कैराना, गोंदिया--भंडारा और पालघर समेत देश की चार लोकसभा सीटों और दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए सोमवार को वोट डाले गए. कैराना और गोंदिया-भंडारा में सुबह से ही ईवीएम और वीवीपैट में खराबी की शिकायतें मिलने लगीं. समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल ने इसके विरोध में चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटाया. कैराना में विपक्ष की साझा उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने शिकायत की है कि करीब 150 ईवीएम ने काम नहीं किया.
उधर, गोंदिया-भंडारा में ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल भी आगे आए हैं. वहां के कलेक्टर ने बताया कि ईवीएम में खराबी की शिकायत के बाद 35 बूथों पर मतदान कुछ समय के लिए रोक दिया गया था जो मशीनें बदलने के बाद फिर शुरू करा दिया गया. हालांकि चुनाव आयोग ने कहा कि मीडिया में बड़े पैमाने पर ईवीएम में गड़बड़ी की ख़बरें बढ़ा-चढ़ा कर पेश की जा रही हैं.
आयोग ने इन खबरों का भी खंडन किया है कि भंडारा-गोंदिया में 35 पोलिंग बूथों पर मतदान रद्द कर दिया गया. ईवीएम को लेकर विपक्ष का एक बड़ा हिस्सा लंबे समय से शोर मचा रहा है. जब नतीजे विपक्ष के मनमाफिक जाते हैं तो उन्हें ईवीएम सही लगती हैं. जब नतीजे खिलाफ जाएं तो ईवीएम बुरी लगने लगती हैं. मतदान के दौरान ही ईवीएम की शिकायत कोई नई बात नहीं है. कर्नाटक में चुनाव के दौरान ही कांग्रेस नेता ईवीएम को लेकर शिकायत करने लगे थे. ऐसा ही कैराना और भंडारा-गोंदिया में हुआ. विपक्ष की दलील थी कि लोग सुबह से ही लाइन में लग गए थे और ईवीएम खराब होने की वजह से उन्हें भीषण गर्मी की वजह से बहुत परेशानी हुई. विपक्ष इसमें साजिश भी देख रहा है.
उधर, चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि हर चुनाव के लिए पर्याप्त संख्या में ईवीएम और वीवीपैट जारी किए जाते हैं. साथ ही खराबी होने पर बदले जाने के लिए 20-25 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट सेक्टर ऑफिसरों को दिए जाते हैं. चूंकि हर सेक्टर ऑफिसर के पास सिर्फ 10-12 मतदान केंद्र होते हैं इसलिए आधे घंटे से भी कम वक्त में खराब मशीनें बदल दी जाती हैं. इससे चुनाव प्रक्रिया की साख पर कोई असर नहीं पड़ता.
आयोग कहता है कि खराबी की वजहों की पड़ताल के लिए टैक्नीकल एक्सपर्ट्स कमेटी है जो छानबीन कर ज़रूरी कदम उठाती है. गौरतलब है कि बीच में यह भी खबर चली कि भीषण गर्मी की वजह से ईवीएम की चिप गर्म हो गई और इसलिए उनमें खराबी आ गई. हालांकि यह नहीं बताया गया कि अगर गर्मी की वजह से मशीनों में खराबी हुई तो कुछ ही मशीनों में क्यों हुई?
बहरहाल, ईवीएम की साख बहाल करने और उसके बारे में आशंकाओं को दूर करने का काम चुनाव आयोग का है. वो इसमें जितनी ज्यादा देरी करेगा, उसकी साख पर उतना ही खराब असर पड़ेगा. हालांकि आयोग ने एक बार सभी पार्टियों को ओपन चैलेंज दिया था. लेकिन तब विपक्षी दलों ने उसमें आने के बजाए बाहर चिल्लाना ही बेहतर समझा.
अब बात करते हैं कैराना की जहां उपचुनाव में प्रदेश और केंद्र की बीजेपी सरकार की साख दांव पर लगी है. रविवार को ही पीएम मोदी ने कैराना से सटे बागपत में रैली कर ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को देश को समर्पित किया. फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी की करारी हार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को बट्टा लगाया है. क्या कैराना में जीत कर वे इसे ठीक करेंगे या फिर एक और हार उनके नेतृत्व पर सवालिया निशान लगा देगी.
उधर, पालघर में बीजेपी और शिवसेना आपस में भिड़े हुए हैं और उनकी लड़ाई में लोग भूल ही गए कि वहां कांग्रेस का भी कोई उम्मीदवार है. गोंदिया-भंडारा बीजेपी से ज्यादा प्रफुल्ल पटेल की साख का सवाल है. फिर भी अगले लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले हो रहे इन उप चुनावों से देश के मूड का कुछ अंदाजा तो लग ही जाएगा.
(अखिलेश शर्मा एनडीटीवी इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)
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This Article is From May 28, 2018
ईवीएम पर विलाप आखिर कब तक...
Akhilesh Sharma
- ब्लॉग,
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Updated:मई 28, 2018 20:09 pm IST
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Published On मई 28, 2018 20:09 pm IST
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Last Updated On मई 28, 2018 20:09 pm IST
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