अखिलेश यादव ने जिन अमर सिंह को 'बाहरी आदमी' करार देकर 'अंकल' कहने से इनकार कर दिया था, उन्हें उनके पिता ने 'भीतरी आदमी' बना दिया. मुलायम ने अमर सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाने के लिए अपने हाथ से खत लिखा, जबकि बाकी सारी नियुक्तियों के लिए खत मुलायम की तरफ से उनके चचेरे भाई रामगोपाल यादव जारी करते हैं; इससे मुलायम और अखिलेश के बीच खाई और चौड़ी हो गई है.
आज मुलायम का खत बहुतों पर बिजलियां गिरा गया. खासकर उनके अपने बेटे अखिलेश यादव का कद छोटा कर गया. और उन सब का भी जिन्हें उम्मीद थी कि अखिलेश के सख्त रुख के बाद अब अमर सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा, लेकिन बाप तो फिर बाप ही ठहरे.
करीब 20 साल तक अमर सिंह मुलायम के सबसे करीबी रहे हैं. मुलायम ने एक बार कहा था कि हम 'दो जिस्म एक जान' हैं. एक वक्त था जब अमर सिंह मुलायम के बाद सबसे ताकतवर आदमी थे. पार्टी और सरकार में उनकी तूती बोलती थी. गुलजार साहब का वो गाना उन पर बिल्कुल ठीक बैठता था कि 'जहां तेरे कदमों के कंवल खिला करते थे... हंसी तेरी सुन-सुन के फसल पका करती थी.' वाकई उस वक्त समाजवाद की फसलेंउनकी हंसी सुन-सुन के ही पकती थीं.
अमर सिंह मुलायम के लिए सियासी से लेकर घरेलू काम तक करते थे. अभी हाल ही में उन्होंने बताया था कि वो अखिलेश यादव को एडमिशन कराने ऑस्ट्रेलिया लेकर गए थे. उनकी शादी का दिल्ली और लखनऊ में रिसेप्शन भी उन्होंने ही कराया था. अखिलेश के रिसेप्शन में अमिताभ बच्चन 'दीवार' फिल्म के डायलॉग सुनाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे थे. कहते हैं कि वो भी अमर सिंह के बुलावे पर ही आए थे.
अमर सिंह, मुलायम सिंह के लिए बहुत तरह के काम करते रहे हैं. देसी समाजवादियों के बीच वो ग्लैमर लेकर आए. समाजवादी पार्टी और पार्टी के कार्यक्रमों में बॉलीवुड सितारों को लेकर आने वाले वही थे. बॉलीवुड का कोई ऐसा बड़ा स्टार नहीं होगा जिसे वो मुलायम के गांव में होने वाले सैफई उत्सव में ना ले गए हों. एक वक्त था जब वो अमिताभ बच्चन के साथ साये की तरह रहते थे. अमिताभ बच्चन से उन्होंने मुलायम सरकार के विज्ञापन करवाए जिसमें एक विज्ञापन बहुत मशहूर हुआ कि 'यूपी में है दम क्योंकि अपराध है यहां कम.'
यही नहीं, अमर सिंह बड़े कॉरपोरेट घरानों और मुलायम सिंह के बीच पुल का काम करते थे. राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी पार्टी के किसी भी बड़े नेता से मुलायम के लिए वही डील करते थे. वो इतना कुछ मुलायम के लिए करते थे कि मुलायम को लगता था कि अमर सिंह की हस्ती उनसे ज्यादा बड़ी है. एक बार कुछ न्यूज चैनल के पत्रकारों से नाराज मुलायम ने कहा था कि, 'तुम लोग क्या समझते हो... मैं अभी दिल्ली जा रहा हूं, अगर अमर सिंह कह देंगे तो एक दर्जन टीवी वाले मुझसे बात करने एयरपोर्ट पहुंच जाएंगे.' मुलायम को यह एहसास नहीं था कि यूपी के मुख्यमंत्री की ये सियासी अहमियत है कि वो अगर एक दर्जन चैनल वालों को एयरपोर्ट बुलाएंगे तो वे वहां पहुंचेंगे ही.
अमर सिंह के नाम पर यादव परिवार और समाजवादी पार्टी दोनों बंटी हुई है. परिवार और पार्टी के बड़े लोगों में अखिलेश यादव, रामगोपाल और आजम खान उनके सख्त खिलाफ हैं. अभी 15 तारीख को रामगोपाल ने लखनऊ में कहा था कि 'जो व्यक्ति पार्टी के हित में रुचि नहीं रखने वाले हैं, वे व्यक्ति नेताजी की सरलता का लाभ उठाकर पार्टी का नुकसान करने पर आमादा हैं.'
मुलायम रिश्तों को निभाते हैं, लेकिन यहां उन्होंने अपने खून के रिश्ते की कीमत पर अमर सिंह से रिश्ता निभाया है. कई बार बार सौतेली मां के लिए ऐसा अड़ियल रुख अपनाते हैं, लेकिन पहली बार 'सौतेले' चाचा के लिए बाप ने ऐसा अड़ियल रुख अख्तियार किया है.
(कमाल खान एनडीटीवी में रेजिडेंट एडिटर हैं)
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