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This Article is From Jul 16, 2020

बीजेपी की झोली में पायलट, तेल देखिए और तेल की धार देखिए...

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 16, 2020 20:57 pm IST
    • Published On जुलाई 16, 2020 20:57 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 16, 2020 20:57 pm IST

राजस्थान के इस सत्ता संघर्ष में भले ही सचिन पायलट यह कहते रहें कि वे बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे और कांग्रेस में हैं और रहेंगे... कांग्रेस आलाकमान ने भी उनका विश्वास किया और कहा कि सचिन के लिए दरवाजे खुले हैं, हमें युवा नेताओं की जरूरत है और वे राजस्थान जाएं... मगर सचिन के इस बयान में कि वे बीजेपी के साथ हैं, कोई सच्चाई नहीं नहीं दिख रही है. पहली बात सचिन ने अपने विधायकों को हरियाणा के पांच सितारा होटल में रख रखा है जिसके बाहर हरियाणा के बड़ी रैंक के अधिकारी अपने दल बल, यानी हरियाणा पुलिस के साथ पहरा दे रहे हैं. किसी को वहां जाने की अनुमति नहीं है. मीडिया को तो मीलों दूर रखा है. 

कांग्रेस ने भी अपने संवाददाता सम्मेलन में यही बात कही थी कि सचिन पायलट हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मेजबानी छोड़ें और फौरन विधायकों के साथ जयपुर जाएं .मगर यह हुआ नहीं. विधायक वहीं हरियाणा के पांच सितारा होटल में जमे हुए हैं. कहा जा रहा है कि सचिन भी उनके साथ ही हैं. कांग्रेस को यह बात नागवार गुजरी और कांग्रेस आलाकमान ने तय किया कि अब सचिन पायलट के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद हैं. 

अब सचिन पायलट इस पूरे मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट पहुंच गए हैं. वे चाहते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष ने जो नोटिस उनके सर्मथक विधायकों को विधायक दल की बैठक में शामिल ना होने पर भेजा है उसे निरस्त किया जाए. अब देखिए सचिन पायलट के लिए अदालत में कौन-कौन से वकील  पेश होते हैं. मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे, जो कि देश के सबसे नामी वकीलों में से हैं.  इनके एक बार अदालत में पेश होने की फीस लाखों में है. यदि कानून के जानकारों की मानें तो मुकुल रोहतगी एक बार अदालत में पेश होने का 10 लाख और हरीश साल्वे 15 लाख रुपये लेते हैं. मुकुल रोहतगी बीजेपी सरकार में एटॉर्नी जनरल रह चुके हैं और बीजेपी के करीबी बताए जाते हैं. रोहतगी पूर्व कानून और वित्त मंत्री अरुण जेटली के काफी करीबी भी रहे हैं. 

दूसरे हरीश साल्वे 1999 से 2002 के बाच सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं. यानी मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे अलग-अलग समय में बीजेपी सरकारों के दौरान देश के कानून अधिकारी रह चुके हैं. अब आप कह सकते हैं कि यह महज इत्तफाक है कि रोहतगी और साल्वे दोनों सचिन पायलट के लिए अदालत में पैरवी कर रहे हैं. अब इसके वावजूद आप कहेंगे कि मैं बीजेपी के साथ नहीं हूं. 

सबसे बड़ा सवाल है कि विधायकों की खरीद फरोख्त, पांच सितार होटल का खर्चा,  इन सबको परदे के पीछे कौन फंड कर रहा है. जाहिर है, भले ही बीजेपी चुपचाप बैठी दिख रही हो मगर परदे के पीछे से उसका खेल जारी है. उसको शायद अभी भी उम्मीद है कि सचिन पायलट उतने विधायक तोड़ने में सफल रहेंगे जितने में बीजेपी या तो बाहर से समर्थन देकर उनकी सरकार बनवा दे या अपनी बना ले. इतने के बावजूद यदि सचिन पायलट कहते हैं कि उनका बीजेपी से कोई लेना देना नहीं तो फैसला आप पर है. वो कहते हैं न... तेल देखिए और तेल की धार देखिए.

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं.)

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