भारत में बाबाओं की कमी नहीं है, एक ढूंढो, हज़ार मिलते हैं... बाबा बनने के लिए किसी डिग्री या कोई कोर्स करने की ज़रूरत नहीं होती, बस एक संदेश जनता तक पहुंचाना होता है कि फलां भगवान का या किसी महापुरुष का अवतार है... सो, अगर बाबाओं की कमी नहीं है, तो उनके भक्तों की कमी कैसे होगी... 'आर्ट ऑफ लिविंग' वाले श्री श्री रविशंकर की 152 से ज़्यादा देशों में शाखाएं हैं, और 37 करोड़ से ज़्यादा लोग उनसे जुड़े हुए हैं... देश में निरंकारी मिशन के भी 669 आश्रम जबकि उनके विदेशों में भी 87 आश्रम हैं, और एक करोड़ से ज़्यादा लोग निरंकारी मिशन में आस्था रखते हैं... राधास्वामी पंथ में विश्वास रखने वालों की संख्या 30 लाख से ज़्यादा है... डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम के देश-विदेश में पांच करोड़ से ज़्यादा भक्त हैं... आसाराम के देश में 425 आश्रम हैं और लाखों की संख्या में अनुयायी हैं...
अब लाखों-करोड़ों की गिनती में भक्त होंगे तो कमाई भी अरबो में होगी ही... हां, कुछ बाबाओं पर पैसे का और ताकत का नशा ज़रूर चढ़ जाता है... खुद को कानून से ऊपर समझने लगते हैं... भक्तों की फौज नहीं, कमांडो तैयार कर लेते हैं... आश्रम को किला बनाकर एक पैरेलल सरकार चलाने की कोशिश करने लगते हैं, लेकिन हर व्यवसाय की तरह इनमें कुछ अच्छे बाबा भी हैं, जो जनता का पैसा जनता की सेवा में ही खर्च कर रहे हैं... लेकिन उन बाबाओं पर बातें फिर कभी, आज चर्चा सिर्फ काली भेड़ों की...
विवादित बाबाओं की लिस्ट काफी लंबी है... जगह और समय के अभाव से कुछ चुनिंदा नामों का ही ज़िक्र हो सकता है... चंद्रास्वामी पर पैसों के हेरफेर का केस चला, जिसमें वह अपराधी भी साबित हुए... आसाराम पर मर्डर के इलावा 16 साल की बच्ची के साथ रेप करने का भी आरोप है... बेंगलुरू के नित्यानंद स्वामी पर भी बलात्कार का आरोप लगा हुआ है... शिव मूरत द्विवेदी उर्फ इच्छाधारी संत पर सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगा... अब इन विवादित बाबाओं के नामों के बीच सतलोक आश्रम के संत रामपाल का नाम भी जुड़ गया है...
रामपाल संत बनने से पहले पेशे से सरकारी विभाग में जूनियर इंजीनियर थे... वर्ष 1999 में करौंथा में सतलोक आश्रम बनाने के बाद अपने आप को संत घोषित कर दिया... अपने आपको कबीर का अवतार कहते हैं... कुछ वर्षों तक सब सामान्य रहा, लेकिन फिर करौंथा और साथ लगते गांवों के लोगों, खासकर आर्यसमाजियों ने, रामपाल के प्रवचनों पर आपत्ति जताना शुरू कर दिया... वर्ष 2006 में रोहतक के करौंथा गांव के सतलोक आश्रम में गोलीकांड हुआ, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई... रामपाल को भी आरोपी बनाया गया, और वह लगभग 22 महीने जेल में रहे... वर्ष 2010 तक तो अदालत में आते रहे, लेकिन 2010 से लेकर अब तक अदालत के 42 बार बुलाने पर भी पेश नहीं हुए हैं... आखिरकार अदालत ने इस साल जुलाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का तरीका निकाला... 14 जुलाई को हिसार सेशन कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होनी थी, लेकिन वहां रामपाल के समर्थकों ने हंगामा खड़ा कर दिया... पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए रामपाल के खिलाफ नोटिस जारी किया... 5 नवंबर से 21 नवंबर तक चार तारीखें मिल चुकी हैं, लेकिन रामपाल अदालत से दूर अज्ञात स्थान में छिपे हुए हैं... वह जानते हैं कि एक बार कानून की पकड़ में आ गए, तो उनका भी वही हाल होगा, जो आसाराम जैसे बाकी ढोंगी बाबाओं का हुआ है... बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी, देरसवेर, कभी न कभी तो रामपाल कानून की गिरफ्त में आएंगे...
किताबों में पढ़ा था कि संत 'कीचड़ में कमल' की तरह होता है, कीचड़ में रहते हुए भी कीचड़ से अलग... संसार में रहते हुए भी सांसारिक सुखों से उदासीन, लेकिन आजकल के बाबाओं को देखकर लगता है कि वे कीचड़ पर लोटना ज्यादा पसंद करते हैं... रामपाल अपने आपको संत कबीर का अवतार कहते हैं, लेकिन खुद ही कबीर के शब्दों को भूल गए हैं...
"बोली ठोली मसखरी, हंसी खेल हराम...
मद, माया और इस्तरी, नहि संत के काम..."
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