पाकिस्तान का नाम जब भारत की राजनीति में आ जाए तो तय करना मुश्किल हो जाता है कि यह फुलटॉस है या बाउंसर. बिहार का चुनाव हो तब पाकिस्तान. राफेल डील तब पाकिस्तान पाकिस्तान. पाकिस्तान वाले भी इतना पाकिस्तान पाकिस्तान नहीं करते होंगे जितना भाजपा प्रवक्ता पाकिस्तान पाकिस्तान करते हैं. पेट्रोल 90 रुपये लीटर है इसके लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार नहीं है, लेकिन पाकिस्तान कब किस चीज़ के लिए ज़िम्मेदार हो जाए, पता नहीं होता. इन दिनों फिर से पाकिस्तान का ज़िक्र ज़ोर शोर से हो रहा है. अजीब बात यह है कि हम पाकिस्तान से बात नहीं कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान के बारे में दिन रात बात किए जा रहे हैं. कुछ आशिक बड़े ज़िद्दी होते हैं. नहीं निभा तो क्या हुआ मगर नाम दिन रात लेते हैं. सोमवार को संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में इतनी बार पाकिस्तान का ज़िक्र किया कि लगा कि विवाद अंबानी की कंपनी को लेकर नहीं, पाकिस्तान को लेकर है.
कांग्रेस पाकिस्तान की भाषा में समानता पाई है. दोनों की हताशा है. जो बौखलाहट पाकिस्तान और कांग्रेस के बीच है वो बराबर है. दोनों चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर मोदी को हटाएं.
संबित पात्रा के सामने सवाल यह था कि राफेल डील में अनिल अंबानी की कंपनी कैसे आ गई जबकि डील साइन होने के कुछ पहले दास्सो एविएशन के सीईओ का बयान है कि हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स के साथ डील अंतिम चरण में हैं और जल्दी ही दस्तख़त हो जाएगा. पाकिस्तान मोदी को हटाना चाहता है, संबित पात्रा ने ज़ोर देकर कहा.
यह लंदन से छपने वाला अखबार टेलीग्राफ है. इसमें डीन नेल्सन ने पाकिस्तान के अधिकारियों से बात की है. कार्यवाहक विदेश मंत्री सरताज़ अज़ीज़ से बात की थी. और शीर्षक में ये लिखा कि पाकिस्तान नरेंद्र मोदी को अगले प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन करता है. नवाज़ शरीफ का बयान है कि मोदी जीतेंगे और हम उम्मीद करते हैं कि एक मज़बूत सरकार आएगी जो बातचीत के लिए उपयुक्त होगी.
अगर कांग्रेस पार्टी इस अखबार को लेकर प्रेस कांफ्रेंस करे कि पाकिस्तान और मोदी में सांठ गांठ है तो आप ही बताइये कुतर्क भी शर्मा जाएंगे कि नहीं. क्या कांग्रेस को तब यह कहना था कि पाकिस्तान चाहता है कि मोदी जीतें और क्या तब कोई न्यूज़ एंकर इस बात को लेकर डिबेट करता. हमारे सहयोगी उमाशंकर सिंह ने अपने फेसबुक पर इमरान ख़ान का भाषण पोस्ट किया है. हाल में पाकिस्तान में चुनाव हुए थे, जिसमें एक रैली में बोलते हुए इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री मोदी की ईमानदारी की तारीफ की थी.
तो क्या इमरान ख़ान और प्रधानमंत्री मोदी के बीच कोई दोस्ती थी, क्या इस आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है. प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भी लिखा और जब न्यूयॉर्क में होने वाली बातचीत रद्द हुई तो अभद्र टिप्पणी भी की, जिसकी सबने निंदा की. दिसंबर 2017 में इमरान ख़ान दिल्ली आए थे और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से शिष्टाचार मुलाकात की थी. क्या इस आधार पर कहा जा सकता है कि इमरान ख़ान और प्रधानमंत्री मोदी की दोस्ती है. कोई रणनीति बन रही है. भोपाल में प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन वही बात कही जो संबित पात्रा ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में कही थी.
