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कुणाल कामरा पर बवाल: उद्धव हों या शिंदे, मजाक बर्दाश्त नहीं!

Jitendra Dixit
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 24, 2025 13:00 pm IST
    • Published On मार्च 24, 2025 12:29 pm IST
    • Last Updated On मार्च 24, 2025 13:00 pm IST
कुणाल कामरा पर बवाल: उद्धव हों या शिंदे, मजाक बर्दाश्त नहीं!

स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा के एक व्यंग्यात्मक गाने ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना के कार्यकर्ताओं को इस कदर चुभा दिया कि उन्होंने उस स्टूडियो में तोड़फोड़ कर दी, जहां यह रिकॉर्ड हुआ था. जाहिर है सत्ता पक्ष के सदस्यों के इस हमले की विपक्ष ने आलोचना की, लेकिन उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने भी एकनाथ शिंदे की पार्टी पर असहिष्णुता का आरोप लगाया. शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने X पर पोस्ट कर इस घटना की निंदा की और देवेंद्र फडणवीस को "कमजोर गृहमंत्री" करार दिया. पार्टी के एक अन्य नेता आदित्य ठाकरे ने भी शहर में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए. हालांकि, खुद उद्धव ठाकरे के ढाई साल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में भी कई मौके आए जब व्यंग्य और आलोचना शिवसेना (तब अविभाजित) को नागवार गुजरी और पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हिंसक प्रतिक्रिया दी.

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व्यंग्य और कार्टूनों पर शुरू से अक्रामक शिवसेना

शिवसेना की छवि शुरुआत से ही ऐसी रही है कि जब भी किसी मुद्दे पर उनकी आलोचना हुई, उन्होंने उग्र प्रतिक्रिया दी. पार्टी के नेता हमेशा से व्यंग्य और कार्टूनों के निशाने पर रहे हैं, और पार्टी ने ऐसे मामलों को सहन करने के बजाय आक्रामक रवैया अपनाया है. MVA सरकार के दौरान, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब भी शिवसैनिकों ने इस तरह के मामलों में मनमानी की. नवंबर 2019 में उद्धव के सीएम पद की शपथ लेने के बाद, ऐसी कई घटनाएं सामने आईं.

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जब उद्धव के बयान की खिल्ली उड़ाने पर युवक की हुई पिटाई

22 दिसंबर 2019 को वडाला में 33 वर्षीय हीरामणि तिवारी को शिवसैनिकों ने जमकर पीटा और उसकी सार्वजनिक बेइज्जती करने के लिए उसका सिर जबरदस्ती मुंडवा दिया. वजह? उसने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर उद्धव ठाकरे के बयान की फेसबुक पर खिल्ली उड़ाई थी. फार्मा कंपनी में काम करने वाले और विश्व हिंदू परिषद के पूर्व सदस्य तिवारी ने मुंबई पुलिस से शिकायत की, लेकिन कोई FIR दर्ज नहीं हुई. आरोपियों को बस मामूली चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, जबकि तिवारी का कान इस हमले में क्षतिग्रस्त हो गया.

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रिटायर अफसर की भी झेलना पड़ा शिवसैनिकों का गुस्सा

करीब एक साल बाद, 11 सितंबर 2020 को भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी मदन शर्मा को भी शिवसैनिकों के गुस्से का शिकार होना पड़ा. 65 वर्षीय शर्मा ने अपने हाउसिंग सोसाइटी के वॉट्सऐप ग्रुप में एक कार्टून साझा किया था, जिसमें उद्धव ठाकरे को सोनिया गांधी और शरद पवार के सामने दंडवत करते दिखाया गया था. यह पोस्ट शिवसैनिकों को इतनी नागवार गुजरी कि करीब दर्जनभर कार्यकर्ता कांदिवली स्थित उनके घर पहुंचे और उनकी जमकर पिटाई की, जिससे उनकी एक आंख पर गंभीर चोट आई. शर्मा की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन वे जल्द ही जमानत पर छूट गए. संजय राउत ने इस हमले का बचाव करते हुए कहा कि शर्मा की पोस्ट से शिवसैनिक भड़क गए थे और यह उनकी "स्वाभाविक प्रतिक्रिया" थी.

मैं मानता हूं किसी को भी कॉमेडी करने का अधिकार है, व्यंग्य कसने का भी अधिकार है. हमारे ऊपर भी चाहें जितना व्यंग्य कसिए, इसमें किसी को भी कोई दर्द नहीं है. लेकिन अगर कोई जानबूझकर इतने बड़े नेताओं को अपमानित और बदनाम करता है, तो मुझे लगता है कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जो भी कानूनी कार्रवाई होगी, वह उसके खिलाफ की जाएगी.

महाराष्ट्र सीएम फडणवीस

अब कुणाल कामरा के समर्थन में क्यों खड़ी शिवसेना

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत का बांद्रा स्थित दफ्तर BMC (जो तब शिवसेना के नियंत्रण में थी) द्वारा गिराया जाना और हनुमान चालीसा विवाद को लेकर नवनीत राणा की गिरफ्तारी, MVA सरकार के दौरान असहिष्णुता के कुछ और उदाहरण हैं. अब जब शिवसेना (UBT) कुणाल कामरा के समर्थन में खड़ी होकर शिंदे गुट को असहिष्णु बता रही है, तब महाराष्ट्र की राजनीति में "पाखंड" और "नैतिक अधिकार" जैसे शब्द गूंजने लगे हैं.

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शिवसेना नेता शाइना NC ने इस घटना का बचाव करते हुए दावा किया कि कामरा की टिप्पणी कॉमेडी नहीं, बल्कि "अश्लीलता" थी. उन्होंने कहा कि उद्धव की पार्टी, कामरा को शिंदे पर हमला करने के लिए एक मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रही है. वहीं, राजनेता से समाजसेविका बनीं अंजलि दमानिया ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि अगर कामरा की टिप्पणी किसी को पसंद नहीं आई, तो उन्हें कानूनी तरीके से जवाब देना चाहिए था, न कि गुंडागर्दी से. उन्होंने मांग की कि स्टूडियो में तोड़फोड़ करने वाले शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

जीतेंद्र दीक्षित NDTV में कंट्रिब्यूटिंग एडिटर हैं

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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