बाबा की कलम से : रण में राहुल

नई दिल्‍ली:

राहुल गांधी का लोकसभा में किसानों पर दिया गया भाषण और उसमें इस्तेमाल किए गए जुमले ट्वीटर की भाषा की याद दिलाते हैं सूट बुट की सरकार, आपका प्रधानमंत्री। साथ ही एक सांसद की तरह बीजेपी को फंसाने की कोशिश की है।

भरी लोकसभा में नितिन गडकरी के लिए कहना कि वो दिल से बोलते हैं और मैं उनकी तारीफ करता हूं, जबकि गडकरी लोकसभा में थे भी नहीं। इससे राहुल ने बीजेपी में संदेह फैलाने की कोशिश की। फिर जरा वो फ्रेम देखिए, राहुल के पीछे युवा गौरव गोगोई, सुष्मिता देव, दीपेंदर हुडा, रवनीत सिंह बिट्टू और एक बाजू में ज्योतिरादित्य सिंधिया तो दूसरी तरफ तारिक अनवर और ये सब राहुल गांधी के चीयर लीडर बने हुए थे।

राहुल के रामलीला मैदान और लोकसभा के भाषण में एक बात रही कि वो विषय से नहीं भटके। रामलीला मैदान में भी उन्होंने केवल किसानों की बात की, किसी घर वापसी या अन्य मुद्दों को नहीं छुआ। लोकसभा में भी पूरी तैयारी के साथ आंकड़ों से लैस चुटकियां लेते हुए सीधे प्रधानमंत्री पर हमला बोला।

आप इस बात पर सवाल उठा सकते हैं कि इस वक्त औद्योगिक घरानों पर निशाना साधना उचित है कि नहीं मगर किसान और गरीबों के हितैषी बनने के लिेए यह करना भी मजबूरी है। राहुल ने एक ऐसे मुद्दे पर सरकार को घेरने की अगुवाई की है जो बीजेपी की दुखती रग है।

सेंट्रल हॉल में भी बीजेपी के कई सांसद निजी बातचीत में मानते हैं कि इससे सरकार की छवि खराब हुई है और सरकार की इमेज किसान विरोधी की बन रही है। अभी तक जो यह कह रहे थे कि जमीन अधिग्रहण मामले के दौरान राहुल छुट्टी पर चले गए हैं उन्हें अब जबाब मिल गया होगा मगर अभी भी यह तय नहीं हो पा रहा है कि राहुल कितनी शिद्दत से कांग्रेस को लीड करने के लिए तैयार हैं।

रामलीला मैदान की रैली से यह तय हो गया है कि दिग्विजय सिंह का कद आने वाले दिनों में बढ़ेगा क्योंकि वो रैली का संचालन कर रहे थे। कांग्रेस की बड़ी पीढ़ी ने भी राहत की सांस ली जब मंच पर मोतीलाल वोरा और एंटोनी को देखा। पूर्व प्रधानमंत्री से भी भाषण दिलवाना एक सही कदम था।

अभी तक ऐसा होता आया है कि राहुल किसी मुद्दे पर भाषण देते हैं सदन में फिर गायब हो जाते हैं उन्हें इस सत्र में अपनी मौजूदगी का अहसास कराना होगा वरना बीजेपी उन पर संसद में आईटम नंबर करने का आरोप दुहराने लगेगी क्योंकि फिल्म में आईटम नंबर एक बार आता है और फिर गायब हो जाता है।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

यदि कांग्रेस का भार उन्हें अपने कंधे पर संभालना है तो उन्हें अपने को इस काम के बारे में गंभीर बनना होगा। बहुत हो गई छुट्टियां, शुरूआत अच्छी हुई है बस इस अंदाज को जारी रखें तो मुश्किल भी आसान हो जाएगी।