पहले जिन लोगों ने सवाल किया उन्हें पाकिस्तान का समर्थक बनाया गया. सोशल मीडिया पर फैलाया गया कि ये लोग पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं. अब कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान से गठबंधन कर रही है. इसका आधार क्या है. खुफिया जानकारी नहीं है. राजनीतिक बयान है. क्या ऐसा संभव है कि कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान से गठबंधन कर रही है 2019 के लिए और ऐसा कर रही है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए कोई कानून नहीं है. आप हैरान हो जाएंगे कि इस गठबंधन का आधार बताने के लिए संबित पात्रा ट्वीट का प्रिंट आउट निकालकर साबित कर रहे हैं.
क्या इस आधार पर राजनीति के तर्क गढ़े जाएंगे कि यहां के विवाद पर पाकिस्तान के टीवी चैनल में क्या हेडलाइन चल रही है. वहां के नेता क्या ट्वीट कर रहे हैं. और इस आधार पर प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के प्रवक्ता तक यह कहेंगे कि बाहर के देशों के साथ गठबंधन हो रहा है. राफेल डील के बारे में जो सवाल उठ रहे हैं उसके सवाल और जवाब दोनों राफेल तक ही सीमित रहने चाहिए लेकिन बात कहां से कहां पहुंच रही है.
प्रधानमंत्री का पाकिस्तान जाना या नवजोत सिद्धू का वहां जाना उन पर बहस हो सकती है, हुई भी है लेकिन राफेल डील पर जब बात हो रही हो तब पाकिस्तान का क्या काम है. क्या पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने बयान दिया है कि अनिल अंबानी का नाम भारत सरकार की तरफ से आया था. या यह बयान पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का है. पाकिस्तान के नेता ट्वीट कर रहे हैं लेकिन भारत में भी तो बहुत से नेता ट्वीट कर रहे हैं. क्या वे सभी पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं. क्या राफेल डील को लेकर सवाल उठाने या राजनीति करने का जवाब यही है कि पाकिस्तान की मदद की जा रही है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तो पाकिस्तान का ज़िक्र कब कर दें पता नहीं चलता. कभी वे बिहार की जनता से कहने लगते हैं कि बीजेपी हार गई तो पाकिस्तान में पटाखे चलेंगे. वहां बीजेपी हार गई. पाकिस्तान में पटाखे भी नहीं चले थे.
राफेल डील के संदर्भ में अमित शाह ने 22 सितंबर को एक ट्वीट किया और कहा कि राहुल गांधी कहते हैं मोदी हटाओ. पाकिस्तान कहता है मोदी हटाओ. पाकिस्तान जो है वह मोदी के खिलाफ राहुल गांधी के आधारहीन आरोपों का समर्थन कर रहा है. तो क्या कांग्रेस मोदी के खिलाफ कोई अंतरराष्ट्रीय महागठबंधन बना रहा है.
2017 के गुजरात चुनावों मे भी पाकिस्तान का ज़िक्र आ गया था. हम यहां चाहेंगे कि आप याद करें कि उस बयान के बाद क्या हुआ. गुजरात के पलनपुर में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी के एक आरोप ने सनसनी फैला दी थी. उस आरोप के बाद न्यूज़ चैनलों पर खूब बहस हुई. हम आपको बताएंगे कि उस बहस का क्या अंजाम हुआ. यह इसलिए बताएंगे ताकि हम आपको एक बार फिर याद दिला सकें कि किस तरह न्यूज चैनल प्रोपेगैंडा करते हैं. आप चाहें तो यूट्यूब पर जाकर इस बयान के बाद हुई बहसों को फिर से देख सकते हैं.
आप यूट्यूब में जाकर न्यूज चैनलों की बहसों को ज़रूर देखिएगा ताकि पता चले कि इन चार सालों में गोदी मीडिया ने आपके साथ क्या किया है. किस तरह के नकली सवाल उठे जिनका कोई सिर-पैर नहीं था. सारे सवाल नकली इसलिए थे क्योंकि बाद में राज्यसभा में अरुण जेटली ने उस बयान से किनारा कर लिया. 27 दिसंबर 2017 को अरुण जेटली ने राज्यसभा में जो बोला था वो बयान काफी महत्वपूर्ण है. हिन्दी में यह मतलब हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की भारत के प्रति निष्ठा पर कोई सवाल नहीं उठाया. अगर प्रधानमंत्री के बयान से भारत के प्रति मनमोहन सिंह की प्रतिबद्धता को लेकर कोई धारणा बनी है तो वह सही नहीं है. हम इन नेताओं का और भारत के प्रति इनकी निष्ठा का बहुत आदर करते हैं. ये जेटली जी कह रहे हैं. जबकि चुनाव में मणिशंकर अय्यर के घर हुई बैठक को लेकर किस तरह के बयान दिए गए और उस बयान के बाद क्या हुआ वो हमने आपको बता दिया. ज़रूर जेटली के बयान के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने आश्वासन दिया था कि हम प्रधानमंत्री की गरिमा कम करने में यकीन नहीं करते हैं. चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री के प्रति दिए गए ऐसे किसी भी बयान से खुद को अलग करते हैं.
