पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की चिट्ठी चुनाव आयोग को वो सब करने को कहती है जो कहने की कभी ज़रूरत नहीं होनी चाहिए थी. आयोग को लिखी अपनी चिट्ठी में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि EVM की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह चुनाव आयोग की है. जनता का मत सबसे ऊपर, लोकतंत्र का आधार है. उसे लेकर कोई शक नहीं हो सकता. उन्होंने लिखा कि EVM को लेकर संदेह खत्म करने की ज़िम्मदेरी चुनाव आयोग की है. मेरा ये मानना है कि कोई संस्था कैसे काम करे ये तय करना वहां काम करने वाले लोगों पर है. यहां पर संस्थागत अखंडता को बनाए रखना चुनाव आयोग का काम है. ये सब उन्होंने जिस पृष्ठभूमि में कहा है वो इसे बेहद अहम बना देता है.
ध्यान हो कि आखिरी दौर की वोटिंग 19 मई को खत्म हुई थी. इसके बाद धीरे - धीरे EVM को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में अलग अलग वीडियो आना शुरू हो गया. हर जगह बिना सुरक्षा के EVM मशीनों के इधर उधर ले जाने या कहीं रखने के आरोप लगाते हुए वीडियो. चंदौली, झांसी, डुमरियागंज, गाज़ीपुर और सारन से ऐसे वीडियो आए. इस मुद्दे को लेकर 22 विपक्षी पार्टियों के नेता चुनाव आयोग पहुंचे कहा कि पहले VVPAT गिने जाएं और EVM और परचियों के न मिलने पर पूरे विधानसभा के VVPAT परचियों की गिनती हो.
लेकिन ये अविश्वास का माहौल अचानक नहीं बना है. EVM को लेकर पिछले काफी वक्त ये आरोप लगा कि इन्हें हैक किया जा सकता है. लेकिन जब चुनाव आयोग ने हैक करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया तो कोई आया नहीं. विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद ये आवाज जरा शांत पड़ गईं. लेकिन जब लोक सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ तो अलग किस्म के आरोप विपक्षी पारटियों ने लगाए. कहा गया कि सात दौर के चुनाव और इलाकों का वितरण सत्ताधारी पारटियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया.
मामला बिगड़ता गया क्योंकि आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में पीएम मोदी पर जो सवाल उठे उसमें चुनाव आयोग क्लीन चिट देता गया. इस पर चुनाव आयोग के अंदर का मतभेद खुल कर सामने आ गया, जब चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखी चिट्ठी में उनकी अलग राय को रिकॉर्ड नहीं करने की बात सामने आई. उसके बाद लाख सफाई भी काम ना आई. विपक्षी दल लगातार चुनाव आयोग के पक्षपात की बात करने लगे. और अविश्वास का एक ऐसा माहौल बना कि वोटिंग खत्म होने के बाद EVM से छेड़-छाड़ का डर सताने लगा. और क्योंकि आज हर आदमी के पास कैमरे वाला मोबाइल फोन है साथ ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है. इस वजह से ये कई गुणा बड़े असर के साथ सामने आ रहा है. इसे लेकर चुनाव आयोग की सफाई भी आम लोग मानने को तैयार नहीं हैं. लेकिन जेसा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखरजी ने कहा - ज़िम्मेदारी आयोग की ही है कि वो लोगों के मन में बैठे अविश्वास को कैसे दूर करे.
कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...
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