक प्रिया रमानी के लिए 97 वकील लगाए गए हैं. करांजावाला लॉ फर्म ने साफ किया है कि सभी 97 वकील इस केस में शामिल नहीं हैं. पटियाला हाउस कोर्ट में करंजावाला फर्म ने अपने सीनियर पार्टनर संदीप कपूर, वीर संधू, निहारिका करांजावाला, अपूर्वा पांडे, मयंक दत्ता और जी जी कश्यप के ज़रिए मामला दायर किया है. प्रिया रमानी ने भी तुरंत बयान जारी कर कहा है कि 'केन्द्रीय मंत्री ने कई महिलाओं के आरोपों को राजनीतिक साज़िश बताकर ख़ारिज कर दिया. अकबर ने मेरे ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का केस करके अपना स्टैंड साफ़ कर दिया है. कई महिलाओं के गंभीर आरोपों का जवाब देने की बजाय वो उन्हें ख़ामोश करना चाहते हैं. एमजे अकबर डराकर और परेशान करके आवाज़ दबाना चाहते हैं. मैं अपने ऊपर लगे मानहानि के आरोपों से लड़ने के लिए तैयार हूं. सच और सिर्फ़ सच ही मेरा बचाव.'

रविवार को भी पांच महिला पत्रकारों ने बयान जारी किया था. उन्होंने कहा था कि वे अकबर पर लगाए आरोपों पर कायम हैं. अकबर ने जो बयान जारी किया है उससे उन्हें निराशा हुई है, मगर वे हैरान नहीं हैं. दि एशियन एज की रेज़िडेंट एडिटर सुपर्णा शर्मा ने एक्सप्रेस से कहा कि 'मैं अपने साथ हुई दो घटनाओं पर कायम हूं. एक घटना में अकबर ने उनके ब्रा के स्ट्रैप को खींचा था और दूसरी घटना में छाती की तरफ घूरा था. मैं इस बात पर भी कायम हूं कि उन्होंने दूसरी औरतों के साथ भी यही किया. यह लंबी लड़ाई है लेकिन अगला कदम कानूनी ही होगा.'

क्या अकबर सुपर्णा के खिलाफ मानहानि का नोटिस भेजेंगे? अभी साफ नहीं है. न्यूयॉर्क में काम कर रही पत्रकार माइली डी पाई कैंप ने भी अकबर के बयान का जवाब दिया है. कहा है कि 'मैं नागरिक नहीं हूं. मैं वोट नहीं कर सकती. मेरा कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. मेरे पास पेपर ट्रेल यानी सवाल जवाब के सबूत हैं. मेरे पिता ने अकबर को घटना के बारे में ईमेल किया था जिसका उन्होंने जवाब दिया था. मेरे पास सबूत है. मैं निराश हूं लेकिन उनके बयान से हैरान नहीं हूं. मैं अपनी स्टोरी को लेकर काफी सहज हूं.'

पत्रकार माइली डी पाई कैंप के माता-पिता भारत में जब काम करते थे तब उनके ज़रिए अकबर के पास पहुंची थी. तब का संस्मरण उन्होंने लिखा था कि अकबर ने उनके भरोसे को तोड़ा है. अकबर ने उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी थी. विदेश यात्रा से लौटते ही अकबर ने लिखित बयान जारी किया और कुछ लेखों की बातों को चुनकर उनके हवाले से खंडन किया और अपनी बात रखी. अकबर ने अपने बयान में कहा कि 'मेरे ख़िलाफ़ दुर्व्यवहार के आरोप पूरी तरह ग़लत और मनगढ़ंत हैं जिन्हें इशारेबाज़ी और बदनीयती से बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है. कुछ वर्गों में बिना सबूत आरोप लगाना काफ़ी आम हो गया है. मेरे वकील मुझ पर लगे इन आधारहीन आरोपों को देखेंगे और आगे की क़ानूनी कार्यवाही तय करेंगे.' एमजे अकबर ने प्रिया रमानी और ग़ज़ाला वहाब के आरोपों को ग़लत बताया और कहा कि 'ये ध्यान देना ज़रूरी है कि इन कथित घटनाओं के बाद भी दोनों मेरे साथ काम करती रहीं. इसी से स्पष्ट हो जाता है कि उन्हें मुझसे कोई आशंका या दिक्कत नहीं थी.' अकबर ने सवाल किया कि ये तूफ़ान आम चुनाव से पहले ही क्यों उठा है. क्या किसी का कोई एजेंडा है. इन झूठे, आधारहीन आरोपों ने मेरी प्रतिष्ठा को ऐसा नुकसान पहुंचाया है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती. झूठ के पैर नहीं होते लेकिन उसमें ज़हर होता है जिसे उन्माद में बदला जा सकता है. ये बहुत तकलीफ़देह है. मैं उपयुक्त क़ानूनी कार्रवाई करूंगा.'