तो आपको याद हो गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात चुनावों में मनमोहन सिंह और हामिद अंसारी को जिस तरह से पाकिस्तान से जोड़ा उसे लेकर सदन में सरकार को माफी मांगनी पड़ी थी. आप हिन्दी के अखबार पढ़ते हैं. उन्हें ध्यान से पढ़ा कीजिए. देखिए कि राफेल डील के बारे में सिर्फ बयानों की रिपोर्टिंग है या उनके यहां काम करने वाले शानदार रिपोर्टर अपनी तरफ से पड़ताल भी कर रहे हैं. आप इस नज़र से देखेंगे तो वैसे प्रतिभाशाली पत्रकारों का भला करेंगे जो वाकई पत्रकारिता करना चाहते हैं. एक काम कीजिएगा, राफेल डील पर आपके प्रिय हिन्दी अखबार में जितनी भी ख़बरें छपी हैं उन सबको एक जगह रखकर फिर से पढ़िए.
आप सब को याद दिला दें कि बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ियाउल हक़ के परिवार के साथ खास रिश्ता था. शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी के मंच से कहा करते थे कि ज़ियाउल हक की बेटी उनकी बहन है. 2012 की एक खबर है कि जब भारतीय सासंदों का प्रतिनिधि मंडल पाकिस्तान गया था तब सिन्हा ज़ियाउल हक की बेटी ज़ैन ज़िया से भी मिलने गए थे. मैं यह मिसाल इसलिए नहीं दे रहा कि सिन्हा देशद्रोही हैं बल्कि सिन्हा के देशप्रेम पर कोई शक कैसे कर सकता है. लेकिन सिन्हा को बीजेपी ने 2014 में टिकट दिया. उसके पहले भी टिकट दिया और मंत्री बनाया. तब किसी ने सिन्हा से नहीं कहा कि आप गद्दार हैं या बीजेपी सिन्हा के ज़रिए पाकिस्तान के साथ गठबंधन करना चाहती है.
सिन्हा अपने इन संबंधों को खुलकर निभाते रहे हैं. क्या कभी बीजेपी के भीतर से किसी को हिम्मत हुई कि उन्हें पाकिस्तान का एजेंट कह दे. हम कहां से कहां आ गए हैं.
कंपनियों और क्रिकेट प्रेमियों को कुछ फर्क नहीं पड़ता कि हमारी राजनीति पाकिस्तान के बारे में क्या सोचती है. लोग इंतज़ार करते हैं कि कब पाकिस्तान से मैच होगा. जब भी होता है वे मैच देखते हैं. दुबई में भारत पाकिस्तान मैच के प्रसारण के दौरान आपने कितनी कंपनियों के विज्ञापन देखे होंगे. बाज़ार हमेशा पाकिस्तान के साथ होने वाले मैच का लाभ उठाता है. राजनीति हमेशा पाकिस्तान से अपना बचाव करना चाहती है. पाकिस्तान को लेकर भाजपा नेताओं के कुछ पुराने बयानों को याद करते हैं.
इसलिए राफेल डील को लेकर जो सवाल उठ रहा है जवाब उसका आना चाहिए. पाकिस्तान का मसला अलग है और उस पर बात हो सकती है और उस पर राजनीति भी हो सकती है लेकिन राफेल को लेकर पाकिस्तान का क्या मतलब है. कहीं ऐसा तो नहीं कि पाकिस्तान का इस्तेमाल जनता को भरमाने के लिए किया जा रहा है.
This Article is From Sep 25, 2018
देश के मसले, पाकिस्तान का नाम!
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:अक्टूबर 08, 2018 09:11 am IST
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Published On सितंबर 25, 2018 23:01 pm IST
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Last Updated On अक्टूबर 08, 2018 09:11 am IST
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