सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली...भारतीय क्रिकेट के इन बड़े चेहरों के साथ बॉलीवुड के चार सुपरस्टार- रणबीर कपूर, जॉन अब्राहम, अभिषेक बच्चन और ऋतिक रोशन एक ही मंच पर आ गए हैं। यह मंच है भारत के पहले फुटबॉल लीग का। क्रिकेट और सिनेमा की दुनिया के ये आठों सुपरस्टार इसमें हिस्सा लेने वाली टीमों के प्रमोटर हैं।
दरअसल, इंडियन सुपर लीग भारतीय फुटबॉल में नई शुरुआत है। रविवार को कोलकाता में शुरू हो रही इस लीग में क्रिकेट के आईपीएल के कामयाब फॉर्मूले को भारतीय फुटबॉल में अपनाने की कोशिश हो रही है। लीग में आठ टीमें हिस्सा ले रही हैं। कोलकाता की टीम के प्रमोटर एटलेटिको मैड्रिड और सौरव गांगुली हैं। यह लीग की सबसे महंगी टीम है।
चेन्नई की टीम के मालिकों में धोनी शामिल हैं। केरल ब्लास्टर्स के प्रमोटरों में सचिन तेंदुलकर भी हैं। गोवा फुटबॉल क्लब के प्रमोटर विराट कोहली और वरुण धवन हैं। मुंबई की क्लब को रणबीर कपूर प्रमोट कर रहे हैं। जॉन अब्राहम नॉर्थ ईस्ट की टीम से जुड़े हैं। ऋतिक रोशन पुणे के टीम मालिकों में शामिल हैं, जबकि लीग में हिस्सा ले रही आठवीं टीम दिल्ली डायनमोज की है।
इसमें दुनिया भर के नामचीन फुटबॉलर भारतीय खिलाड़ियों के साथ भारत में खेलते नजर आएंगे। इस लीग में यूरोपियन चैंपियंस लीग विनर निकोलस एनेल्का, फीफा वर्ल्ड कप विनर अलसांद्रो डेल पियरो सहित बार्सिलोना और लिवरपूल के पूर्व स्टार लुइ गारसिया भी खेलते नजर आएंगे। इन्हें घरेलू मैदानों पर देखना भारतीय फुटबॉल फैंस के लिए बड़े रोमांच से कम नहीं होगा।
लीग के दौरान प्रत्येक टीम एक-दूसरे के साथ दो मैच खेलेगी, एक अपने घरेलू मैदान पर और दूसरा दूसरी टीम के घरेलू मैदान पर। टॉप की चार टीमें सेमीफाइनल में पहुंचेंगी। इन चार टीमों के बीच टू-लेग फॉर्मेट में मुकाबला होगा यानि फिर से टीम को घरेलू और बाहरी मैदान पर खेलना होगा। टॉप की दो टीमों के बीच फाइनल मैच होगा।
भारत में घरेलू फुटबॉल की स्थिति सालों से खस्ताहाल है। वैसे तो इंग्लिश प्रीमियर लीग और ला लीगा चैंपियनशिप की यहां काफी फैन फॉलोइंग है, लेकिन इससे देश में फुटबॉल की स्थिति बेहतर नहीं हुई। फुटबॉल में एक बड़ी ताकत को बनाना दूर की बात है, भारत दुनिया की सौ टीमों में भी शामिल नहीं है। खेल की आधारभूत सुविधा से लेकर इस खेल में बेहतर करने की चाहत का अभाव दिखता है।
इंडियन सुपर लीग की सबसे बड़ी चुनौती भारत में फुटबॉल की लोकप्रियता और स्थिति दोनों को बेहतर बनाने की है। जाहिर है कि युवा खिलाडि़यों के लिए यह एक बेहतर मंच साबित होगा, वहीं इसे कॉरपोरेट घरानों का समर्थन भी मिल रहा है। ऐसे में भारतीय फुटबॉल के लिए यह एक नई उम्मीद लेकर आया है।