ग़ज़ाला ने आरोप लगाए थे कि अकबर बिना बात के कमरे में बुला लेते थे. छाती पर हाथ रख दिया था. नितंबों को सहलाया था. इस तरह का ब्यौरा ग़ज़ाला वहाब के आरोपों में है जो छपा है. अकबर के खंडन के बाद ग़ज़ाला बहाब ने फिर एक बयान जारी किया है. ग़ज़ाला वहाब ने उनके इस दावे का खंडन किया कि एशियन एज वाले दफ़्तर में कुछ नहीं हो सकता था और वहाब उनके साथ बाद में काम करती रहीं. वहाब ने लिखा है कि 'यह सूर्यकिरण बिल्डिंग के उस दफ़्तर में हुआ जहां एमजे अकबर का विशाल केबिन था. मैंने एमजे अकबर के साथ बाद में कभी काम नहीं किया. मैंने फौरन इस्तीफ़ा दे दिया था.'

ग़ज़ाला वहाब ने अपने बात के समर्थन में एमजे अकबर की सेक्रेटरी रहीं रचना ग्रोवर के कुछ ट्वीट्स के स्क्रीन शॉट्स भी साझा किए हैं. महिला पत्रकारों के संगठन इंडियन विमेन प्रेस कोर, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, साउथ एशिया वीमेन इन मीडिया यानी चार संगठनों ने बयान जारी कर अकबर के इस्तीफे की मांग की है. अपने साझा बयान में कहा है कि 'इन शिकायतों की निष्पक्ष जांच को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए. जहां बिना किसी धमकी और डर के सभी शिकायतों को सुना जा सके. यही उचित होता कि जांच पूरी होने तक मंत्री अपने पद से इस्तीफा देते. हम निराश हैं कि अकबर ने इस्तीफा न देकर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है.'

इसके अलावा कई पत्रकारों ने प्रिया रमानी का हौसला बढ़ाया है. सुहासिनी हैदर, सागरिका घोष, राणा अय्यूब, नमिता भंडारे. सुचेता दलाल ने तो ट्वीट किया है कि मिल कर पैसे जमा किए जाएं और प्रिया को केस लड़ने में मदद की जाए. सभी को उम्मीद थी कि अकबर इस्तीफा देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वैसे एक चुनावी सभा में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि उनकी सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील है.

अकबर का दिन सामान्य रहा। उन्होंने सुषमा स्वराज के साथ एक बैठक में भी हिस्सा लिया. आलोक नाथ ने भी बलात्कार का आरोप लगाने वाली विन्ता नंदा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है. पत्रकार विनोद दुआ पर डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर निष्ठा जैन ने भी आरोप लगाए हैं. दि वायर ने इस स्टोरी को छापा है, निष्ठा जैन के आरोपों का डिटेल भी है और इस मामले को अपनी आंतरिक कमेटी में जांच के लिए भेज दिया है.
 

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