विज्ञापन
This Article is From Dec 02, 2014

मनीष की नज़र से : बड़े बेआबरू होकर 'अपने ही' कूचे से हम निकले...

Manish Sharma, Vivek Rastogi
  • Blogs,
  • Updated:
    दिसंबर 03, 2014 11:57 am IST
    • Published On दिसंबर 02, 2014 19:12 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 03, 2014 11:57 am IST

"सीबीआई पिंजरे में बंद तोता बन गया है, जो अपने मालिक की भाषा बोलता है... इस तोते के कई मालिक हैं... सीबीआई क्या है - बुरे लोगों का सहयोगी या जांचकर्ता... बहुत दुःख की बात है कि सीबीआई की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं... 15 साल पहले यह चट्टान जैसा था, अब रेत जैसा हो गया है..." कोयला घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी 8 मई, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा के बारे में की... सुप्रीम कोर्ट इस बात से नाराज दिखी थी कि आखिर कोयला घोटाले की जांच रिपोर्ट सिन्हा ने कानूनमंत्री और अन्य आला सरकारी अफसरों को क्यों दिखाई, जिससे उन्होंने जांच रिपोर्ट में बदलाव करवा लिए...

जाते-जाते भी 'पिंजरे में बंद इस तोते' को सुप्रीम कोर्ट से फिर झटका मिला। सेवानिवृत्ति से ठीक 12 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने रंजीत सिन्हा को 2-जी स्पेक्ट्रम मामले से खुद को अलग रखने का निर्देश दिया... कोर्ट ने विजिटर डायरी के मुताबिक रंजीत सिन्हा की आरोपी से हुई 90 मुलाकातों का खुलासा होने के बाद यह निर्देश दिया था...

यह पहली बार नहीं थी, जब रंजीत सिन्हा को किसी जांच से हटाया गया था... इससे पहले वर्ष 1996 में पटना हाईकोर्ट ने भी उन्हें चारा घोटाले की जांच से अलग कर दिया था, क्योंकि उन पर लालू प्रसाद यादव की मदद करने का आरोप लगा था... कहा गया था कि सिन्हा ने लालू यादव की खातिर जांच रिपोर्ट ही बदल डाली है...

सीबीआई डायरेक्टर की कार्यशैली पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं... कभी खुद, कभी आकाओं के दबाव में आकर उन्होंने कई बार जांच को प्रभावित किया... पूर्व सीबीआई डायरेक्टर जोगिन्दर सिंह ने कहा था कि उन पर लालू यादव के खिलाफ जांच धीमी करने का दबाव था... भोपाल गैस त्रासदी की जांच कर रहे पूर्व डायरेक्टर बीआर लाल ने आरोप लगाया था कि उनसे त्रासदी के मुख्य आरोपी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के चेयरमैन वॉरेन एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए दबाव नहीं बनाने के लिए कहा गया था... सीबीआई पर यह भी आरोप लगा था कि उसने बोफोर्स स्कैंडल के मुख्य आरोपी ओट्टावियो क्वात्रोची की मदद की थी... केंद्र की तत्कालीन सरकार ने किस तरह सीबीआई का दुरुपयोग कर मुलायम सिंह यादव और मायावती का समर्थन हासिल किया था, यह आरोप भी बहुत लंबे अरसे तक चर्चा में रहे थे...

दो साल की जॉब सिक्योरिटी होने के बावजूद सीबीआई के डायरेक्टर दबाव में क्यों आ जाते हैं...? कारण एक ही है, सीबीआई स्वतंत्र संस्था नहीं है... सीबीआई न संवैधानिक है और न वैधानिक है... यह कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के अधीन काम करती है... इसका मतलब, सीबीआई के अधिकारियों को नियुक्त करने, ट्रांसफर करने और निलंबित करने का अधिकार कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के पास है, और ज़ाहिर है, विभाग का मुखिया कोई मंत्री ही होगा... ऐसे में स्वाभाविक है कि सीबीआई का डायरेक्टर अपने बॉस के प्रभाव में आएगा ही...

कभी-कभी रिटायरमेंट के बाद अच्छे पद की लालसा से भी वे भटक जाते हैं... किस्मत अच्छी हुई तो किसी राज्य के गवर्नर तक बन जाते हैं... 8 मई, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चेताया कि अगर सरकार सीबीआई को स्वतंत्र नहीं करती, तो मजबूरन कोर्ट को दखल देना पड़ेगा... कोर्ट ने कहा था कि 15 साल पुराने विनीत नारायण केस के समय सीबीआई की स्वायत्तता के मामले में कोर्ट ने जो फैसला दिया था, उस पर केंद्र ने अभी तक कुछ किया क्यों नहीं है... कोर्ट की झिड़की के बाद यूपीए सरकार ने ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स का गठन भी किया, पर बात गठन पर ही अटककर रह गई...

सुप्रीम कोर्ट की टिपण्णी को डेढ़ साल हो चुका है, लेकिन तोता कल भी पिंजरे में था, आज भी है... एक तोता भले ही आज रिटायर होकर आज़ाद हो गया, लेकिन यह भी तय है कि कल दूसरा तोता आ जाएगा... दरअसल, तोते बदलने से बेहतर है, इंतज़ार करना - पिंजरे के टूटने का, और तोते के आज़ाद हो जाने का... सीबीआई के 51 साल के इतिहास में उसकी साख पर कई बार सवालिया निशान लगे, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर को बार-बार ज़लील किया हो... उसे किसी जांच से अलग किया गया हो... आज रंजीत सिन्हा का सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर आखिरी दिन था... जाने का उन्हें दुःख तो होगा, लेकिन इस बात की खुशी भी होगी कि अब वह फिर कोर्ट के आगे बेइज़्ज़त नहीं होंगे...

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
मेडिकल एजुकेशन में मेडिकल इनोवेशन : हिन्दुस्तान में टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा में बदलाव
मनीष की नज़र से : बड़े बेआबरू होकर 'अपने ही' कूचे से हम निकले...
चुनावी बॉन्ड खत्म करेंगे तो वैकल्पिक इंतजाम क्या होंगे?
Next Article
चुनावी बॉन्ड खत्म करेंगे तो वैकल्पिक इंतजाम क्या होंगे?
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com