लॉस वेगासः ख्वाबों के शहर को घोस्ट टाउन बनाना आसान नहीं

लॉस वेगास स्ट्रिप के तो क्या कहने. ऐसा लगता है कि शाम होने के साथ ही यहां कोई मेला-सा लग गया है. कभी म्यूजिकल फाउंटेन शो तो कभी फायर शो.

लॉस वेगासः ख्वाबों के शहर को घोस्ट टाउन बनाना आसान नहीं

लॉस वेगास एक जिंदादिल शहर है जो शाम के साथ गुलजार होने लगता है. अगर दोपहर को अमेरिका के इस कसिनो टाउन या कहा जाए मस्ती की राजधानी में कदम रखें तो आपको लगेगा जैसे घोस्ट टाउन में आ गए हैं. जैसे-जैसे शाम होती जाती है, सड़कें भरती जाती हैं और लोग सारे गमों से बेपरवाह यहां जिंदगी जीने में मशगूल नजर आते हैं. किसी का सपना कसिनो में जैकपॉट जीतने का रहता है तो कोई बैचलर पार्टी के लिए यहां आया होता है तो को अपने लाइफटाइम ड्रीम को पूरा करने यहां आता है. बस एक बार लॉस वेगास की रंगीन रात देख ले क्योंकि हॉलीवुड की फिल्मों में जो लॉस वेगास दिखाया जाता है, वह हर किसी की विश लिस्ट में जो जुड़ जाता है.

फिर लॉस वेगास स्ट्रिप के तो क्या कहने. ऐसा लगता है कि शाम होने के साथ ही यहां कोई मेला-सा लग गया है. कभी म्यूजिकल फाउंटेन शो तो कभी फायर शो. लोगों की भीड़ इन सारे नजारों का भरपूर लुत्फ लेती नजर आती है. किसी को किसी की परवाह नहीं रहती. हर जगह ऐसा लगता है कि दुनिया के सारे लोग यहीं मस्ती करने के लिए आ गए हैं. दुनिया के हर कोने का इनसान यहां नजर आ जाता है और हर किसी का एक ही एम होता है, और वह है इस रात को जी लेना है. सड़क पर हर जगह टूरिस्टों का अंबार होता है, हर किसी में इस रात को अपने में जज्ब करने का जुनून नजर आता है.

बात 2016-17 की है, मैं लॉस वेगास स्ट्रिप के नजारे ले रहा था. कहीं म्यूजिक शो चल रहा था तो कोई सड़क पर खड़ा होकर अपने करतब दिखा रहा था. कहीं म्यूजिक का शोर था तो कहीं टूरिस्ट का हैरतअंगेज होटलों को देखकर मुंह से निकलता वाउ था. इतना शोर की सारी आवाजें उसमें दब रही थीं. कसिनो के अंदर तो क्या कहने. गैंबलिंग मशीनों पर बैठे लोग दांव खेल रहे थे, और गैंबलिंग टेबल पर बड़ी उम्मीद के साथ बाजी खेलते दिख रहे थे. हर कोई चाहता था कि आज की रात उसकी हो जाए. मैंने भी बाजी खेली और जैकपॉट जीता. लेकिन और जीतने के चक्कर में जीता हुआ भी हार गया. हारने का दुख था लेकिन गम नहीं क्योंकि मेरी विशलिस्ट में टॉप पर आने वाला शहर मेरी आंखों के सामने था. होटल सर्कस में जैकपॉट भी जीता था और अब बारी अपने कमरे में जाने की थी. रात के तीन बज चुके थे. मन रात की इन मस्तियों को देखने का था. लेकिन सुबह छह बजते ही हमें ग्रैंड कैनियन के लिए निकलना था.

सुबह छह बजे होटल की लॉबी में आते ही गैंबलिंग मशीन देखी तो रहा नहीं गया और फिर लग गया, बाजी खेलने में. इस बार लक साथ नहीं था और रात के डेढ़ सौ डॉलर गंवाने के बाद 20 डॉलर और गंवा बैठा था. साथ में बड़ी बहन थी, जिसने कहा तूने एक्सपीरियंस लिया, यही बहुत है. जीतना मायने नहीं रखता है, सिर्फ उस पल को इंजॉय करना मायने रखता है. वाकई मैंने लॉस वेगास में बिताए तीन दिन काफी इंजॉय किए, लेकिन आज जब इस जिंदादिल शहर की सड़कों पर खून की होली खेली गई है तो ऐसे में यही कह सकते हैं कि इश्क का शहर पेरिस भी कुछ दिन पहले ऐसे ही खून खराबे का शिकार हुआ था लेकिन आज वह फिर अपनी रवानगी पर है. इस तरह की हरकत को अंजाम देने वालों को यही कहा जा सकता है, लॉस वेगास जिंदादिलों का शहर है इस तरह का कत्लेआम कुछ पल के लिए डरा तो सकता है लेकिन जिंदादिल शहर को घोस्ट टाउन नहीं बना सकता...

लेखक एनडीटीवी में न्‍यूज ऐडिटर के पद पर कार्यरत हैं.

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