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This Article is From May 21, 2018

क्या कर्नाटक दोहराएगा बिहार का घटनाक्रम...?

Himanshu Kothari
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 21, 2018 14:03 pm IST
    • Published On मई 21, 2018 13:47 pm IST
    • Last Updated On मई 21, 2018 14:03 pm IST
कर्नाटक का 'नाटक' पूरे हिन्दुस्तान ने देखा. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, यानी BJP पूर्ण बहुमत लाने में थोड़ा-सा चूक गई, लेकिन BJP के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्‍पा ने अपनी बात को सही साबित करते हुए 17 मई को बहुमत के बिना ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली.हालांकि कर्नाटक में सरकार बनाने का खेल अभी जारी था, क्योंकि दूसरी तरफ कांग्रेस ने चुनावी नतीजे आने के बाद ही अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए जनता दल (सेक्युलर), यानी JDS को सर्मथन दे दिया. इस चुनाव में आंकड़ों का खेल भी गज़ब रहा. 224 में से 222 सीटों पर आए चुनावी नतीजों के साथ BJP कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बहुमत के लिए ज़रूरी 112 की संख्या से पहले 104 सीटों पर ही सिमट गई. वहीं कांग्रेस को 78 सीटें, जबकि JDS को 37 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद कर्नाटक चुनाव के समीकरण तब धराशायी हो गए, जब कुमारस्वामी ने चुनाव नतीजों के आने के बाद कहा कि साल 2006 में BJP के साथ जाने के अपने फैसले को वह सुधारना चाहते हैं, और वह कांग्रेस के साथ बने रहेंगे.

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राजनीति के जगत में BJP ऐसी पार्टी के तौर पर सामने आई है, जो हारी हुई बाजी को भी जीतने का माद्दा रखती है. बहुमत से आठ कदम दूर और JDS-कांग्रेस के गठबंधन के बावजूद कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने BJP के येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की शपथ दिला दी और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दे दिया. लेकिन कांग्रेस और JDS ने इसका डटकर मुकाबला किया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. रातभर सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक का 'नाटक' चला. इस दौरान बातें सामने आने लगीं कि BJP किसी भी कीमत पर कर्नाटक में सरकार बनाना चाहती है और इसके मद्देनज़र कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त की ख़बरें भी निकलकर सामने आईं. BJP को यकीन था कि 15 दिन में वह सरकार बनाने जितना बहुमत साबित कर देगी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंज़ूर था. सुप्रीम कोर्ट की बाजी BJP पर भारी पड़ी और कोर्ट की एक चाल से BJP के 'शाह' को मात मिल गई. सुप्रीम कोर्ट ने BJP को बहुमत साबित करने के लिए शनिवार का दिन मुकर्रर कर दिया, और फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस-JDS और BJP सबकी सांसें मानो थम-सी गईं. निगाहें इसी पर थीं कि क्या येदियुरप्‍पा बहुमत साबित कर पाएंगे, और क्या कर्नाटक में BJP की सरकार बनी रहेगी...?

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मुद्दा गर्म था और हथौड़ा भी चल चुका था. पूरे देश की निगाहें कर्नाटक विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर टिकीं थीं, लेकिन हुआ कुछ ऐसा, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. फ्लोर टेस्ट करवाए बिना ही येदियुरप्‍पा ने भाषण देकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इसका सीधा-सा मतलब था कि हारी हुई बाज़ी में भी परचम लहराने वाली पार्टी BJP ने अपने कदम पीछे ले लिए थे. BJP की जोड़-तोड़ की रणनीतियां फेल हो चुकी थीं. समय की मोहलत कम थी और BJP कम समय में कमाल नहीं दिखा पाई और कांग्रेस-JDS के लिए मौका छोड़ दिया. लोकतंत्र में अब सबसे ज़्यादा सीटों वाली BJP कर्नाटक में विपक्ष में बैठेगी और कांग्रेस-JDS सत्ता संभालने वाली हैं.हालांकि कांग्रेस 'पीपीपी' बनने से तो बच गई, लेकिन पार्टी को अभी ज़्यादा खुश नहीं होना चाहिए, क्योंकि BJP के खिलाड़ी राजनीति में कच्चे नहीं हैं. मोदी-शाह की जोड़ी हार मानने वालों में से नहीं है. शेर भी शिकार को झपटने से पहले दो कदम पीछे लेता है और कर्नाटक में अभी दो सीटों पर चुनाव होने बाकी हैं. अगर इन सीटों पर BJP जीत हासिल करती है, तो BJP फिर इस राज्य में सरकार बनाने की संभावना तलाश करना शुरू कर सकती है.

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इसके अलावा BJP कर्नाटक में बिहार का घटनाक्रम भी दोहरा सकती है. सालों से NDA में सहयोगी पार्टी रही जनता दल (यूनाइटेड), यानी JDU ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त BJP से अलग होने का फैसला किया. इसी कदम से बाद में बिहार के विधानसभा चुनाव के वक्त महागठबंधन को बल मिला और बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन मजबूती से सामने आया. नीतीश कुमार की JDU, लालू प्रसाद यादव की RJD और कांग्रेस तीन बड़ी पार्टियां BJP को मात देने के लिए एक साथ आ चुकी थीं. साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में JDU, RJD और कांग्रेस ने महागठबंधन में रहकर चुनाव लड़ा और BJP को मात दी. इस चुनाव में RJD को सबसे ज़्यादा सीटें मिली थीं, लेकिन महागठबंधन की शर्त के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही बनाया गया, लेकिन कहते हैं न, वक्त पलटते वक्त नहीं लगता. महागठबंधन सरकार बनते ही अनबन की खबरें आने लगीं. डिप्टी सीएम और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. नीतीश कुमार ने उन्हीं आरोपों को आधार बनाकर महागठबंधन से खुद को अलग कर लिया और रातभर चले ड्रामे के बाद BJP के साथ मिलकर सरकार बना ली. बिहार में रातोंरात गेम बदल चुका था और सबसे बड़ी पार्टी RJD झटके से सत्ता से उतरकर विपक्षी पार्टी बन चुकी थी.

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वहीं अब कर्नाटक में JDS और BJP भी पहले साथ काम कर चुकी हैं. दोनों दलों ने मिलकर कर्नाटक में एक वक्त साथ में सरकार बनाई है. ऐसे में कांग्रेस के साथ आने वाले वक्त में JDS की अनबन जैसी कोई स्थिति बनती है, तो BJP भी मौके को भुनाने में पीछे नहीं हटने वाली. BJP का नारा है 'कांग्रेस-मुक्त भारत' का, और संभावना जताई जा सकती है कि इसके लिए BJP कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटने वाली. अब राजनीतिक पार्टियों की 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां भी चरम पर हैं, सो, ऐसे में देश की राजनीति किस करवट बैठती है, यह देखना दिलचस्प रहेगा.

हिमांशु कोठारी NDTVKhabar.com में सब-एडिटर हैं...
 

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