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This Article is From Aug 31, 2018

लोकसभा चुनाव 2019 : सुशासन बाबू की मजबूरी

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 31, 2018 17:20 pm IST
    • Published On अगस्त 31, 2018 17:20 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 31, 2018 17:20 pm IST
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अभी वक्त है, मगर बिहार में राजनैतिक उठापटक चालू है. मगर अगले लोकसभा चुनाव के लिए जो फॉर्मूला दिया जा रहा है उसमें बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि बीजेपी के पास 22 सांसद हैं. जेडीयू 12 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जिसके पास 2 सांसद हैं. जेडीयू को एक और सीट झारखंड या उत्तरप्रदेश में दी जा सकती है. रामविलास पासवान पांच सीट लड़ेंगे जिनके पास छह सांसद हैं जबकि कुशवाहा को दो सीटें दी गई है जिनके अभी तीन सांसद हैं. जाहिर है इस बंटवारे पर ववाल तो होना ही था.

इस बंटवारे से सबसे अधिक घाटे में हैं उपेंद्र कुशवाहा, जो मानव संसाधन मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं और जिससे वे संतुष्ट नहीं हैं. साथ ही उनकी पार्टी के एक बागी सांसद को बीजेपी अपना सर्मथन दे रही है, जिससे कुशवाहा और नाराज हो गए हैं. रामविलास पासवान पिछली बार सात सीटों पर लड़े थे छह सीटों पर जीते. मगर इस बार पांच सीट लेकर भी चुप बैठे हैं, क्योंकि वे राजनीति के मौसम वैज्ञानिक माने जाते हैं. उनके छह सांसदों में से तीन घर के लोग हैं, एक छोटा भाई और बेटा. ऐसे में उनकी प्राथमिकता अपने कुनबे को जिताना होगी. अगर एक सांसद की बलि देनी पड़ी तो वे इसके लिए तैयार हैं.

नीतीश कुमार, जिनके पास केवल दो सांसद हैं किसी भी हालत में बीजेपी से सौदेबाजी की हालत में नहीं हैं. एक तो उनको अपनी सरकार चलानी है बीजेपी के सहारे, दूसरा केन्द्र के रहमोकरम पर भी रहना है. वैसे केन्द्र ने अभी तक बिहार को घोषित पैकेज का पैसा भी नहीं दिया जो नीतीश कुमार के लिए साख खोने जैसी बात हो गई है. दूसरे बीजेपी ने राज्यसभा में जेडीयू सांसद को उपाध्यक्ष बनाया और अब वह ऐसा दिखा रही है जैसे उसने  नीतीश कुमार पर अहसान किया हो. ऐसे हालात में नीतीश कुमार भी चुप रहने में ही अपना भला समझेंगे.

बीजेपी 22 सांसद होने के बावजूद 20 सीट पर लड़ रही है. जाहिर है उसे मालूम है कि उसके कुछ सांसदों का फीडबैक अच्छा नहीं है. ऐसे में उसे कुछ सांसदों के टिकट काटने ही थे. दूसरा उसके दो सांसद कीर्ति आजाद और शत्रुघ्न सिन्हा बागी हो चुके हैं. इनका टिकट तो कटना ही था. अब देखना होगा कि बीजेपी इन सीटों पर दूसरा उम्मीदवार लाती है या यह सीटें जेडीयू के लिए छोड़ती है.

अब वापस चलते हैं उप्रेन्द्र कुशवाहा पर, बीजेपी ने उन्हें दो सीट देकर कहीं का नहीं छोड़ा है. शायद इसका अंदाजा कुशवाहा को पहले से होगा, इसलिए वे यदुवंश के दूध और कुशवंश के चावल से खीर पकाने की बात कर चुके हैं. फिर उन्होंने कहा कि एनडीए में कुछ लोग मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते हैं. आखिर कुशवाहा क्या संदेश देना चाहते हैं. उनके पास तेजस्वी यादव का ऑफर पहले से ही है कि कुशवाहा जी का महागठबंधन में स्वागत है. कुशवाहा को भी पता है कि महागठबंधन में यदि वे शामिल होते हैं तो मोलभाव की बेहतर हालत में वे रहेंगे क्योंकि यादव ,मुस्लिम, मांझी के साश कुशवाहा जुड़ जाए तो महागठबंधन एक ऐसी ताकत बनेगा जो एनडीए को काफी कड़ी टक्कर देगा क्योंकि इनका वोट 38 फीसदी के आसपास बनता है.



मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...

 
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