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This Article is From Dec 18, 2014

महावीर रावत की कलम से : टेस्ट मैच है या पांच दिन में पांच वन-डे...?

Mahavir Rawat, Vivek Rastogi
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  • Updated:
    दिसंबर 18, 2014 18:20 pm IST
    • Published On दिसंबर 18, 2014 13:39 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 18, 2014 18:20 pm IST

ब्रिस्बेन टेस्ट मैच रोमांचक मोड़ पर है और हम जैसे टेस्ट मैच देखने वालों के लिए यही असली क्रिकेट है। टी-20 और वन-डे में रोमांच तो होता है, लेकिन खिलाड़ी मानसिक रूप से कितने मजबूत हैं, और काबिलियत के लिहाज़ से कितने पानी में हैं, यह टेस्ट क्रिकेट ही बता सकता है। ऑस्ट्रेलिया दौरे में अब तक टेस्ट क्रिकेट के सात दिन बीते हैं, और हर दिन दोनों टीमों को लगा कि मैच उनकी पकड़ में है, और यही एक बेहतरीन टेस्ट मैच की पहचान भी है।

टी-20 क्रिकेट को आए करीब 10 साल हो गए हैं, आईपीएल का भी आठवां सीज़न आने को है। इस फटाफट क्रिकेट का खेल पर कितना असर हो रहा है, धीरे-धीरे अब जाकर टेस्ट में भी सामने आ रहा है। दोनों टीमों के बल्लेबाज़ खुलकर रन बना रहे हैं। हर दिन औसतन 300 रन बन रहे हैं और हर घड़ी मैदान पर कुछ न कुछ एक्शन देखने को मिल रहा है। यह बताता है कि खुद खिलाड़ी भी मन से मैदान पर कुछ न कुछ होते देखना चाहते हैं।

मसलन, अब ब्रिस्बेन टेस्ट में दोनों टीमों के बल्लेबाज़ों को ही देख लीजिए - अभी तक इस टेस्ट मैच में 14 खिलाड़ी आउट हुए हैं, जिनमें से नौ बल्लेबाज सेट होने के बाद 15 से 35 रनों के बीच पैवेलियन लौटे। साफ है कि अधिकतर बल्लेबाज़ों को मैदान पर ज़्यादा देर तक एकाग्रता बनाए रखने में मुश्किल हो रही है, और अगर कोई गेंदबाज़ उन्हें बांधे रखने में कामयाब होने लगता है, तो वे बेचैन हो जाते हैं। अगर 10-15 गेंदों तक कोई चौका नहीं लगता, तो मानो बल्लेबाज़ झल्लाकर कोई न कोई बड़ा शॉट खेलने को मजबूर हो जाता है।

गेंदों को छोड़ना, पारी को टिककर बनाना, और क्रीज़ पर खड़े रहना, मानो बीते कल की बातें हो गई हों। ऐसे में कोई क्रिकेट चाहने वाला मायूस कैसे न हो...?

इतना ही नहीं, गेंदबाज़ों का हाल भी कुछ बेहतर नहीं है। छह गेंद एक ही जगह पर डालना किसी भी गेंदबाज़ के लिए मुश्किल होता जा रहा है। टी-20 और वन-डे में जिस तरह से छह अलग-अलग गेंदें डालकर किसी तरह ओवर पूरा करना होता है, वही हाल अब टेस्ट क्रिकेट में देखने को मिल रहा है। अगर आप किसी गेंदबाज़ का ग्राफ या पिच-मैप देखें तो बात साफ हो जाती है कि किसी बल्लेबाज़ को धीरे-धीरे अपने जाल में फंसाने की कला वे भूलते जा रहे हैं।

क्रिकेट रोमांचक ज़रूर हो रहा है, लेकिन क्रिकेट के स्तर पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसा लगने लगा है, मानो टेस्ट मैच नहीं, पांच दिन का वन-डे मैच हो रहा हो। ऐसे में किसी भी टेस्ट क्रिकेट के चाहने वाले को चिंता होना लाज़मी है...

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