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This Article is From Jul 22, 2015

बाबा की कलम से : मीडिया में लड़ी जा रही है संसद की लड़ाई

Reported By Manoranjan Bharti
  • Blogs,
  • Updated:
    जुलाई 22, 2015 23:29 pm IST
    • Published On जुलाई 22, 2015 17:55 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 22, 2015 23:29 pm IST
संसद में बने गतिरोध पर सरकार और कांग्रेस के बीच शह और मात का खेल चल रहा है। सरकार को पता है कि कांग्रेस मॉनसून सत्र पर काले बादल की तरह मंडरा रही है तो संसद के शुरू होने के पहले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर दिया कि एक कांग्रेसी नेता ने उन पर डिप्लोमेटिक पासपोर्ट लेने के लिए दबाव बनाया।

सुषमा ने यह भी लिखा कि सदन में वे उस नेता के नाम का खुलासा करेंगी। वैसे उस नेता का नाम है संतोष बागरोडिया। वो यूपीए सरकार में मंत्री रहे और कोयला घोटाले में आरोपी हैं। यह भी बता दूं कि संतोष बागरोडिया के पास सामान्य पासपोर्ट है और 10 साल तक सांसद रहने के बाद वो डिप्लोमेटिक पासपोर्ट के हकदार हैं। ये बात अलग है कि सुषमा स्वराज ने बागरोडिया की मदद नहीं की।

वैसे यह भी प्रावधान है कि विदेश मंत्रालय किसी भी नागरिक को आपात स्थिति में डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जारी कर सकता है। अब यहां विवाद यह हो गया कि यदि संतोष बागरोडिया सामान्य पासपोर्ट ऱख सकते हैं तो डिप्लोमेटिक पासपोर्ट क्यों नहीं। दूसरा जिस वक्त बागरोडिया ने डिप्लोमेटिक पासपोर्ट मांगा था उसी वक्त इसका खुलासा होना चाहिए था।

तीसरा क्या ललित मोदी जो भगोड़े हैं उनकी मदद करना और संतोष बागरोडिया की मदद न करना और उस पर दबाब बनाने का आरोप लगाना क्या एक ही बात है। खैर, संसद के शुरू होने से पहले कांग्रेस ने संसद परिसर में धरना स्थगित किया और राहुल गांधी संसद भवन में घुसने से पहले पत्रकारों को बोल गए कि बाहर नहीं बोलूंगा, लोकसभा में बात करूंगा।

राहुल जब लोकसभा में पहुंचे तो हाथ पर काली पट्टी बंधी थी और कांग्रेस सांसदों के हाथ में तख्तियां थीं जिस पर सरकार विरोधी नारे लिखे हुए थे। संसद के दोनों सदनों में हंगामा होता रहा और दोनों सदनों को स्थगित करना पड़ा।

फिर बीजेपी ने निर्मला सीतारमन को मैदान में उतारा जिन्‍होंने एक स्टिंग ऑपरेशन की बात की जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के पीए जो कि गुजरात कॅडर के आईएएस हैं, शराब का ठेका निजी कंपनियों को देने और उनसे दलाली के बारे में बातचीत कर रहे हैं। ये स्टिंग किसी एनजीओ ने किया।

हरीश रावत को तुरंत बचाव में आना पड़ा। फिर कांग्रेस ने संवाददाता सम्मेलन में अपने सबसे युवा सांसद गौरव गोगोई को उतारा जिसने सरकार पर हमला किया। फिर बीजेपी ने संबित पात्रा, गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू और खेल मंत्री सर्वनन सोनोवाल को मैदान में उतारा जिन्होंने पी.के. थुंगन जो नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री थे, उन पर घपला करने का आरोप लगाया।

यानी राजनैतिक दलों को जो लड़ाई राजनैतिक तरीकों से लड़नी चाहिए वो प्रेस कांफ्रेस के जरिए लड़ी जा रही है और मीडिया का खूब इस्तेमाल हो रहा है जिसमें ट्वीटर से लेकर टीवी तक शामिल है। क्योंकि जैसे ही कोई प्रेस कांफ्रेस लाइव आता है टीवी चैनल तुरंत उसे दिखाने लगता है। यानी ये खेल अब राजनैतिक दलों को समझ में आ गया है कि मीडिया का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए।

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