राजस्थान में 33 दिनों से चल रहे संकट में अचानक एक नया मोड़ आया है. बताया जा रहा है सचिन पायलट और राहुल गांधी की मुलाकात हुई है जिसमें प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं. अब जो खबरें सचिन पायलट कैंप से आ रही हैं उनकी मानें तो राहुल गांधी ने पायलट को भरोसा दिलाया है उनकी सम्मानजनक घर वापसी होगी. इसका दो ही मतलब निकाला जा रहा है, या तो सचिन पायलट को जयपुर भेजा जाए और उन्हें फिर से उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दी जाए. लेकिन इस सबसे से पहले सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायकों को जयपुर जाना होगा और अशोक गहलोत सरकार के पक्ष में विश्वास मत के दौरान वोट करना होगा. मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि 33 दिनों बाद सचिन पायलट को यह निर्णय क्यों लेना पड़ा. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हैं वसुंधरा राजे सिंधिया.
सिंधिया ने बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा को यह साफ कर दिया कि राजस्थान में बीजेपी की सरकार नहीं बन सकती क्योंकि सचिन पायलट के पास उतने विधायक नहीं थे कि उसकी मदद से बीजेपी की सरकार बन पाए और ये बात वसुंधरा राजे बीजेपी नेताओं को समझाने में सफल रहीं. दूसरी तरफ अशोक गहलोत ने भी बीजेपी विधायकों से संर्पक करना शुरू किया जिससे बीजेपी तिलमिला गई. उन्हें लगा कि गहलोत उन्हें उन्हीं के खेल में मात देने की कोशिश कर रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी अपने 20 विधायकों को लेकर गुजरात चली गई.
यही नहीं 33 दिन गुजर जाने के बाद पायलट सर्मथक करीब दस विधायकों ने अशोक गहलोत और दिल्ली में कांग्रेस नेताओं से संर्पक करना शुरू कर दिया. दूसरी तरफ वसुंधरा राजे की जे पी नड्डा से मुलाकात के बाद पायलट सर्मथक विधायकों की हरियाणा के सात सितारा होटल में आवभगत भी बंद हो गई. यदि सूत्रों की मानें तो रिसॉर्ट वालों ने विधायकों को होटल के बिल की याद दिलानी शुरू कर दी. ऐसे में सचिन पायलट के पास विकल्प काफी कम होते गए. फिर उन्होंने प्रियंका को फोन करना शुरू किया. माना जाता है कि पहले प्रियंका ने जवाब में कहा कि वो भाई यानी राहुल गांधी को संर्पक करें. फिर सचिन पायलट ने कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को संर्पक किया. फिर राहुल और सचिन पायलट की मुलाकात हुई और बताया जा रहा है कि उसमें प्रियंका भी मौजूद थीं.
अब कांग्रेस आलाकमान से दो तरह की खबरें आ रहीं हैं. एक तो यह कि कोई समिति बनाई जाएगी जो अशोक गहलोत सरकार के कामकाज पर नजर रखेगी, दूसरी तरफ सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष का पद दोबारा मिलेगा. दूसरी खबर ये भी आ रही है कि सचिन पायलट को निकट भविष्य में प्रदेश या दिल्ली में कोई पद मिलना मुश्किल होगा और उन्हें कुछ दिनों तक कूलिंग पीरियड में रहना होगा. फिलहाल गहलोत झुकने के मूड में नहीं दिख रहे हैं. दरअसल कांग्रेस आलाकमान चाहती है कि पहले अशोक गहलोत सरकार अपना विश्वास मत हासिल करे जिससे अगले 6 महीनों तक उनकी सरकार को कोई खतरा ना रहे. यानी वसुंधरा राजे का गहलोत सरकार को ना गिराने की दो टूक बात के बाद पलटा राजस्थान का खेल.. जिससे इस रांउड में अशोक गहलोत की जीत और सचिन पायलट को ना माया मिली ना राम...
(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं.)
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